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Saturday, 15 May 2021

Class IX |Hindi Textbook Solution |आलोक भाग - १|पद्यःकृष्ण-महिमा|कवि-रसखान| पाठ के अन्तर्गत प्रश्न के उत्तर

अभ्यासमाला 

बोध एवं विचार

1. सही विकल्प का चयन करो :

    (क) रसखान कैसे कवि थेे ?
          (1) कृष्णभक्त (2) रामभक्त (3) सूफी (4) संंत
    (ख) कवि रसखान की प्रामाणिक रचनाओं की संख्या है -
          (1) तीन (2) दो (3) चार (4) पाँच 
    (ग) पत्थर बनकर कवि रसखान कहाँ रहना चाहते हैंं  ?
          (1) हिमालय पर्वत पर
          (2) गोवर्धन पर्वत पर
          (3) विंध्य पर्वत पर
          (4) नीलगिरि पर
    (घ) बालक कृष्ण के हाथ से कौआ क्या लेकर  भागा ?
          (1) सूखी रोटी     (2) दाल - रोटी
          (3) पावरोटी       (4) माखन - रोटी

2. एक शब्दों में उत्तर दो :

    (क) रसखान ने किनसे भक्ति की दीक्षा ग्रहण की थी ?
    उत्तर : रसखान ने विट्ठलनाथ नाथ जी से भक्ति की दीक्षा ग्रहण की
    थी ।
    (ख)'प्रेमवाटिका' के रचयिता कौन हैै ?
    उत्तर : 'प्रेमवाटिका' के रचयिता है कवि रसखान जी ।
    (ग) रसखान की काव्य-भाषा क्या है ?
    उत्तर : रसखान  की काव्य-भाषा साहित्यिक ब्रज हैै, जिसमें सहजता,
    मधुरता और सरसता सर्वत्र विराजमान है ।
    (घ) आराध्य कृष्ण का वेेष धारण करतेे हुए कवि अधरों पर क्या
    धारण करना नहीं चाहते ?
    उत्तर : आराध्य कृष्ण का वेष धारण करते हुए कवि अधरों पर
    मुरली धारण करना नहीं चाहते ।
    (ङ) किनकी गाय चराकर कवि रसखान सब प्रकार के सुुुख भुलाना
    चाहते है ?
    उत्तर : नंद की गाय चराकर कवि रसखान सब प्रकार के सुख भुुलाना
    चाहते है ।

3. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :

    (क) कवि रसखान कैसे इंसान थे ?
    उत्तर : कवि रसखान कोमल ह्रदयवाले, भावुक प्रकृति के इंंसान थे।
    (ख) कवि रसखान किस स्थिति में गोपियों के कृृष्ण-प्रेम से अभिभूत
    हुए थे ?
    उत्तर : प्रसिद्ध है कि कवि रसखान श्रीमदभागवत का फारसी पढ़कर
    गोपियों के कृष्ण-प्रेम से अभिभूत हुए थे ।
    (ग) कवि रसखान ने अपनी रचनाओं में किन छंदों का अधिक प्रयोग
    किया है ?
    उत्तर : कवि रसखान ने अपनी रचनाओं में दोहा, कवित्त और सवैया
    छंदों का अधिक प्रयोग किया है ।
    (घ) मनुष्य के रूप में कवि रसखान कहाँ बसना चाहतेे है ?
    उत्तर : मनुष्य के रूप में कवि रसखान कृष्ण के जन्मभूमि गोकुल
    गाँव में बसना चाहते है ।
    (ङ) किन वस्तुओं पर कवि रसखान तीनोंं लोकों का राज न्योछावर
    करने को प्रस्तुत हैं ?
    उत्तर : छड़ी और कंबल पर कवि रसखान तीनों लोकों का राज
    न्योछावर करने को प्रस्तुत हैं ।

Thursday, 10 September 2020

CLASS 9(SEBA) | Hindi Textbook Solution | आलोक भाग - 1 | पाठ 5 : आप भले तो जग भला - श्रीमन्नारायण |

अभ्यासमाला

■ बोध एवं विचार 
( अ ) सही  विकल्प  का  चयन  करो  :
    1. एक  काँच  के  महल  में  कितनेे  कुत्ते  घुसे  थे  ?
        (क) एक  (ख) दो  (ग) एक हजार  (घ) कई हजार

    2. काँच  का  महल  किसका  प्रतीक  है ?
        (क) संसार   (ख) अजायब  घर  (ग) चिड़ियाघर
        (घ) सपनों  का  महल

    3. " निंदक  बाबा  वीर  हमारा, बिनही  कौड़ी  बहै  विचारा ।
          आपन  डूबे  और  को  तारे , ऐसा  प्रीतम  पार  उतारे ।"
          -- प्रस्तुत  पंक्तियों  के  रचयिता  कौन हैं ?
          (क) कबीर दास   (ख) रैदास   (ग) बिहारीलाल   (घ) दादू

    4. आदमी  भूखा  रहता  है  - 
        (क) धन  का  (ख) जन  का  (ग) प्रेम  का  (घ) मान  का

    5. गांधीजी  ने  अहिंसा  की  तुलना  सीमेंट  से  क्यों  की  है ?
        (क) अहिंसा से मनुष्य एक साथ रहता है ।
        (ख) अहिंसा किसी को अलग नहीं होने देती ।
        (ग) अहिंसा सीमेंट की तरह एक - दूसरे को जोड़ कर
              रखती  है ।

(आ) संक्षिप्त उत्तर दो ( लगभग 25 शब्दों में ) :
1. दो कुत्तों की घटना का वर्णन करके लेखक क्या सीख देना
    चाहते हैं  ?
    उत्तर  : दो कुत्तों की घटना का वर्णन करके लेखक यह
    सीख देना चाहता है कि यदि मनुष्य स्वयं भला है तो उसे
    सारा संसार भला दिखाई देता है और मनुष्य स्वयं बुरा है
    तो उसे सारा संसार बुरा दिखाई देता है । मनुष्य नजरिया
    बदलकर देखने से दुनिया का हर चीजों में, हर लोगों में
    भला दिखाई देता है ।

2. लेखक ने संसार की तुलना काँच के महल से क्यों की है ?
    उत्तर : लेखक ने संसार की तुलना काँच के महल से की है
    क्योंकि काँच के सामने जो भी दिखाई देता है वह बिल्कुल
    सच होता है । काँच हमेशा सत्य को दर्शाता है । अगर आप
    अच्छा कर रहे होते हैं या बूरे सभी काँच में दिखाई देता है ।
    हमें सदा अच्छा देखना,अच्छा बोलना,और अच्छा सुनना
    चाहिए ताकि काँच में भी अच्छा दिखाई पड़े। तभी तो
    चारों ओर हमें अच्छा ही देखने को मिलेगा । अपने स्वभाव
    की छाया ही उस पर पड़ती है ।

3. अब्राहम लिंकन की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य क्या था ?
    उत्तर : अब्राहम लिंकन की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य
    यह था कि वह दूसरों की अनावश्यक नुक्ताचीनी कर
    उनका दिल नहीं दुखाता था ।

4. लेखक ने गांधी और सरदार पृथ्वीसिंह के उदाहरण क्या स्पष्ट
    करने के लिए दिए हैं  ?
    उत्तर : लेखक ने गांधी और सरदार पृथ्वीसिंह के उदाहरण
    यह स्पष्ट करने के लिए दिए हैं कि प्रेम और सहानुभूति से
    लोगों को अपनी ओर खींच सकते है । दोनों अहिंसा के
    मार्ग पर थे । गांधी जी सब को एकसाथ जोड़कर रखने के
    लिए सीमेंट का काम करता था ।

5. रसोइया ने बिना खबर दिए लेखक के मित्र की नौकरी क्यों
    छोड़ दी ?
    उत्तर : रसोइया ने बिना खबर दिए लेखक के मित्र की
    नौकरी छोड़ दी क्योंकि सुबह से शाम तक उसके महाशय      की डाँट खानी पड़ती थी । जैसे -"तुने आज दाल बिलकुल
    बिगाड़ दी । उसमें नमक बहुत डाल दिया ।" "अरे बेवकूफ
    तूने साग में नमक ही नहीं डाला ।" "यह जली रोटी कौन
    खाएगा रे !" आदि की झड़ी लगी रहती थी ।
                  वह भी तो आदमी ही है । उसके भी दिल है ।
    बेचारा कुछ रुपए का नौकर यंत्र नहीं बन सकता । तंग
    आकर भाग जाने के सिवा कोई चारा नही था ।

6. "अच्छा हो , सुकरात के इस विचार को मेरे मित्र अपने कमरे में
    लिखकर टाँग लें ।" - लेखक ने ऐसा क्यों कहा है  ? 
    उत्तर : महान संत सुकरात ने कही थी , "जो मनुष्य मूर्ख है
    और जानता है कि वह मूर्ख है , वह ज्ञानी है , पर जो मूर्ख
    है और नहीं जानता कि वह मूर्ख है, वह सबसे बड़ा मूर्ख है।
    लेखक का मित्र भी मानते हैं कि उनका जीवन,आचार और
    विचार आदर्श हैं। दूसरे लोग जो उनका सम्मान नहीं करते,
    मूर्ख हैं । वह खुद मूर्ख होकर भी नहीं जानता कि वह मूर्ख
    है । इसलिए लेखक ऐसा कहा है ।

(इ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो ( लगभग 50 शब्दों में ) :
1. अपने मित्रों को परेशान देखकर लेखक को किस किस्से का
    स्मरण हो आता है ?
उत्तर : अपने मित्रों को परेशान देखकर लेखक को दो कुत्तों
          की घटना का स्मरण हो आता है । लेखक उनकी
          मिसाल भौंकने वाले कुत्ते से नहीं देना चाहता । वह
          चाहता है कि इस कहानी से उनका मित्र चाहें तो कुछ
          सबक जरूर सीख सकते हैं ।

2. दुखड़ा रोते रहने वाले व्यक्ति का दुनिया से दूर किसी जंगल में
    चले जाना क्यों बेहतर है ?
उत्तर : हमें सदैव दूसरों की अच्छाइयों को देखना , अपने
         अवगुणों पर भी ध्यान देना और हर परिस्थिति में खुश
         रहना चाहिए । अपने निंदक का भी एहसानमंद होना
         और प्रत्येक व्यक्ति के साथ प्रेम और नम्रतापूर्ण
         व्यवहार करना चाहिए , तभी तो दुनिया भी खुद को
         साथ देगी । इसलिए लेखक ने कहा है कि दुखड़ा रोते
         रहने वाले व्यक्ति का दुनिया से दूर किसी जंगल में चले
         जाना ही बेहतर है ।



Monday, 24 August 2020

Class 9| Assamese Rapid Reader | বৈচিত্ৰময় অসম |দ্ৰুতপাঠ | চাহ জনগোষ্ঠীসকল - সুশীল কুৰ্মী , অসম সাহিত্য সভা |

পাঠভিত্তিক প্ৰশ্নাৱলী : 

১৷ অসমৰ প্ৰথম চাহ বাগিচা কোনখন আৰু কেতিয়া
     স্হাপন হৈছিল ?
    উত্তৰ : অসমৰ প্ৰথম চাহ বাগিচাখনৰ নাম হৈছে চাবুৱা।
    এই চাহ বাগিচাখন ১৮৩৫ চনত স্হাপন কৰা হৈছিল ।

২। অসমৰ প্ৰথম চাহ কোম্পানীৰ নাম কি আৰু কেতিয়া
     স্হাপিত হৈছিল ? 
    উত্তৰ : অসমৰ প্ৰথম চাহ কোম্পানীৰ নাম হৈছে অসম
    চাহ কোম্পানী । এই কোম্পানী স্হাপিত হৈছিল ১৮৩৫
    চনত ।

৩। গিৰমিটিয়া আৰু আড়কাঠিয়া চালানৰ বিষয়ে কি
     জানা লিখা ।
    উত্তৰ : মজদুৰ চালানৰ ভিতৰত লিখিত চুক্তি অনুসৰি
    নিৰ্দিষ্ট সময়ৰ বাবে শ্ৰমিক অনা প্ৰক্ৰিয়াটোক গিৰমিটিয়া
    চালান আৰু কোনো চুক্তি নকৰাকৈ চলে - বলে কৌশলে
    শ্ৰমিক অনা প্ৰক্ৰিয়াটোক আড়কাঠিয়া চালান বুলি কোৱা
    হয় ।

৪। চাহজনগোষ্ঠী সমাজৰ দহটা জাতি - উপজাতিৰ
     নাম লিখা ।
     উত্তৰ : চাহজনগোষ্ঠী সমাজৰ দহটা জাতি - উপজাতিৰ
     নাম হৈছে ওৰাওঁ, মুণ্ডা, চাওতাল, কুৰ্মী, তাঁতি, ঘাটোৱাৰ,
     গোৱালা, হাজাম, ভূমিজ আৰু ৰাজোৱাৰ ।

৫। চাহ জনগোষ্ঠীৰ মাজত কি কি ধৰ্মৰ লোক আছে ?
     উত্তৰ : চাহ জনগোষ্ঠীৰ মাজত প্ৰধানকৈ হিন্দু আৰু
     খ্ৰীষ্টান ধৰ্মৰ লোক আছে ।

৬। স্বাধীনতা সংগ্ৰামৰ প্ৰথম মহিলা ছহিদ কোন ?
     উত্তৰ : স্বাধীনতা সংগ্ৰামৰ প্ৰথম মহিলা ছহিদ আছিল
     মাংৰি ওৰাওঁ ।

৭। অসম আন্দোলনত জীৱন উছৰ্গা কৰা চাহ বাগিচাৰ
     প্ৰথম ছহিদ কোন ?
     উত্তৰ : অসম আন্দোলনত জীৱন উছৰ্গা কৰা চাহ
     বাগিচাৰ প্ৰথম ছহিদ আছিল বাধনা ওৰাওঁ ।

Wednesday, 29 July 2020

Class 9 | Hindi Textbook Solution | Aalok Bhag - 1 | अध्याय 4 : चिड़िया की बच्ची - जैनेंद्र कुमार |

□ पाठ  का  सारांश : चिड़िया  की  बच्ची ,  जैनेंद्र  कुमार  की
एक  मनोविश्लेषनात्मक  कहानी  है । इसमें  कहानीकार  ने
एक  धनाढय  व्यक्ति  के  विचार  तथा  एक  छोटी  चिड़िया
की  भावनाओं  को  बड़े  मार्मिक  रूप  में  प्रस्तुत  किया  है ।
सेठ  माधवदास  चिड़िया को  कैद  करके  अपने  पास रखना
चाहता  है । इसलिए  वह  तरह-तरह  के  प्रलोभन  देकर  उस
चिड़िया  को  अपनी  बातों  में  उलझाए  रखता  है ,  पर
कोमलप्राण  चिड़िया  को  सेठ  की  बातें  समझ  नहीं आतीं ।
वह  तो  केवल  अपनी  माँ  को  जानती  है । अतः अँधेरा होने
से  पहले  अपनी  माँ  के  पास  पहुँच  जाना  चाहती  है । वह
कोमलप्राण  चिड़िया  प्रेम  की  भूखी  है । उसके  मातृस्नेह के
आगे धन  का कोई  महत्व  नहीं  हैं । इसलिए  सेठ  के  नौकर
के  खुले  पंजे  में  आकर  भी  वह  न  आ  सकी  और  उड़ती
हुई  एक  साँस  में  अपनी  माँ  के  पास  पहुँच  गयी । यह
कहानी  बच्चों  को  सकारात्मक  प्रेरणा  देती  है ।  हमें  इस
कहानी  से  यह  सीख  मिलती  है  कि  लालच  या  प्रलोभन
हमारे  जीवन  में  अंधकार  लाता  है  तथा  हमें   इससे  दूर
रहना  चाहिए । तभी  हमें  जीवन  में  प्रकृत  आनंद  मिलेगा ।

अभ्यासमाला 

■ बोध  एवं  विचार 

1. सही  विकल्प  का  चयन  करो  :

    (क) सेठ  माधवदास  ने  संगमरमर  की  क्या  बनवाई  है  ?
    (1) कोठी  (2) मूर्त्ति  (3) मंदिर  (4) स्मारक

    (ख) किसकी  डाली  पर  एक  चिड़िया  आन  बैठी  ?
    (1) जूही  (2) गुलाब  (3) बेला  (4) चमेली

    (ग) चिड़िया  के  पंख  ऊपर  से  चमकदार  और  स्याह   थे ।
    (1) सफेद  (2) स्याह  (3) लाल  (4) पीला

    (घ) चिड़िया  से  बात  करते - करते  सेठ  ने  एकाएक  दबा
    दिया ---
    (1) हाथ  (2) पाँव  (3) बटन  (4) हुक्का

2. संक्षिप्त  में  उत्तर  दो  ( लगभग  25  शब्दों  में ) :

    (क) सेठ  माधवदास  की  अभिरुचियों  के  बारे  में  बताओ ।
    उत्तर : सेठ  माधवदास  सुंदर  अभिरुचि  के  आदमी  हैं ।
    उनको  कला  से  बहुत  प्रेम  है । फूल - पौधे , रकाबियों  से
    हौजों  में  लगे  फव्वारों  में  उछलता  हुआ  पानी  उन्हें  बहुत
    अच्छा  लगता  है ।

    (ख) शाम  के  समय  सेठ  माधवदास  क्या - क्या  करते  है ?
    उत्तर : शाम  के  समय  सेठ  माधवदास  अपने  कोठी  के
    बाहर  चबूतरे  पर  तख्त  डलवाकर  मसनद  के  सहारे  गलीचे
    पर  बैठते  हैं  और  प्रकृति  की  छटा  निहारते  हैं । साथ  में
    मित्र  होने  से  उनसे  विनोद - चर्चा  करते  हैं , नहीं  तो  उनसे
    रखे  हुए  फर्शी  हुक्के  की  सटक  को  मुँह  में  दिए  ख्याल ही
    ख्याल  में  संध्या  को  स्वप्न  की  भाँति  गुजार  देते  हैं ।

    (ग) चिड़िया  के  रंग - रूप  के  बारे  में  क्या  जानते  हो ?
    उत्तर : चिड़िया  बहुत  सुंदर  थी । उसकी  गरदन  लाल  थी
    और  गुलाबी  होते - होते  किनारों  पर  जरा - जरा  नीली  पड़
    गई  थी । पंख  ऊपर  से  चमकदार  स्याह  थे । उसका नन्हा -
    सा  सिर  तो  बहुत  प्यारा  लगता  था  और  शरीर  पर  चित्र -
    विचित्र  चित्रकारी  थी । वह  खूब  खुश  मालूम  होती  थी ।
    अपनी  नन्ही  सी  चोंच  से  प्यारी - प्यारी  आवाज  निकल
    रही  थी ।

    (घ) चिड़िया  किस  बात  से  डरी  रही  थी ?
    उत्तर : जब  माधवदास  ने  चिड़िया  से  कहा  कि  भीतर
    महल  में  चलो । उनके  पास  बहुत  सा  सोना - मोती  है । वह
    चिड़िया  से  कहने  लगा  कि  उनके  लिए  सोने  का  एक
    बहुत  सुन्दर  घर  बनाया  जाएगा , मोतियों  की  झालर  उसमें
    लटकेगी । तुम  मुझे  खुश  रखना । इन  सब  बात  से  चिड़िया
    डरी  रही  थी ।

    (ङ) ' तु  सोना  नहीं  जानती , सोना ? उसी  की  जगत  को
    तृष्णा  है ।'  - आशय  स्पष्ट  करो ।
    उत्तर : माधवदास  चिड़िया  से  कहने  लगी  कि  उनके  पास
    ढेर का ढेर सोना है । चिड़िया के  घर  समूचा  सोने  का  होगा ।
    ऐसा  पिंजरा  बनवाऊँगा  कि  कहीं  दुनिया  में  न होगा जिसके
    भीतर  वह  चिड़िया  थिरक-फुदककर  उसे  खुश  कर सकेगा,
    उसके  भाग्य  खुल  जाएगा  तथा  पानी  पीने  वाला  कटोरी भी
    सोने  का  कहकर  माधवदास  चिड़िया  को  सोने  के बारे  में
    बताते  है ।

3. निम्नलिखित  प्रश्नों  के  उत्तर  दो ( लगभग  50 शब्दों  में )

    (क)किन  बातों  से  ज्ञात होता  है  कि  माधवदास  का  जीवन
    संपन्नता  से  भरा था  और  किन  बातों  से  ज्ञात  होता  है  कि
    वह  सुखी  नहीं  था ?
    उत्तर : माधवदास  सुंदर  अभिरुचि  के  आदमी  है । उसने
    अपनी  संगमरमर  की  नई  कोठी  बनवाई  है । उसके  सामने
    बहुत  सुहावना  बगीचा  भी  लगवाया  है । उनको  कला  से
    बहुत  प्रेम  है । धन  की  कमी  नहीं  है  और  कोई  व्यसन  छू
    नहीं  गया  है । समय  भी  उनके  पास  काफी  है । इन  बातों
    से  ज्ञात  होता  है  कि  माधवदास  का  जीवन  संपन्नता  से
    भरा  था  और  सब  कुछ  होने के बावजूद  उन्हें  अपने जीवन
    में  कुछ  खाली  सा  महसूस  होता  था  तथा  कह  सकते  है
    अकेलापन  महसूस  होता  था , इन  बातों  से  ज्ञात  होता  है
    कि  वह  सुखी  नहीं  था ।

    (ख) सेठ  माधवदास  चिड़िया  को  क्या - क्या  प्रलोभन  दे
    रहा  था  ?
    उत्तर  : सेठ  माधवदास  चिड़िया  को  सोने  का  एक  बहुत
    सुंदर  घर  बना  देने , मोतियों  की  झालर , सोने  का  पिंजरा ,
    पानी  पीने  के  लिए  सोने  की  कटोरी , अनगिनति  फूलों  के
    बगीचे , उनकी  खुशबू  तथा  उनसे  तरह - तरह  प्रश्न  आदि
    पुछकर  प्रलोभन  दे  रहा  था  ।

    (ग) माधवदास  क्यों  बार - बार  चिड़िया  से  कहता  है  कि
    यह  बगीचा  तुम्हारी  ही  है  ? क्या  माधवदास  नि:स्वार्थ  मन
    से  ऐसा  कह  रहा  था  ?
    उत्तर  : माधवदास  बार - बार  चिड़िया  से  कहता  है  कि  यह
    बगीचा  तुम्हारी  ही  है  क्योंकि  चिड़िया  को  देखकर  उनका
    चित्त  प्रफुल्लित  हुआ  था । उन्हें  देखकर  उनकी  रागनियों
    का  जी  बहलेगा । सच  माने  तो  वह  चिड़िया  को  पिंजरे  में
    केद  करके  रखना  चाहता  था ।
            नही , माधवदास  नि:स्वार्थ  मन  से  ऐसा  नही  कह  रहा
    था । वह  स्वार्थी  था  इसलिए  उस  चिड़िया  को  पिंजरे  में
    केद  करना  चाहता  था ।
    

      

Sunday, 10 May 2020

Student's Guide : Class 10( SEBA) | Hindi Textbook Solution | Aalok Bhag - 2 | अध्याय- 3 : नीलकंठ - महादेवी वर्मा |

अभ्यासमाला

Page No  : 31
■ बोध  एवं  विचार 

1. सही  विकल्प  का  चयन  करो  :

    (क) नीलकंठ  पाठ  में  महादेवी  वर्मा  की  कौन-सी  विशेषता
    परिलक्षित  हुई  है ?
    
    (अ)    जीव - जंतुओं  के  प्रति  प्रेम
    (आ)   मनुष्यों  के  प्रति  सहानुभूति
    (इ)     पक्षियों  के  प्रति  प्रेम
    (ई)     राष्ट्रीय  पशुओं  के  प्रति  प्रेम

    (ख) महादेवी  वर्मा  ने  मोर -मोरनी  के  जोड़े  के लिए  कितनी
    कीमत  चुकाई ? 

    (अ)  पाँच  रुपये                    (आ) सात  रुपये
    (इ)   तीस  रुपये                  (ई) पैंतीस  रुपये

    (ग) विदेशी  महिलाओं  ने  नीलकंठ  को  क्या  उपाधि  दी थी ?

    (अ)  परफैक्ट  जेंटिलमैन     (आ) किंग  ऑफ  द  जंगल
    (इ)   ब्यूटीफूल  बर्ड               (ई) स्वीट  एंड  हैंडसम  परसन 

    (घ) महादेवी  वर्मा  ने  अपनी  पालतू  बिल्ली  का  नाम  क्या
    रखा  था ?

    (अ)   चित्रा                        (आ) राधा
    (इ)    कुब्जा                       (ई) कजली 

    (ङ) नीलकंठ  और  राधा  की  सबसे  प्रिय  ऋतु  थी ---

    (अ)   ग्रीष्म  ऋतु                (आ) वर्षा  ऋतु
    (इ)    शीत  ऋतु                 (ई)    वसंत  ऋतु 

2. अति  संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  25  शब्दों  में )

    (क)   मोर - मोरनी  के  जोड़े  को  लेकर  घर  पहुँचने  पर  सब
            लोग  महादेवी  जी  से  क्या  कहने  लगे  ?
    उत्तर : मोर-मोरनी  के  जोड़े  को  लेकर  घर  पहुँचने  पर  सब      लोग  महादेवी  जी  से  कहने  लगे  कि  यह  तो  तीतर  हैं, मोर      कहकर  ठग  लिया  है ।

    (ख) महादेवी  जी  के  अनुसार  नीलकंठ  को  कैसा  वृक्ष
          अधिक  भाता  था ?

    उत्तर : महादेेवी  वर्मा  जी केे  अनुसार  नीलकंठ  को  फलों के      वृक्षों  से  अधिक  पुष्पित  और  पल्लवित  वृक्ष  भाते  थे ।

    (ग) नीलकंठ  को  राधा  और  कुब्जा  में  किसे  अधिक  प्यार
          था  और  क्यों  ?
    उत्तर  : नीलकंठ  को  राधा  और  कुब्जा  में  राधा  से  अधिक
    प्यार  था  क्योंकि  वे  दोनों  आपस  में  बहुत  मिल  थे । दोनों
    एकसाथ  नृत्य  करते  थे । नीलकंठ  और  राधा  की  सबसे
    प्रिय  ऋतु  वर्षा  थी । मेघ  के  गर्जन  के  ताल  पर  ही  वे
    तन्मय  नृत्य  का  आरंभ  करता ।

    (घ) मृत्यु  के  बाद  नीलकंठ  का  संस्कार  महादेवी  जी  ने
          कैसे  किया  ?
    उत्तर  : मृत्यु  के  बाद  नीलकंठ  का  संस्कार  करने  के  लिए
    महादेवी  जी  ने  अपने  शाल  में  लपेटकर  उसे  संगम  ले गई
    और  वहाँ  गंगा  की  बीच  धार  में  उसे  प्रवाहित  कर  दिया ।
   

Monday, 20 April 2020

Student's Guide : Class 9 | Hindi Textbook Solution | आलोक भाग - १ | पाठ - ३ : बिंदु - बिंदु विचार - रामानंद दोषी |

अभ्यासमाला 
( 1 )

1. पूर्ण  वाक्य  में  उत्तर  दो :

(क) मुन्ना  कौन - सा  पाठ  याद  कर  रहा  था  ?
उत्तर  :"क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट टु गाॅॅॅॅडलीनेस"- यह  पाठ  याद  कर रहा  था ।

(ख) मुन्ना  को  बाहर  कौन  बुला  रहा  था  ?
उत्तर  : मुन्ना  को  उनके  मित्र  बाहर  बुला  रहा  था ।

(ग) मुन्ना की बहन  उसके के लिए  क्या-क्या कार्य  किया करती थी ?
उत्तर  : मुन्ना  की  बहन  उसके  के  लिए  बहुत  सारी  कार्य करती  थी । मुन्ना  के  पढ़ाई  के  बाद  उनकी  बहन  मेज  के पास  पहुँचकर  बिटिया  निशान  के  लिए  कागज  लगाकर  उसकी  किताब  बंद  करती  हैं ; किताबों - कापियों - कागजों  के  बेतरतीब  ढेर  को  सँवारकर  करीने से  चुनती  हैं ; खुले  पड़े  पेन  की  टोपी  बंद करती  हैं ; गीला  कपड़ा लाकर  स्याही  के  दाग - धब्बे  पोंछती  हैं  और  कुरसी  को  कायदे  से  रखकर  चुपचाप  चली  जाती  हैं । 

(घ) आपकी  राय  में  अंग्रेजी  की  सूक्ति  का  मुन्ना  और  उसकी  बहन  में  से  किसने  सही - सही  अर्थ  समझा  ?
उत्तर  : मेरी  राय  में  अंग्रेजी  की  सूूक्ति  का  अर्थ  उसकी  बहन  ने  सही - सही  समझा  क्योंकि  मुन्ना  जो  पढ़ता  था  उसके  अर्थ  को    समझ - बूझकर  आचरण  में  सही  ढंग  से  उतार  पाने  में  असमर्थ था। बल्कि  उसकी  बहन को अंग्रेजी  समझ  नहीं  आने  के  बावजूद  अपनी  सेवा-भावना  से  हर  काम  सही  ढंग  से  करती  थी ।

(ङ) पाठ  के  अनुसार  सात  समंदर  की  भाषा  क्या  है  ?
उत्तर  : पाठ  के  अनुसार  सात  समंदर  की  भाषा  यह  है - जो अपनी  मानसिक सोच  से  दूर  हो ; जैसे  मुन्ना  का अंग्रेजी  पढ़ना। उसकी बहन  को  समझ  नहीं  आ  रही  थी । वह सोच  रही थी  कि भाईया जो  पढ़  रहा  है , सात  समंदर  की  दूर  की  पढ़ाई  होगी ।

2. संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  25 शब्दों  में  )

(क) लेखक  का  ध्यान  अपनी  किताब  से  उचत  कर  मुन्ना  की  ओर  क्यों  गया  ?
उत्तर  : लेखक   का  ध्यान  अपनी  किताब  से  उचत  कर  मुन्ना  की ओर  गया  क्योंकि  जो  पाठ  मुन्ना  पढ़  रहा  था - "क्लीनलीनेस  इज    नेक्स्ट  टु  गाॅडलीनेस" , उसका  अर्थ  समझ  रहा  था कि शुचिता देवत्व  की  छोटी  बहन  है । बल्कि  सही  अर्थ  यह  है  कि  स्वच्छता, भक्ति से  भी  बढ़कर  है ।

(ख) बिटिया  मुन्ना  की  मेज  को  क्यों  सँवार  देती  है  ?
उत्तर  : बिटिया  मुन्ना  की  मेज  को  सँवार  देती  है  क्योंकि  भाई  पर    बहुत  लाड़  है  उसकी । भाई  सात  समंदर  की  भाषा  पढ़  रहे  हैं -    इसलिए  उनका  आदर  भी  करती  है ।

(ग) लेखक  को  सारे  प्रवचन - अध्ययन  बौने  क्यों  लगे  ?
उत्तर  : लेखक   को  सारे  प्रवचन - अध्ययन  बौने  लगे  क्योंकि  गंभीर घोष  से  सुललित  शैैली  में  दिए  गए  अनेकानेक  भाषणों  में सुने सुंदर  सुगठित  वाक्य  कानों  में  गूँजने  लगते  हैं । मनमोहिनी  जिल्द  की  शानदार  छपाईवाली  पुस्तकों  में  पढ़े  कलापूर्ण अंश  आँखों  के आगे  तैर  जाते  हैं ।

(घ) "हम  वास्तव  में  तुम्हारे  समक्ष  श्रद्धानत  होना  चाहते  हैं ।" - इस  वाक्य  में  लेखक  ने  'वास्तव'  शब्द  का  प्रयोग  क्यों  किया  गया  है ?
उत्तर : इस  वाक्य  में  लेखक  ने  'वास्तव'  शब्द  का प्रयोग इसलिए किया  है  क्योंकि  मुन्ना  नाम  के  बच्चे  के  माध्यम  से  हमें  बताना चाहता  है  कि  किसी  भी  सीख  को  रट  लेने  के  बजाय  उसे समझ-बूझकर  आचरण  में  सही  ढंग  से  उतार  पाने  के  लिए  कोशिश करना  चाहिए ।  वाणी  और  व्यवहार  में  समता  लाने  के  लिए आग्रह  कर  रहे  है । 

(ङ) ' वाणी  और  व्यवहार  में  समता  आने  दो । ' - यदि वाणी  और
व्यवहार एक हो  तो  इसका  परिणाम  क्या  होगा  ? अपना  अनुभव
व्यक्त करो ।
उत्तर : यदि  वाणी  और  व्यवहार  एक  हो  तो  एक  इंसान  बहुत  आगे
निकल  जाएंगे । वह  आत्मविश्वास  के  साथ  खुद  आगे  बढ़ते  हुए
दूसरों  को  भी  मदद  का  हाथ  बढ़ायेगा । हमें  किसी  भी  सीख  को
रट  ने  के  वजाय  उसे  समझ-बूझकर  आचरण  में  सही  ढंग  से  उतार
लेने  से  एक  सकारात्मक  व्यक्तित्व  निर्माण  में  मदद  मिलता  है । 

(च) ' पाठ  याद  हो  गया । ' मुन्ना  का  पाठ  याद  हो  जाने  पर  भी
लेखक  उससे  प्रसन्न  नहीं  हैं , क्यों  ? 
उत्तर : मुुन्ना  का   पाठ  याद  हो  जाने  पर  भी  लेखक  उससे  प्रसन्न
नहीं  हैं  क्योंकि  वह  पाठ  को  जोर-जोर  से  रट  रहे  थे । वह  पाठ
का  अर्थ  भी  कुछ  दूसरा  ही  समझ  रहा  था । वह  पाठ  का  सही
अर्थ  समझ-बूझकर  आचरण  में  सही  ढंग  से  उतार  पाने  में  असमर्थ
था । 

(छ) लेखक  ने  इस  निबंध  में  अंग्रेजी  की  सूक्ति  - ' क्लीनलीनेस  इज़
नेक्स्ट  टु  गाॅडलीनेस ' को  आधारबिंदु  क्यों  बनाया  है  ? 
उत्तर : लेखक  ने  इस  निबंध  में  अंग्रेजी  की  सूक्ति - ' क्लीनलीनेस
इज  नेक्स्ट  टु  गाॅडलीनेस ' को  आधारबिंदु  बनाया  है  क्योंकि  इस
सूक्ति  से  पाठ  का  भाव  स्पष्ट  हुआ  है । लेखक  के  अनुसार  वाणी
और  व्यवहार  में  समता  लाने  की  आवश्यक  है । 

Friday, 3 April 2020

Student's Guide : Class 9 |Assamese Textbook Solution| অসমীয়া সাহিত্য চয়নিকা (নতুন)-প্ৰথম ভাগ|পাঠ নং ০৮ : অন্ধবিশ্বাস আৰু কুসংস্কাৰ -- জয়ন্ত মাধৱ বৰা|

পৃষ্ঠা নং : ৪০

শব্দাৰ্থ আৰু টোকা  : 

অপদেৱতা  অহিত বা অপকাৰ  সধা দেৱতা  ; ভূত - প্ৰেত  ।

অবাঞ্ছিত   যিটো বাঞ্ছা কৰা নহয়  , বিচৰা নহয়  । 

ইতিবাচক  কোনো কথা বা কামৰ প্ৰতি সন্মতিসূচক ।

কলুষিত  কলংকযুক্ত   ।

গতিৰোধক  গতিক বাধা দিয়া  ব্যবস্থা  । 

গুজৱ   উৰাবাতৰি   ।

দেহাবয়ব  দেহৰ গঠন  ; দেহৰ অবয়ব  ।

নেতিবাচক   অসন্মতি  প্ৰকাশ  কৰা , ঋণাত্মক   ।

প্ৰতিকুলতা  বিপৰীত  অৱস্থা  , বাধা  ।

প্ৰমূল্য  মানদণ্ড  , বিশেষ মূল্য  ।

বন্দিত  : যাক বন্দনা কৰা হয়  , পূজনীয়  ।

বড়ি  ঔষধৰ সৰু  ঘূৰণীয়া  গুটি ।

ভ্ৰান্ত বিশ্বাস   ভুল ধাৰণা  ।

মনস্তাত্বিক   মনৰ প্ৰকৃতি  সম্পৰ্কীয়  ।


প্ৰশ্নাৱলী  : 
--------------
ভাব - বিষয়ক  : 

১। চমু উত্তৰ  দিয়া  : 

( ক ) উৰাবাতৰি  মানে কি ? 

উত্তৰ  : যিবোৰ  বাতৰি  সত্যৰ  ওপৰত  প্ৰতিষ্ঠিত   নহয়  , অথচ 

অজ্ঞতাৰ  কাৰণে   বা   মানুহক  উত্তেজিত   কৰি  তুলিবৰ  

বাবেই   উদ্দেশ্য   প্ৰণোদিতভাৱে   প্ৰচাৰ   কৰা  হয়   আৰু   

চিন্তাশূন্য   , বিবেকশূন্য  কিছু   লোকে   সেই   বাতৰিক  সত্য  

বুলি  বিশ্বাসো কৰে , সেয়াই  সহজ  ভাষাত   উৰাবাতৰি  ।

( খ ) কুসংস্কাৰ   মানে  কি   ? 

উত্তৰ  : যিবোৰ  নীতি -নিয়ম  ,  ব্যৱস্থা  ,  পৰম্পৰা   এখন  সুস্থ  

সমাজৰ   পৰিপন্থী   ,  সমাজৰ   অগ্ৰগতিত  গতিৰোধক   হৈ  

থিয়  দিয়ে  সেইবোৰেই  হৈছে  কুসংস্কাৰ   ।  কুসংস্কাৰে  মানুহৰ  

চিন্তাৰ  দিগন্তক  প্ৰসাৰিত  নকৰে   । 

( গ ) 'অন্ধবিশ্বাস , কুসংস্কাৰ  পৃথিৱীৰ  আটাইতকৈ  গধুৰ  

বোজা । ' --- কথাষাৰ   কোনে  কৈছিল  ? 

উত্তৰ  : উক্ত  কথাষাৰ  ড°  সৰ্বপল্লী  ৰাধাকৃষ্ণণে  কৈছিল  । 

( ঘ ) কোনখন  সন্ধিৰ  পিছত  আৰু  কেতিয়া  অসম  বৃটিছৰ  

অধীনলৈ  যায়  ? 

উত্তৰ  : ১৮২৬  চনৰ  ইয়াণ্ডাবু  সন্ধিৰ  পিছত  অসম  বৃটিছৰ  

অধীনলৈ  যায়  । 

( ঙ ) অসমলৈ  আহি  শদিয়াৰ  সেমেকা  জলবায়ুত  

মিছনেৰীসকল  কেনে  ধৰণৰ  ৰোগত  আক্ৰান্ত  হৈছিল  ? 

উত্তৰ  : অসমলৈ  আহি  শদিয়াৰ  সেমেকা জলবায়ুত  

মিছনেৰীসকল  কলেৰা  ৰোগত  আক্ৰান্ত  হৈছিল  ।

২৷  অন্ধবিশ্বাস  মানে  কি  ?  অন্ধবিশ্বাসে  সমাজত  কেনে  

ধৰণৰ  সমস্যাৰ  সৃষ্টি  কৰিব  পাৰে  লিখা  ? 

উত্তৰ  : যিবোৰ  বিশ্বাস  বা  ধাৰণা  যুক্তিৰ  ওপৰত  প্ৰতিষ্ঠিত  

নহয়  ,  বিজ্ঞানে  যিবোৰ  বিশ্বাসক  , ধাৰণাক  , ঘটনাক  অসত্য 

আৰু  অমূলক  বুলি  প্ৰতিপন্ন  কৰিছে  সেইবোৰেই  হৈছে  

অন্ধবিশ্বাস  । 

      অন্ধবিশ্বাসে  সমাজত  এক  জটিল  সমস্যাৰ  সৃষ্টি  কৰে ।

ভূতক  লৈ  আমাৰ  সমাজত  বহুত  অন্ধবিশ্বাস  আছে  ।  

গ্ৰামাঞ্চলত  আজিও  ৰাতি  ভূত  ওলায়  বুলি  বহুতে  বিশ্বাস  

কৰে ।  কেৱল  গাঁও  অঞ্চলতে  নহয়  , চহৰাঞ্চলতো 

ল'ৰা-ছোৱালীৰ  মনত  ভূতৰ  ভয়  আছে  ।  ল'ৰা-ছোৱালীৰে 

নহয়  , ডাঙৰৰো  আছে  ।  

      'সোপাধৰা ' আন  এক  অন্ধবিশ্বাস  ।  কিছুমান  ঠাইত  

' ল'ৰাধৰা ' বুলিও  মানুহৰ  মাজত  প্ৰচলিত  । এই  সম্পৰ্কত  

উৰাবাতৰি  এনেদৰে  ওলায়  যে  বেলেগ ঠাইৰ  পৰা  বেলেগ  

দেহাবয়বৰ  এজন  বা  দুজন  লোক  আহি  সেই  ঠাইৰ  সৰু  

ল'ৰাৰ  মূখত  সোপা  মাৰি  ধৰি  লৈ  যায়  । মানুহে  সত্যাসত্য  

বিচাৰ  নকৰি  অচিনাকি  আৰু  সচৰাচৰ  নেদেখা  দেহাবয়বৰ  

মানুহ  দেখিলেই  আক্ৰমণ  কৰি  এক  অপ্ৰীতিকৰ  অমানৱীয়  

পৰিস্থিতিৰ  সৃষ্টি  কৰে  ।

      বৰ্তমান  সময়তো  আমাৰ  সমাজত  বিশেষকৈ  

গ্ৰামাঞ্চলবোৰত  ' ডাইনী ' ক  লৈ  এক  অন্ধবিশ্বাসে  গা  কৰি 

উঠিছে  ।  ইয়াৰ  পৰিণামস্বৰূপে   বহুত  অপ্ৰীতিকৰ  পৰিস্থিতিৰ 

সৃষ্টি  হৈছে  ।  আনকি  সংঘৰ্ষ  বা  হত্যা  আদি  অমানৱীয়  

ক্ৰিয়া-কলাপো  সংঘটিত  হৈছে  ।  ' ডাইনী ' এক  সামাজিক  

ব্যাধি  , এক  কল্পিত  সন্ত্ৰাস  ।  ডাইনী  এক  ভ্ৰান্ত  বিশ্বাস  ।  

ভূত-প্ৰেত ,  সোপাধৰা , ডাইনী   এইবোৰৰ   অস্তিত্ব  বিজ্ঞানে  

নস্যাত  কৰিছে  ।  একবিংশ  শতিকাৰ  বিজ্ঞান  আৰু  

প্ৰযুক্তিবিদ্যাৰ   চৰম  উন্নতিৰ  যুগতো , সহজভাৱে  টকা  

ঘটিবলৈ  খুব  চতুৰালিৰে  কৰা  এইবোৰ  দুষ্ট  লোকৰ   কাম  । 

৩৷ কি  কি  কাৰণত  অন্ধবিশ্বাস  , কুসংস্কাৰৰ  দ্বাৰা  জনসাধাৰণ

প্ৰভাৱিত  হয়  ? 

উত্তৰ  : অন্ধবিশ্বাস  , কুসংস্কাৰৰ  দ্বাৰা  জনসাধাৰণ  প্ৰভাৱিত  

হোৱা  কেইবাটাও  কাৰণ  আছে  ।  তাৰে  কেইটামান  মূখ্য  

কাৰণ  তলত  উল্লেখ  কৰা  হ'ল  ------

১)  সম্প্ৰতি  অসমৰ   সাক্ষৰতাৰ   হাৰ  ৭৩ . ১৮   শতাংশ  । 

পুৰুষৰ   ৭৮ .৮১  শতাংশ   আৰু   মহিলাৰ   ৬৭ .২৭  শতাংশ  ।

সেই  দৃষ্টিকোণৰ  পৰা চাবলৈ  গ 'লে  শিক্ষাৰ  অভাৱৰ  বাবে  

বুলি   কোৱাতকৈ  জ্ঞানৰ  অভাৱৰ  বাবেহে   মানুহ   কুসংস্কাৰ  , 

অন্ধবিশ্বাসৰ  বশৱৰ্তী  হয়   বুলি   ক'ব  পাৰি  ।  জ্ঞানৰ  অভাৱৰ 

বাবেই  এজন  মানুহে   তেওঁৰ   আৱেগক  নিয়ন্ত্ৰণ   কৰিব  

 নোৱাৰে  ।  আবেগ  নিয়ন্ত্ৰণ   কৰিব   নোৱাৰাৰ  এটা  মূল  

 কাৰণ   হৈছে  অধ্যয়নবিমুখিতা  ।  মানুহ   শিক্ষিত   হৈছে   , 

কিন্তু   সেই  অনুপাতে   হৈছে   অধ্যয়নবিমুখ ।  যাৰ ফলত  

সমাজত   বিশৃংখল  পৰিৱেশ   ,  অপ্ৰীতিকৰ   পৰিস্থিতিৰ  সৃষ্টি  ,

অমানৱীয়   কাৰ্য  - কলাপ  সংঘটিত  হৈছে  ।  

২)  প্ৰত্যেক  মানুহেই  নিজৰ  স্বভাৱ  ,  চৰিত্ৰ  আৰু  জীৱনৰ

পৰা  পোৱা   শিক্ষাৰ   ওপৰত  ভিত্তি  কৰি   সন্মুখত   দেখা

ঘটনা  একোটাক  বিশ্লেষণ  কৰে  ।  ঘটনাটোত  তেওঁৰ  ভূমিকা

ইতিবাচক  হ'ব  নে  নেতিবাচক   হ'ব ,   সেইটো  নিৰ্ভৰ  কৰে

তেওঁৰ দৃষ্টিভংগীৰ  ওপৰত  ।  কিন্তু  ভোগসৰ্বস্ব  , অধ্যয়নবিমুখ  ,

গভীৰ  চিন্তাৰে  নিজক  উজ্জ্বলাব  নোৱাৰা  আজিৰ  প্ৰায়বোৰ

মানুহে  কথাবোৰ  ,  সন্মুখত  ঘটা  ঘটনাবোৰ  প্ৰায়ে  নেতিবাচক

দৃষ্টিভংগীৰে  চায় ।

৩) যিবিলাক  মানুহক  ভাল  কাম কৰাৰ  দায়িত্ব  দিয়া  হৈছে  ,

দেখা  গৈছে   ক্ষুদ্ৰ  ক্ষুদ্ৰ  স্বাৰ্থসিদ্ধিৰ  বাবে  সেই  দায়িত্বশীল

মানুহবোৰেও  কেতিয়াবা   সমাজৰ  বাবে  নেতিবাচক  কাম

কৰে ।  নেতৃস্থানীয়  ব্যক্তিসকলৰ   তেনে কাম - কাজ  তেওঁৰ

অনুগামীসকলেও  অনুকৰণ  কৰাৰ  ফলত  সমাজৰ  কাৰণে

কেতিয়াবা   ভয়ংকৰ ভাৱে  ক্ষতিকাৰক  হৈ  পৰে  ।

৪) ভ্ৰমণ  হৈছে  শিক্ষাৰ  এক  অন্যতম  অংগ  ।  ভ্ৰমণৰ যোগেদি

মানুহে   নজনা  কথা  জানে ,  বিভিন্নজনৰ  লগত  পৰিচয়  ঘটে ।

ভ্ৰমণে  মনৰ  পৰিধি  বহল  কৰে  ।  ভিতৰুৱা  যোগাযোগ

ব্যৱস্থাৰ   সুবিধা  নথকা  অঞ্চলৰ  বহু  লোকে  মনৰ  ভাৱ

বাহিৰৰ  অঞ্চলৰ  লোকৰ  সৈতে   বিনিময়  কৰাৰ  সুবিধা

নাপায়  ।  সেয়ে   অন্ধবিশ্বাসী  হোৱাৰ  , কুসংস্কাৰ  সাৱটি

থকাৰ  ইও  এটা  কাৰণ  ।

৫ ) সমাজত   কেতিয়াবা   স্বাৰ্থপূৰণৰ  বাবে  কিছুমান  অসৎ

প্ৰবৃত্তিৰ  লোকে   অন্ধবিশ্বাস  বিয়পাই  দিয়ে  ।  উৰাবাতৰিৰে

মানুহক   উত্তেজিত   কৰি  তোলে  ।  ইমান   চতুৰালিৰে  এই

অন্ধবিশ্বাসবোৰ  প্ৰচাৰ  কৰে  যে  অশিক্ষিত  মানুহৰ  কথা বাদেই

শিক্ষিত  সমাজেও  সেইবোৰ  বিশ্বাস   কৰি  লয় । তাৰ ফলত

সেই  অসৎ  প্ৰবৃত্তিৰ  লোকজনৰ  কিবা  এটা  স্বাৰ্থ  সিদ্ধি   হয়  ,

কিন্তু  ঘটিব  নলগীয়া  অমানৱীয়  ঘটনা  এটাও  হয়তো  ঘটি

যায়  ।

৬ ) আমাৰ  সমাজত  কষ্ট  নকৰাকৈ  কম  আয়াসতে  আমাক

সকলো   লাগে  ।  এনে  চিন্তাধাৰা  থকা লোকো  নোহোৱা  নহয়।

কষ্ট  নকৰাকৈ  সাফল্য  লাগে  , কষ্ট  নকৰাকৈ  ধন -সম্পত্তি

ঘটিবলৈ  লাগে  ,  ভোগ - বিলাসত  মত্ত  হ'বলৈ  লাগে  । সহজে

সকলো  পাবৰ  বাবে আশা কৰা লোকে  অন্ধবিশ্বাসী  হয়  পৰে ।

৭ ) মনোবৃত্তি  হৈছে  আন  এটা  মূখ্য  কাৰণ ।   অন্ধবিশ্বাস  ,

কুসংস্কাৰৰ  গৰাহত  নপৰিবৰ  বাবে  লাগিব  এটা   যুক্তিবাদী

মন , লাগিব  বিজ্ঞানমনস্কতা  ।  সমাজত  বাস  কৰা  মানুহৰ  মন

মনোবৃত্তি  বিজ্ঞানৰ  যুক্তিৰ  ওপৰত  প্ৰতিষ্ঠিত  নোহোৱাৰ বাবে

মনৰ  পৰা  অন্ধবিশ্বাস  , কুসংস্কাৰ  আদি  আঁতৰাব  পৰা  নাই  ।

৪ ৷  অন্ধবিশ্বাস  , কুসংস্কাৰ আদি নিয়ন্ত্ৰণ কৰিবলৈ  কেনে 

ধৰণৰ আঁচনি  গ্ৰহণ  কৰিব  পাৰি   ? 

উত্তৰ  : অন্ধবিশ্বাস আৰু কুসংস্কাৰ আদি নিয়ন্ত্ৰণ কৰিবলৈ  

আমি  বিভিন্ন  আঁচনি  গ্ৰহণ কৰিব পাৰি  । তাৰে  ভিতৰত 

সজাগতা  হ'ল  এটা  শক্তিশালী  আহিলা  ।  বিদ্যালয়ৰ  

পাঠ্যক্ৰমত   এই বিষয়টো  অন্তৰ্ভুক্ত  কৰি  সৰুৰে পৰা  ছাত্ৰ  -

ছাত্ৰীৰ  মাজত   অন্ধবিশ্বাস আৰু কুসংস্কাৰৰ  ভয়াবহতাৰ  

ওপৰত সজাগতা  দিয়াৰ  ব্যৱস্থা কৰিব  লাগে  ।  শিক্ষিত 

সমাজে  এই  বাৰ্তাৰ  প্ৰচাৰ  কৰি  অশিক্ষিত  লোকসকলৰ বাবে 

স্বাৰ্থপৰ মনোভাৱ  ত্যাগ কৰি  এটা   বিজ্ঞানভিত্তিক  মনোবৃত্তি 

প্ৰদান  কৰাৰ  দায়িত্ব  গ্ৰহণ  কৰিব  লাগে  ।  বিদ্যালয়  আৰু  

মহাবিদ্যালয়  পৰ্যায়ত  এনে  বিষয়ৰ  ওপৰত  ৰচনা  

প্ৰতিযোগিতা  বা  তেনেধৰণৰ  অন্যান্য  প্ৰতিযোগিতাৰে  ছাত্ৰ - 

ছাত্ৰীক  জড়িত   কৰিও  সজাগতা   আনিব   পৰা  যায়   ।  

      ভ্ৰমণ  হৈছে শিক্ষাৰ  এক অন্যতম অংগ  ।  ভ্ৰমণৰ  যোগেদি  

মানুহে  নজনা কথা জানে  , বিভিন্নজনৰ  লগত পৰিচয় ঘটে  ।

ই  মনৰ  পৰিধি  বহল  কৰে  ।  ভিতৰুৱা যোগাযোগ ব্যৱস্থাৰ  

সুবিধা নথকা অঞ্চলৰ বহু লোকে মনৰ ভাৱ  বাহিৰৰ অঞ্চলৰ 

লোকৰ সৈতে বিনিময় কৰাৰ সুবিধা নাপায়  ।  যাৰ ফলত  এনে

ধৰণৰ  এক  অপ্ৰীতিকৰ   অমানৱীয়   পৰিস্থিতিৰ  সৃষ্টি  হয়  । 

সেয়ে   সমাজত   শিক্ষিত চামে  এনে  পদক্ষেপ  হাতত  

লোৱাতো  নিতান্তই  প্ৰয়োজন  ।  

      তথ্যচিত্ৰ   বা  তেনেধৰণৰ   প্ৰচাৰ   মাধ্যমৰ   জৰিয়তে  

জনতাৰ  মাজত   সজাগতা   অনাতো  খুব জৰুৰী  ।  এনে

তথ্যচিত্ৰ  বা  প্ৰচাৰ  মাধ্যমৰ  জৰিয়তে  সমাজত  হৈ  থকা  

' ডাইনী '  অথবা  ' সোপাধৰা 'ৰ  নিচিনা  জঘন্য  কাণ্ড   ৰোধ  

কৰিব   পৰা  যাব  ।  

       বৰ্তমান  সময়ত  সমাজত   বিশৃংখল  পৰিৱেশ  সৃষ্টি  

হোৱাৰ  তথা  অমানৱীয়  কাৰ্য  - কলাপ  সংঘটিত  হোৱাৰ  

অন্যতম  কাৰণ  হৈছে   মানুহৰ  অনিয়ন্ত্ৰিত  আবেগ  ।  

অধ্যয়নবিমুখিতা  হৈছে  ইয়াৰ  মূল  কাৰণ  ।  মানুহ  শিক্ষিত 

হৈছে  , কিন্তু  সেই সেই অনুপাতে হৈছে অধ্যয়নবিমুখ  ।  সেয়ে  

প্ৰতিজন  নাগৰিকে  এই  কথা  উপলব্ধি  কৰি আচল  শিক্ষা 

গ্ৰহণ  কৰিলেহে  সমাজৰ  পৰা  অমানৱীয়  কাৰ্যসমূহ  ৰোধ 

হোৱাত  সহায়ক  হ'ব  । 

পৃষ্ঠা  নং  : ৪১ 

৫ ৷ ' ডাইনী  '  ,   ' সোপাধৰা  '    --- এইবোৰ   অন্ধবিশ্বাস   ।

অন্ধবিশ্বাস   বুলি   জানিও  কিছু   লোকে   এই  বিষয়  দুটাক  লৈ

উৰাবাতৰি   প্ৰচাৰ   কৰে  আৰু   বহু   লোকে   বিশ্বাস   কৰিও 

লয়  ।  ইয়াৰ   কাৰণ   কি  কি  বুলি   ভাবা  ? 

উত্তৰ  : ' ডাইনী  '   আৰু   ' সোপাধৰা  '  এই  দুটা  সমাজৰ  

মূখ্য   অন্ধবিশ্বাস  ।  ডাইনী  -- এক  সামাজিক  ব্যাধি  ,  এক 

কল্পিত   সন্ত্ৰাস  ।  ডাইনী   এক   ভ্ৰান্ত  বিশ্বাস  ।  কোনোবা  

অঞ্চলত  কাৰোবাৰ   ঘৰত  অসুখ   হৈছে  । দৰব  খাইছে  যদিও 

ভাল   পোৱা   নাই  ;  হয়তো   উপযুক্ত   চিকিৎসা  কৰা  হোৱা  

নাই  ।  কিন্তু  প্ৰচাৰ  কৰি  দিয়ে  এইবুলি  যে  ,  ডাইনীৰ  

কাৰণেই   অঞ্চলটোৰ  প্ৰায়বোৰ  পৰিয়ালত  অসুখ  - বিসুখে  

দেখা  দিছে  ।  ডাইনীৰ  কাৰণেই   অসুখ   ভাল  হোৱা   নাই  । 

আকৌ  সোপাধৰা   ক্ষেত্ৰত   উৰাবাতৰি   এনেদৰে   ওলায় যে  

বেলেগ ঠাইৰ  পৰা বেলেগ  দেহাবয়বৰ  এজন  বা  দুজন  লোক  

আহি  সেই  ঠাইৰ  সৰু   ল'ৰাৰ  মুখত   সোপা  মাৰি  ধৰি  লৈ  

যায় । এনে   ধৰণৰ   গুজব  ওলালেই  মানুহে   সত্যাসত্য  

বিচাৰ  নকৰি  অচিনাকি   আৰু  সচৰাচৰ  নেদেখা  দেহাবয়বৰ  

মানুহ  দেখিলেই   আক্ৰমণ  কৰি  এক  অপ্ৰীতিকৰ  অমানৱীয়  

পৰিস্থিতিৰ সৃষ্টি   কৰে  ।  

              এনেধৰণৰ   অন্ধবিশ্বাসৰ  সুযোগ   গ্ৰহণ   কৰি  এচাম 

স্বাৰ্থপৰ   লোকে   সমাজত   হত্যাৰ   দৰে  অসামাজিক  আৰু 

অমানৱীয়   কাৰ্য   সমাধা  কৰি  আহিছে  ।  সাধাৰণতে   , 

সম্পত্তিৰ   লোভত  বা  ওচৰ - চুবুৰীয়া  কাৰোবাৰ   যদি  উন্নতি 

হয়  তেওঁৰ   প্ৰতি  ঈৰ্ষান্বিত  হৈও  সেই   বিশেষ  মানুহঘৰৰ  

কাৰোবাক   ' ডাইনী  '  বুলি   অভিহিত   কৰি  অসৎ  মনোবৃত্তিৰ 

মানুহে   সামাজিক   উৎপীড়ন  চলায় ।  এনেদৰে   স্বাৰ্থসিদ্ধিৰ  

বাবেই   'সোপাধৰা ' ৰ  অপপ্ৰচাৰ  চলায়  ।  কেতিয়াবা   হত্যাৰ 

দৰে  জঘন্য   ঘটনাও  সংঘটিত   হয়  । 

৭ ৷  ব্যাখ্যা  কৰা  : 

     ( ক ) অন্ধবিশ্বাস  , কুসংস্কাৰ   পৃথিৱীৰ   আটাইতকৈ  গধুৰ 

বোজা  ।

উত্তৰ  : উক্ত   বাক্যশাৰী  আমাৰ  পাঠ্যপুথি  "অসমীয়া সাহিত্য 

চয়নিকা (নতুন )"  ,  'অন্ধবিশ্বাস  আৰু  কুসংস্কাৰ '  নামৰ  

পাঠটিৰ পৰা তুলি দিয়া হৈছে  ।  পাঠটিৰ লেখক জয়ন্ত মাধৱ

বৰা  ।

      লেখকে  দাঙি  ধৰা  উক্ত  বাক্যশাৰী  ড॰  সৰ্বপল্লী

ৰাধাকৃষ্ণণে  কৈছিল  ।  লেখকে  কৈছে   দূষিত  বায়ু ,  অবাঞ্ছিত

বিশৃংখল  শব্দ  ,  মাটি ,  পানী  এইবোৰৰ  প্ৰদূষণে  আমাৰ

চৌপাশৰ  পৰিৱেশ  যেনেদৰে  প্ৰদূষিত  কৰি  মানুহৰ   সুস্থ

জীৱন  ধাৰণ  প্ৰণালীত  প্ৰতিকূলতাৰ  সৃষ্টি  কৰে ,  ঠিক

সেইদৰে   অন্ধবিশ্বাস  আৰু  কু-সংস্কাৰেও  প্ৰেম , মমতা  ,

মানৱতা  আদি  মানৱীয়  প্ৰমূল্যসমূহক  আঘাত   কৰি  সভ্য

মানৱ  সমাজ  এখনক  কলুষিত   কৰে  ।  জনজীৱনৰ  সুস্থ

জীৱন-ধাৰণৰ  ব্যৱস্থাটোক  বিপৰ্যস্ত  কৰি  সমাজখনক  অশান্ত

আৰু  অস্থিৰ  কৰি  তোলে  ।  অথচ  এই  অন্ধবিশ্বাস  ,

কুসংস্কাৰ  ,  উৰাবাতৰিৰ  অপপ্ৰচাৰ  মানুহেই   সৃষ্টি   কৰে  ।

মানুহেই  মানুহৰ   শত্ৰু   হৈ  পৰে ।  সেয়ে  কোৱা  হৈছে

অন্ধবিশ্বাস  , কুসংস্কাৰ  পৃথিৱীৰ  আটাইতকৈ  গধুৰ  বোজা  ।











Friday, 27 March 2020

Student's Guide : Class 9 |Hindi Textbook Solution| आलोक भाग - १|पाठ न॰ २: परीक्षा - प्रेमचंद|



अभ्यासमाला
Page No: 18

■ बोध  एवं  विचार  :

1. पूर्ण  वाक्य में  उत्तर दो  : 

( क ) 'परीक्षा' कहानी में किस पद के लिए परीक्षा ली गई  ? 

उत्तर  : 'परीक्षा' कहानी में रियासत के दीवान पद के लिए  परीक्षा ली 

गई  ।

( ख ) दीवान साहब के समक्ष क्या शर्त रखी गई  ? 

उत्तर  : दीवान साहब के समक्ष यह शर्त रखी गई कि रियासत देवगढ़ के 

नया  दीवान  उन्हीं को खोजना पड़ेगा ।

( ग ) 'परीक्षा' कहानी में उम्मीदवार कौन -सा  सामूहिक खेल खेलते हैं  ?

उत्तर  : 'परीक्षा' कहानी में उम्मीदवार आपस में  हाॅकी  खेल खेलते  हैं  ।

( घ ) दीवान पद के लिए किसका चयन किया गया  ? 

उत्तर  : दीवान पद के लिए पंडित जानकीनाथ का चयन किया गया  । 

2 .संक्षिप्त उत्तर दो ( लगभग 25 शब्दों में  ) : 

( क ) दीवान सुजानसिंह ने महाराज से  क्या प्रार्थना की ? क्यों  ? 

उत्तर  : दीवान सुजानसिंह ने महाराज से यह प्रार्थना  किया कि  वह 

रियासत  देवगढ़ के दीवान पद में  चालीस साल  तक की सेवा की । अब 

कुछ दिन  परमात्मा की भी सेवा करने की आज्ञा चाहता है । क्योंकि 

अब शारीरिक अवस्था भी ढल गई  है  । राजकाज  सँभालने की शक्ति 

नहीं  रह गई  । भूल - चूक हो जाए  , तो बुढ़ापे  में  दाग लगे , सारी 

जिदंगी की नेकनामी मिट्टी में  मिल जाएगा । 

( ख ) उम्मीदवार विभिन्न प्रकार के अभिनय कैसे और क्यों कर रहे थे ? 

उत्तर  : रियासत के दीवान पद के लिए  आए प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन 

को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे  रूप में दिखाने की कोशिश करता था 

।  जो पहले नौ बजे दिन तक सोया करते  थे ; आजकल वे बगीचे में 

टहलते  ऊषा  के दर्शन करते थे ।  हुक्का पीने की लत  रहने वाले  

आजकल  बहुत रात गए  , किवाड़ बंद करके अंधेरे में सिगरेट पीते  थे ।

जो पहले नास्तिक थे ; आजकल उनकी धर्म - निष्ठा  देखकर मंदिर के 

पुजारी  भी शंका करने लगी है ।  जिसे किताबों  से घृणा थी ; आजकल 

वे बड़े  - बड़े  धर्म - ग्रंथ  खोले , पढ़ने में डूबे रहते  थे । हर कोई नम्रता  

और  सदाचार  का देवता मालूम  होता था । वे सब  उम्मीदवार दीवान 

पद के लिए  खुद में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे थे । 

( ग ) एक उम्मीदवार  ने गाड़ीवाले की मदद कैसे की ? 

उत्तर  : एक उम्मीदवार  जिसे हाॅकी खेलते हुए  , उसके पैरो में  चोट लग 

गई  थी ; वह  गाड़ीवाले  से कहा कि गाड़ी में  बैठकर बैलों को साधों  । 

तब उसने  पहियों को ज़ोर लगाकर खिसकाया । कीचड़  बहुत  ज़्यादा 

था । वह घुटनों तक ज़मीन में गड़ गया , लेकिन उसने हिम्मत न हारी । 

गाड़ीवाले बैलों को ललकारा , उन्होंने कंधे झुकाकर एक बार  फिर से 

ज़ोर  लगाया और  गाड़ी नाले की ऊपर चढ़ गई  । इस प्रकार  एक 

उम्मीदवार ने गाड़ीवाले की मदद की  थी । 

( घ ) किसान ने अपने मददगार युवक से क्या कहा ? उसका क्या अर्थ 

था ? 

उत्तर  : किसान  ने  अपने  मददगार  युवक से हाथ जोड़कर कहा  , 

"महाराज  ! आपने  आज मुझे उबार लिया , नहीं तो सारी रात यहीं 

बैठना पड़ता । जब युवक ने हँसकर कहा कि  क्या मुझे कुछ इनाम देंगे  

तब उत्तर में  किसान ने गंभीर भाव से कहा कि नारायण चाहेंगे तो

दीवानी  आपको ही मिलेगी । उसका अर्थ यह था कि रियासत देवगढ़ के

दीवान पद के लिए  जिस उम्मीदवार की खोज थी , वह मिल  चुका है ।

( ङ ) सुजानसिंह ने उम्मीदवारों की परीक्षा  कैसे ली ? 

उत्तर  : सरदार सुजानसिंह ने दीवान पद के लिए आए  उम्मीदवारों के 

आदर - सत्कार का बड़ा अच्छा प्रबंध कर दिया था । प्रत्येक मनुष्य 

अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की 

कोशिश करता था ।  लेकिन , सुजानसिंह आड़ में बैठा हुआ देख रहा था 

कि  इन बगुलों में हंस कहाँ छिपा है ।  जब वे सब एकदिन हाॅकी खेल 

कर  संध्या समय लोट रहे थे तब  एक किसान (सुजानसिंह) को देखा  

कि वह अनाज से भरी  हुई  गाड़ी  में फंसे हुए है । उसमें से एक व्यक्ति 

को छोड़कर किसी ने  उनकी तरफ दया भाव से नही देखा । वह  पैरों में  

चोट लगने के बावजूद किसान की मदद की  जिसमें  सभी गुण झलक 

रहे थे ।  सुजानसिंह को  दीवान पद के लिए ऐसे पुरूष की आवश्यकता 

थी , जिसके ह्रदय में दया हो और  साथ  ही साथ  आत्मबल भी ।  इस 

तरह  सुजानसिंह ने उम्मीदवारों की परीक्षा ली और  इस परीक्षा में  

पंडित  जानकीनाथ  पास कर गए । 

( च ) पं॰ जानकीनाथ में  कौन-कौन से गुण थे ? 

उत्तर  : पं॰ जानकीनाथ में साहस , आत्मबल  और  उदारता का गुण था 

। साथ -ही -साथ  उनमे दृढ़ संकल्प  का गुण भी झलक रहा था  ।

( छ ) सुजानसिंह के मतानुसार दीवान में कौन-कौन से गुण होने चाहिए ?

उत्तर  : सुजानसिंह के मतानुसार दीवान में  दया हो और  साथ ही साथ 

आत्मबल भी । ह्रदय वही है  , जो उदार  हो ; आत्मबल वही है  जो 

आपत्ति  का वीरता  के साथ  सामना करे  । 

3. सप्रसंग  व्याख्या  करो ( लगभग  100 शब्दों  में ) 

    (क) लेकिन,  मनुष्य  का  वह  बूढ़ा  जौहरी  आड़  में  बैठा  हुआ
  
    देख  रहा  था  कि  इन  बगुलों  में  हंस  कहाँ  छिपा  है ।

    उत्तर : प्रस्तुत  गद्याशं  हमारे  पाठ्यपुस्तक  'आलोक' के  'परीक्षा'
  
    नामक  पाठ  से  ली  गई  है । पाठ  के  लेखक  है  प्रेमचंद   जी।
         
          लेखक  ने  रियासत  के   दीवान  पद  के  लिए  आए     

   उम्मीदवारों    ने  किस  तरह  अपने  जीवन  को  अपनी  बुद्धि  के  

  अनुसार  अच्छे   रूप  में  दिखाने  की  कोशिश  करता  है  और  

   उनलोगों  की  देखरेख  किस  तरह  से  हो  रहा  है  उसपर  बल  

   दिया  गया  है ।
        
          लेखक  के  अनुसार  सरदार  सुजानसिंह  ने  उम्मीदवारों  के 

    आदर-सत्कार  का  बड़ा  अच्छा  प्रबंध  कर  दिया  था । हर  कोई
    
    अपने  जीवन  को  अपनी  बुद्धि  के  अनुसार  अच्छे  रूप  में  दिखाने
    
    की  कोशिश  करता  था । जैसे  मिस्टर  'अ' नौ  बजे  दिन  तक सोया
  
    करते  थे ; आजकल  वे  बगीचे  में  टहलते  ऊषा  के  दर्शन  करते थे।
    
    मिस्टर  'ब'  को  हुक्का  पीने  की  लत  रहने  वाले  आजकल  बहुत 
   
    रात  गए  , किवाड़  बंद  करके  अंधेरे  में  सिगरेट  पीते  थे । मिस्टर 
  
    'स'  ,  'द'   और  'ज'  से  उनके  घरों  पर  नौकरों  की  नाक  में  दम
   
    था ; ये  सज्जन  आजकल  'आप '  और  'जनाब'  के  बगैर  नौकर
    
    से  बातचीत  नहीं  करते  थे । महाशय  'क'  नास्तिक  थे ;  मगर
  
    आजकल  उनकी  धर्म-निष्ठा  देखकर  मंदिर  के  पुजारी  को  पदच्युत
   
    हो  जाने  की  शंका  लगी  रहती । मिस्टर  'ल'  को  किताबों  से  घृणा
    
   थी ; परन्तु  आजकल  वे  बड़े-बड़े  धर्म-ग्रंथ  खोले ,  पढ़ने  में  डूबे 
   
   रहते  थे । हर  किसी  को  नम्रता  और  सदाचार  का  देवता  मालूम 
  
   होता  था । लोग  समझते  थे  कि  एक  महीने  की  झंझट  है  ; किसी
    
   तरह  काट  लें । कही  कार्य  सिद्ध  हो  गया  ,  तो  कौन  पूछता  है ?
    
   लेकिन  उनलोगों  का  दिनचर्या  मनुष्य  का  वह  बूढ़ा  जौहरी  आड़ 
   
   में  बैठा  हुआ  देख  रहा  था कि इन बगुलों  में  हंस  कहाँ  छिपा  है।

  (ख)  गहरे  पानी   में   बैठने  से  मोती  मिलता  है ।

   उत्तर : प्रस्तुत   गद्याशं   हमारे   हिंदी  पाठ्यपुस्तक   'आलोक '  के  

   'परीक्षा '  नामक   पाठ   से   ली   गई   है । पाठ  के  लेखक   का

   नाम   है   प्रेमचंद   जी।

        जब  एक  किसान  (सुजानसिंह)  की  अनाज  से  भरी  हुई गाड़ी  

   को  नाले  में   से  निकलने  के  लिए   जानकीनाथ   ने  मदद  की  थी
   
   और  कहा  था  कि  क्या  आप  मुझे  कुछ  इनाम  देंगे  तब  उत्तर  में 

   सुजानसिंह  ने  कहा  था  कि  गहरे  पानी  में  बैठने  से  मोती  मिलता 

   है। 

        एकदिन  उम्मीदवारों  के  बीच  हाॅकी  खेल  हो रहा  था ।  सभी

   खिलाड़ी  खेलने  के  बाद  थके  हुए  लौट  रहे  थे । सभी  खिलाड़ियों 

   को  एक  नाले  में  से  चलकर  आना  पड़ता  था । उसी  संध्या  समय 

   एक  किसान (सुजानसिंह)  अनाज  से  भरी  हुई  गाड़ी  लिए  उस 

   नाले  में  आया  ; लेकिन , कुछ  तो  नाले  में  कीचड़  था  और  कुछ

   चढ़ाई  इतनी  ऊँची  थी  कि  गाड़ी  ऊपर  न  चढ़  सकती  थी। वह

   हर  तरह  से  अकेले  कोशिश  किए  परन्तु  नाकामयाब  हुए ।  इसी

   बीच  में  खिलाड़ियों  ने  भी  उसी  नाले  से  होकर  निकले  लेकिन 

   जानकीनाथ  नाम  के  खिलाड़ी  को  छोड़कर  किसी  ने  उनकी  तरफ

   सहानुभूति  से  नहीं  देखें ।  उन्हें  आज  हाॅकी  खेलते  हुए  पैरों  में 

   चोट  लग  गई  थी।  उनके  ह्रदय  में  दया  थी  और  साहस  भी । 

   वह  किसान  से  बोला  कि आप  गाड़ी  पर  जाकर  बैलों  को  साधों ;

   मैं  पहियों  को  ढकेलता  हूँ।  वह  घुटनों  तक  ज़मीन  में  गड़  गया 

   और  पहियों  को  ज़ोर  लगाकर  खिसकाया , लेकिन  उसने  हिम्मत 

   न  हारी । उधर  किसान  ने  बैलों  को  ललकारा , उन्होंने  कंधे 

   झुकाकर  फिर  से  एक  बार  ज़ोर  लगाया  तबतक  गाड़ी  नाले  की 

   ऊपर  थी। किसान  ने  उनकी  सराहना  करते  हुए  धन्यवाद  जताया।

  वह  हँसते  हुए  कहा  कि  आप  मुझे  कुछ  इनाम  देगें  तब जबाब  में

  किसान  ने  कहा  कि  नारायण  चाहेंगे  तो  दीवानी  आपको  ही 

  मिलेगी ।  और  जाते  हुए  अंत  में  कहा  कि  गहरे  पानी  में  बैठने  से 

  मोती  मिलता  है । 

    (ग) उन  आँखों  में  सत्कार  था  और  इन  आँखों  में  ईर्ष्या  ।

    उत्तर : प्रस्तुत  गद्याशं  हमारे  हिंदी  पाठ्ययपुस्तक  'आलोक '  के 

    'परीक्षा '  नामक  पाठ  से  ली  गई  है । पाठ  के  लेखक  का  नाम  है

    प्रेमचंद  जी।  

         यहाँ   लेखक  बताना  चाहता  है  कि  रियासत  के  दीवान  पद  

   के  लिए   जब  पं . जानकीनाथ   का  चयन  हुआ  तब  रियासत  के 

   कर्मचारी  और  अन्य  उम्मीदवारों   ने  किस  तरह   पेश  आ  रहे  थे 

   उसका  वर्णन  किया  गया  है ।

         दीवान  सुजानसिंह  ने  रियासत  के  दीवान  पद  के  लिए  आए 

   उम्मीदवारों  की  आदर - सत्कार  का  बड़ा  अच्छा  प्रबंध  कर  दिया  

  था ।  सभी  के  परीक्षा  शुरू  हो  चुका  था । जब  निदान  महीना  पूरा 

   हुआ  तब  चुनाव  का  दिन  आ  पहुँचा ।  उम्मीदवार  लोग  प्रात:काल

   से  ही  अपनी  किस्मत  का  फैसला  सुनने  के  लिए  उत्सुक  थे। 

   संध्या  समय  राजा  साहब  का  दरबार  में  शहर  के  रईस  और    
   
  धनाढ्य  लोग,  राजा  के  कर्मचारी  और  दरबारी  और  दीवानी  के    

  उम्मीदवारों    के  समूह  के  उपस्थिति  में  सरदार  सुजानसिंह  दीवान     

  पद  के  लिए फैसला  सुनाते  हुए  कहा  कि  इस  पद  के  लिए  ऐसे   
  
  पुरूष  की  आवश्यकता  थी , जिसके  ह्रदय  में  दया  हो  और  साथ     
  
  ही  साथ आत्मबल  भी । ह्रदय  वही  है , जो  उदार हो  ; आत्मबल      

  वही  है  जो आपत्ति  का  वीरता  के  साथ  सामना  करे  ; और  इस       

  रियासत  के  सौभाग्य  से  ऐसा  पुरूष  मिल  गया ।  ऐसे  गुणवाले       

 संसार  में  कम  होते  हैं  और  जो  हैं , वे  कीर्ति  और  मान  के  शिखर   

 पर  बैठे  हुए  है ।  उन  तक  हमारी  पहुँच  ही  नही ।  अंत  में  दीवान   

 पद  के  लिए   पं . जानकीनाथ  का  नाम  चयन  किया  गया और  उन्हें   

 बधाई  दिया    गया ।  तभी  रियासत  के  कर्मचारी  और  रईसों  ने  पं . 

 जानकीनाथ  की  तरफ  देखा  और  उम्मीदवारों  के  दल  की  आँखे   

 उधर  उठी ;  मगर , उन  आँखों  में  सत्कार  था  और  इन  आँखों  में   

 ईर्ष्या  झलक   रही  थी ।

4. किसने   किससे  कहा , लिखो  : 

    (क) कहीं  भूल -चूक  हो  जाए  तो  बुढ़ापे  में  दाग  लगे , सारी  

    जिंदगी  की  नेकनामी  मिट्टी  में  मिल  जाए ।

    उत्तर : सरदार  सुजानसिंह  ने  महाराज  से  कहा  था ।

   (ख) मालूम  होता  है  , तुम  यहाँ  बड़ी  देर  से  फँसे  हुए  हो ।

    उत्तर : युवक ( पं . जानकीनाथ )ने  किसान ( सरदार  सुजानसिंह  )

    से  कहा  था।

    (ग) नारायण  चाहेंगे  तो  दीवानी  आपको  ही  मिलेगी ।

    उत्तर : किसान ( सरदार सुजानसिंह  ) ने  युवक ( पं . जानकीनाथ  )

    से  कहा  था।



Thursday, 26 March 2020

Student's Guide : Class 9|Assamese Textbook Solution | অসমীয়া সাহিত্য চয়নিকা( নতুন) -- প্ৰথম ভাগ|পাঠ নং ০৭ : সময় -- নীলমণি ফুকন|

পৃষ্ঠা নং  : ৩১

প্ৰশ্নাৱলী : 

ভাব - বিষয়ক  : 

১৷ চমু উত্তৰ দিয়া  : 

( ক ) সময়ক কিহৰ লগত তুলনা কৰিব পাৰি ?

উত্তৰ  : নৈৰ সোঁতৰ লগত সময়ক তুলনা কৰিব পাৰি ।

( খ ) কিহৰ ওপৰত ভিত্তি কৰি সময় ভাগ কৰা হয়  ?

উত্তৰ  : কাৰ্যক্ৰমৰ ওপৰত ভিত্তি কৰি সময় ভাগ কৰা হয় ।

( গ ) সময়ৰ ডাঙৰ ভাগবোৰ কি কি ?

উত্তৰ  : সময়ৰ ডাঙৰ ভাগবোৰ হৈছে যুগ , কল্প  আৰু শতাব্দী ।

( ঘ ) সময়ৰ দণ্ড, পল , অনুপলক  কি বোলা হয়  ?

উত্তৰ  : সময়ৰ দণ্ড, পল , অনুপলক সময়ৰ ভগ্নাংশ বা সৰু ভাগ বোলা হয় ।

( ঙ ) সময় কি গতিত ঘুৰে ?

উত্তৰ  : সময় বৃত্তাকাৰ গতিত ঘুৰে ।

২৷ তাৎপৰ্য ব্যাখ্যা কৰা  : 

( ক) এলেহুৱাৰ দিন নাযায় নুপুৱায় ।

উত্তৰ  : উক্ত বাক্যশাৰী আমাৰ পাঠ্যপুথি "অসমীয়া সাহিত্য

চয়নিকা" , 'সময়' নামৰ পাঠটিৰ পৰা তুলি দিয়া হৈছে । পাঠটিৰ

লেখক নীলমণি ফুকন ।

     উক্ত বাক্যশাৰী দ্বাৰা লেখকে  মানুহৰ এলেহুৱা ভাৱৰ ওপৰত

গুৰুত্ব প্ৰদান কৰিছে । সময়ৰ প্ৰকৃত যন্ত্ৰ-পাতি হৈছে কৰ্ম । কৰ্মৰ

মাজেদি সময়ৰ গতি ধৰিব পাৰি । এলেহুৱাৰ দিনটো নাযায়-

নুপুৱায় কাৰণ তেওঁলোকৰ  কোনো কৰ্ম তালিকা নাথাকে । কিন্তু

কৰ্মী লোকৰ মতে দিনটো  চকুৰ পচাৰতে গ'ল যেন লাগে ।

এওঁলোকৰ নিজস্ব কৰ্ম তালিকা থাকে । এই কাৰণেই বোধকৰো

মানুহৰ এবছৰে দেৱতাৰ এদিন বুলি কোৱা হয় ।

( খ ) মানুহৰ এক কল্পই ব্ৰহ্মাৰ এদিন ।

উত্তৰ  : উক্ত বাক্যশাৰী আমাৰ পাঠ্যপুথি  "অসমীয়া সাহিত্য

চয়নিকা" , সময় নামৰ পাঠটিৰ পৰা তুলি দিয়া হৈছে । পাঠটিৰ

লেখক নীলমণি ফুকন ।

      উক্ত বাক্যশাৰীৰ  দ্বাৰা লেখকে মানুহৰ এহেজাৰ যুগৰ কৰ্মৰ

খতিয়ান ভগৱান ব্ৰহ্মাই এদিনত কৰাৰ ওপৰত গুৰুত্ব প্ৰদান

কৰিছে । মানুহৰ এক কল্প বা এহেজাৰ যুগে ব্ৰহ্মাৰ মাত্ৰ এদিন

আৰু এৰাতি । বিশ্বব্ৰহ্মাণ্ডৰ খণ্ড আৰু মহাপ্ৰলয়ৰ মাজেদি

ব্ৰহ্মাই সৃষ্টিৰ গতি অব্যাহত ৰাখিবলৈ কি বিৰাট কৰ্মক্ষেত্ৰ পাতিব

লগা হৈছে , সেইকথা মানুহৰ কল্পনাৰো অতীত । ব্ৰহ্মাই

যিমানখিনি সৃষ্টিৰ কাম কৰিব লগা হয়  মানুহৰ দিন ৰাতিৰ কামৰ

তুলনাত যথাৰ্থতে এহেজাৰ যুগৰ কাম হৈ উঠে । মানুহৰ এক

কল্পই ব্ৰহ্মাৰ এদিন আৰু এৰাতিৰ অৰ্থও এয়েই ।

( গ ) কৰ্মৰ মাজেদি সময়ৰ গতি ধৰিব পাৰি ।

উত্তৰ  : উক্ত বাক্যশাৰী আমাৰ পাঠ্যপুথি  "অসমীয়া সাহিত্য

চয়নিকা" , সময় নামৰ পাঠটিৰ পৰা তুলি দিয়া হৈছে । পাঠটিৰ

লেখক নীলমণি ফুকন ।

      লেখকে উক্ত বাক্যশাৰীৰ দ্বাৰা  কৈছে যে কৰ্মৰ মাজেদি

সময়ৰ গতি ধৰিব পাৰি । উদ্ভাৱিকা শক্তিৰ বলত মানুহে  লাহে

লাহে সময় নিৰূপণ কৌশল উলিয়াবলৈ সক্ষম হৈছে যদিও

সময়ৰ প্ৰকৃত যন্ত্ৰ-পাতি  হৈছে কৰ্ম । মানুহে কৰ্মৰ অবিহনে

সময়ৰ গতি ধৰিব নোৱাৰে । সেয়ে এলেহুৱাৰ দিনটো নাযায়-

নুপুৱায় ।

৩৷ পাঠটিৰ লেখকৰ সাহিত্যৰাজিৰ পৰিচয় দিয়া ।

উত্তৰ  : "সময়" নামৰ পাঠটিৰ লেখকৰ নাম হৈছে নীলমণি

ফুকন । তেওঁৰ জন্ম হৈছিল ডিব্ৰুগড় জিলাত । স্কুলীয়া শিক্ষা

ডিব্ৰুগড়ত , কটন কলেজত এফ এ , কোচবিহাৰৰ পৰা বি

এ  আৰু কলিকতাত আইন শিক্ষা গ্ৰহণ কৰে । তেওঁৰ সাহিত্যৰ

প্ৰতি ধাউতি আছিল । তেওঁৰ প্ৰধান সাহিত্য কৃতি হ'ল - 'সাহিত্য

-কলা' , 'চিন্তামণি' , 'জ্যোতিকণা' , 'মানসী' , 'সন্ধানী' । তেওঁ

'আলোচনী' আৰু 'ন- জোন' কাকতৰ সম্পাদক আছিল । লগতে

অসম সাহিত্য সভাৰ শিৱসাগৰ অধিৱেশনৰ সভাপতিৰ আসন

শুৱনি কৰিছিল ।





   


Monday, 23 March 2020

Student's Guide : Class 9| Assamese Textbook Solution |অসমীয়া সাহিত্য চয়নিকা ( নতুন ) - প্ৰথম ভাগ|পাঠ নং ০৬ :অন্যৰ প্ৰতি ব্যৱহাৰ - সত্যনাথ বৰা|


পৃষ্ঠা  নং  : ২৪  - ২৫ 

প্ৰশ্নাৱলী :

ভাব- বিষয়ক : 
(১)  (ক) 'সাৰথি ' পুথিখন কাৰ ৰচনা ? 

উত্তৰ : 'সাৰথি ' পুথিখন  সত্যনাথ বৰাৰ ৰচনা ।

     (খ ) কি নজনাৰ নিমিত্তে  বহুত মানুহে জীৱনত নানাবিধ 

উপদ্ৰৱ ভুগিবলৈ পায় ? 

উত্তৰ  : সংসাৰত সমাজ পাতি বাস কৰা মানুহে আনৰ লগত 

কেনেকুৱা ব্যৱহাৰ কৰিলে বা কেনেকৈ চলিলে সুখে-সন্তোষে 

কাল নিয়াব পাৰি, এই কথা নজনাৰ নিমিত্তে বহুতমানুহে জীৱনত

 নানাবিধ উপদ্ৰৱ ভুগিবলৈ পায় ।

     (গ )  কোনটো শ্ৰেণীৰ মানুহৰ শত্ৰু সৰহ ? 

উত্তৰ : নিৰ্বোধ খিংখিঙীয়া মানুহে ভৱিষ্যত নুগুণি কেটেৰা মাৰি 

মানুহৰ লগত কথা কয়। এই শ্ৰেণীৰ মানুহৰ শত্ৰু সৰহ ।

     (ঘ ) সজ ব্যৱহাৰৰ অনুপান কি ? 

উত্তৰ  : নম্ৰতা হৈছে সজ ব্যৱহাৰৰ অনুপান ।

    (ঙ ) মনত অহংকাৰ ৰাখি মুখত নম্ৰ হ'লে মানুহক কি কৰা হয়  ? 

উত্তৰ  : মনত অহংকাৰ ৰাখি মুখত নম্ৰ  হ'লে মানুহক ছল 

কৰা হয় । তেনে আচৰণ ত্যাগ কৰি ব্যৱহাৰত মনে-মূখে একে 

হ'বলৈ সততে চেষ্টা কৰা উচিত ।

     (চ ) 'এই শ্ৰেণীৰ মানুহৰ স্বভাৱ নিচেই পাতল ।' --- ইয়াত 

কোনটো শ্ৰেণীৰ মানুহৰ কথা কোৱা হৈছে  ?

উত্তৰ  : ইয়াত ,  যিবোৰ লোকে আনৰ গুপ্ত কথা লুকাই ৰাখিব 

নোৱাৰি সদৰী কৰে তেনে শ্ৰেণীৰ মানুহৰ কথা কোৱা হৈছে  ।

    (ছ ) কাৰ লগত সম্পৰ্ক ৰাখিলে শঠতাক প্ৰশয় দিয়া হয়  ? 

উত্তৰ  : শঠৰ লগত সম্পৰ্ক ৰাখিলে শঠতাক প্ৰশয় দিয়া হয়  ।

    (জ ) 'বহল ব্যাকৰণ ' পুথিখন কাৰ ৰচনা  ? 

উত্তৰ  : 'বহল ব্যাকৰণ ' পুথিখন সত্যনাথ বৰাৰ  ৰচনা  ।

(২) চমুকৈ বুজাই লিখা  : 

      (ক) ব্যৱহাৰ প্ৰণালীক সামান্য কথা বুলি কিয় উলাই কৰিব

নোৱাৰি ?

উত্তৰ: মানুহৰ ব্যক্তিত্ব গঠনত সজ চৰিত্ৰই প্ৰধান ভূমিকা পালন

কৰে ।  সজ ব্যৱহাৰ যদিও সজ চৰিত্ৰৰ গুণ তথাপি চৰিত্ৰ সজ

হ'লেই ব্যৱহাৰ সজ হয় বুলি ভবা উচিত নহয় । অনেক চৰিত্ৰৱন্ত

মানুহ ব্যৱহাৰৰ দোষত আনৰ হিংসা-গৰিহণাৰ ভাজন হয় ।

আকৌ অনেক কপটীয়া-ছলাহী মানুহো ব্যৱহাৰৰ গুণত

সকলোৰে মৰম পায় । সেয়ে ব্যৱহাৰ প্ৰণালীক সামান্য কথা বুলি

উলাই কৰিব নোৱাৰি ।

     (খ) বিনয় ভাবত দান কৰিব লাগে বুলি জ্ঞানীসকলে কি কৈছে  ?

উত্তৰ : অবাবত কেটেৰা মাত মাতি মানুহৰ মনত দুখ দিব নালাগে

 । সমাজৰ কিছু নিৰ্বোধ খিংখিঙীয়া মানুহে ভৱিষ্যত নুগুণি

কেটেৰা মাৰিহে  মানুহৰ লগত কথা কয়। কেৱল কঠুৱা মাতৰ

দোষতেই সকলোৰে চকুৰ কুটা যেন হৈ পৰে । সিহঁতৰ গাত লক্ষ

গুণ থাকিলেও অকল তিতা মাতেই সকলোকে ঢাকি পেলায় ।

তেনে মানুহ অৰ্বুদ দানৰ ফল একে নিমিষতে হেৰাই পেলায়।

সেয়ে বিনয় ভাবত দান কৰিব লাগে বুলি জ্ঞানীসকলে কৈছে।

(৩) তাৎপৰ্য ব্যাখ্যা কৰা : 

      ( নম্ৰতা সজ ব্যৱহাৰৰ অনুপান ।

উত্তৰ: উক্ত বাক্যটো আমাৰ পাঠ্যপুথি 'অসমীয়া সাহিত্য

চয়নিকা', অন্যৰ প্ৰতি ব্যৱহাৰ পাঠৰ পৰা তুলি দিয়া হৈছে ।

পাঠটিৰ লেখক সত্যনাথ বৰা ।

      বাক্যশাৰীৰ দ্বাৰা মানুহৰ নম্ৰতা গুণৰ ওপৰত গুৰুত্ব দিয়া

হৈছে ।

      যেনেদৰে উচিত অনুপানেৰে ঔষধ  খালে সি বেছি গুণ দিয়ে

ঠিক সেইদৰে সজ ব্যৱহাৰত নম্ৰতা  মিহলালে তাৰো উপকাৰ

সৰহ হয় । দম্ভালি কথা মানুহৰ কাণত কাঁড় ফুটা দিয়ে , সেই

দেখি আনৰ লগত আলাপ-আচৰণ কৰোঁতে দম্ভালি এৰি নম্ৰ

হোৱা উচিত । বহুতে ভাবে যে লোকৰ আগত নম্ৰ  হ'লে নিজক

সৰু  বা লঘু  কৰা হয় । এই বিশ্বাস ভুল । নম্ৰতা ডাঙৰ আশয়ৰ

চিন; তাৰ পৰা আশয়ৰ উচ্চতাহে প্ৰকাশ পায় । নম্ৰতা এটা মনৰ

গুণ, মিঠা মাত তাৰ ফল । মনত নম্ৰতাৰ ভাব থাকিলে মুখেৰে

আপোনা-আপুনি মিঠা মাত ওলায় । সেয়ে এই গুণ আয়ত্ব কৰি

ব্যৱহাৰত মনে-মুখে একে হ'বলৈ চেষ্টা কৰা উচিত ।

      (খ) সোণৰ জেউতি অমান্য কৰিলে নকমে ।

উত্তৰ: উক্ত বাক্যশাৰী আমাৰ পাঠ্যপুথি " অসমীয়া সাহিত্য

চয়নিকা " , 'অন্যৰ প্ৰতি ব্যৱহাৰ' পাঠটিৰ পৰা তুলি দিয়া হৈছে ।

পাঠটিৰ লেখক সত্যনাথ বৰা ।

      বাক্যশাৰীৰ দ্বাৰা  লেখকে সজ চৰিত্ৰ অধিকাৰী লোকৰ

প্ৰশংসা কৰিছে ।

      গুণীৰ গুণ সকলো সময়তে সোণৰ জেউতি দৰে একে থাকে

। এই গুণে ব্যক্তিত্ব বিকাশত অৰিহণা যোগায় । কোনো কোনো

মানুহে মান্যৱন্ত লোকক অমান্য কৰিলে পুৰুষালি কৰা যেন পায়,

সেই দেখি ছল পালে অমান্য কৰিবলৈ নেৰে । কিন্তু সিহঁতে ভাবি

নাচায় যে মান্যৱন্ত লোকক অমান্য কৰি তাৰ মূল্য কমাব নোৱাৰি

। সেয়ে কোৱা হৈছে সোণৰ জেউতি অমান্য কৰিলে নকমে ।

ভাষা বিষয়ক : 

(৪) বিপৰীতাৰ্থক শব্দ লিখা  : 

সুখ -- দুখ

সন্তোষ -- অসন্তোষ

সজ -- অসজ

চৰিত্ৰৱন্ত  -- চৰিত্ৰহীন

কপটীয়া  -- অকপটীয়া

মিঠা  -- তিতা

বিনয়  -- গৰ্ব

নম্ৰতা  -- অহংকাৰ

লঘু -- গুৰু

উচ্চ  -- নিম্ন

নিন্দা -- প্ৰশংসা

গুপ্ত  -- মুক্ত

দোষ -- গুণ

গহীন -- চঞ্চল

আঢ্যৱন্ত  -- দৰিদ্ৰ

(৫) বাক্য ৰচনা  কৰা : 

চকুৰ কুটা ( অতি অপ্ৰিয় লোক ) : মানুহে নিজৰ কেটেৰা মাতৰ

দোষতেই সকলোৰে চকুৰ কুটা যেন হৈ পৰে ।

পেটত কথা ৰাখ্ ( কপটীয়া ) : আমি অকথ্যৰ বাদে, পেটত কথা

ৰাখিব নালাগে ।

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Friday, 20 March 2020

Student's Guide : Class 9|Hindi Textbook Solution |आलोक भाग - १ | पाठ न॰ १: हिम्मत और जिंदगी - रामधारी सिंह 'दिनकर'


क्रमिक  न ॰ : 08 - 09 

अभ्यासमाला 

( अ ) सही विकल्प का चयन करो :

1 . किन व्यक्तियों को सुख का स्वाद अधिक मिलता है? 

( क) जो सुख का मूल्य पहले चुकाता है ।

( ख ) जो सुख का  मूल्य  पहले  चुकाता है  और  उसका  मजा 

बाद में  लेता है । -------- सही 

( ग ) जिसके पास  धन और  बल  दौनों  है । 

( घ ) जो  पहले दुःख  झेलता है ।

2. पानी में  जो अमृत-तत्त्व  है, उसे कौन जानता  है  ? 

( क ) जो  प्यासा  है ।

( ख ) जो  धूप में  खूब  सूख  चुका   है । ------- सही 

( ग ) जिसका  कंठ  सूखा  हुआ  है । 

( घ ) जो रेगिस्तान  से आया  है  ।

3. ' गोधुली  वाली दुनिया  के लोगों ' से अभिप्राय  है --

( क ) विवशता  और  अभाव  में  जीने  वाले  लोग ।

( ख ) जय - पराजय के अनुभव से परे लोग  ।

( ग ) फल की कामना  ना करने  वाले  लोग ।  ----- सही  

( घ ) जीवन को दाँव पर लगाने  वाले  लोग ।

4. साहसी  मनुष्य  की पहली  पहचान  यह  है  कि  वह --

( क ) सदा आगे  बढ़ता जाता । 

( ख ) बाधाओं  से  नहीं  घबराता है  ।

( ग ) लोगों  की  सोच  की  परवाह  नहीं  करता ।

( घ ) बिलकुल  निडर होता  हैं । ------ सही 

( आ ) संक्षिप्त  उत्तर  दो ( लगभग 25 शब्दों  में  ) 

1. चाँदनी  की  शीतलता  का  आनंद  कैसा  मनुष्य  उठा  पाता है ?

उत्तर: चाँदनी  की शीतलता का आनंद  वह  मनुष्य  उठा पाता है,  

जो दिन  भर  धूप में  थक कर लौटा है, जिसके  शरीर  को अब 

तरलाई की जरूरत  महसूस  होती  है  और  जिसका  मन यह 

जानकर  संतुष्ट  है  कि  दिन भर का समय उसने  किसी  अच्छे 

काम  में  लगाया  है ।

2. लेखक ने  अकेले  चलने वाले  की तुलना  सिंह  से क्यों  की है ?

उत्तर: लेखक  ने  अकेले  चलने वाले की तुलना सिंह से  की है  

क्योंकि  झुंड  में  चलना और  झुंड  में  चरना, यह भैंस  और  भेड़ 

का काम है । सिंह  तो बिल्कुल  अकेला होने पर भी मगन रहता  है ।

3. जिंदगी  का भेद  किसे मालूम  है  ? 

उत्तर: जिंदगी  का भेद  उसे ही मालूम  है  जो  यह जानकर  चलता 

है  कि  जिंदगी  कभी भी  खत्म  न होने  वाली  चीज है ।  

4. लेखक ने  जीवन के  साधकों  को क्या  चुनौती  दी है  ? 

उत्तर: लेखक ने  जिंदगी  के साधकों  को  यह चुनौती  दी है  कि 

मरने के समय  हम अपनी  आत्मा  से यह  धिक्कार  न सुनें  कि  

हममें  हिम्मत  की कमी थी, कि  हममें  साहस का अभाव  था, कि 

हम ठीक  वक्त पर  जिंदगी  से भाग  खड़े हुए ।

(इ ) निम्नलिखित  प्रश्नों  के  उत्तर  दो( लगभग 50 शब्दों  में  )

1 . लेखक  ने  जिंदगी  की कौन-सी  दो सूरतें  बताई है  और  उनमें 

 से किसे बेहतर  माना है  ? 

उत्तर: लेखक ने  जिंदगी की  दौ सूरतें  बताई  है । पहला  यह कि  

आदमी  बड़े- से- बड़े   मकसद के लिए  कोशिश करे, जगमगाती 

हुई जीत पर पंजा डालने के लिए  हाथ  बढ़ाए  और अगर 

असफलताएँ कदम- कदम पर जोश की रोशनी  के  साथ  

अँधियाली का जाल बुन रहीं हों , तब भी वह पीछे  को पाँव  न 

हटाए । दूसरी  सूरत यह है  कि  उन गरीब  आत्माओं का  

हमजोली  बन जाए   जो  न तो   बहुत  अधिक  सुख  पाती हैं और 

 न जिन्हें  बहुत  अधिक  दुःख  पाने का संयोग  है, कयोंकि  वे 

आत्माएँ  ऐसी गोधूलि में  बसती हैं, जहाँ  न तो जीत  हँसती हैं  

और  न  कभी हार के रोने की आवाज  सुनाई पड़ती है । 

           लेखक  दौनों  सूरतें  में  से पहली  सूरत को बेहतर माना है ।

2.   जीवन  में  सुख  प्राप्त  न होना और  मौके पर हिम्मत  न दिखा

 पाना --- इन दौनों में से लेखक ने किसे श्रेष्ठ  माना  है और कयों ? 

उत्तर: लेखक ने  जीवन में सुख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत 

न दिखा पाना--- इन दौनों में से , मौके पर हिम्मत न दिखा पाने  

को श्रेष्ठ माना  है  क्योंकि  मरने के  समय हम अपनी आत्मा से यह 

धिक्कार न सुनें कि हममें हिम्मत की कमी थी, कि हममें साहस का 

अभाव था, कि हम ठीक वक्त पर जिंदगी से भाग  खड़े हुए । 

3. पाठ के अंत  में  दी गई  कविता की पंक्तियों से युधिष्ठिर को क्या 

सीख  दी गई  है? 

उत्तर: लेखक ने  पाठ के अंत में दी गई कविता की पंक्तियों से 

युधिष्ठिर को  यह  सीख दी है कि   जीवन  में कभी डरना नहीं  

चाहिए । जीवन में  कठिनाई  आना तय है, लेकिन अपनी मंजिल 

तक पहुँच ने  के लिए  उन कठिनाईयों से निर्भय  होकर लड़ना ही  

जीवन  का सबसे  बड़ा  कर्तव्य है ।

( ई) सप्रसंग व्याख्या करो ( लगभग 100  शब्दों  में  ) :

( क ) साहसी मनुष्य सपने  उधार  नहीं  लेता, वह अपने विचारों में 

रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है ।

उत्तर  : प्रस्तुत गद्याशं हमारे पाठ्यपुस्तक  "आलोक" के 'हिम्मत 

और जिंदगी'  पाठ से ली गई  है । पाठ के लेखक रामधारी सिंह 

दिनकर  जी है ।

      गद्याशं के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है कि साहसी 

मनुष्य सपने उधार नहीं लेता है । वह अपने विचारों में रमा हुआ 

अपनी ही किताब पढ़ता है । वह इस बात की चिंता नहीं करता कि 

तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे  में  क्या सोच रहे हैं । क्रांति 

करने वाले अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते 

हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम 

बनाते हैं । साहसी मनुष्य उन कठिनाईयों से निर्भय होकर लड़ते 

हुए आगे बढ़ते  है , जिसके द्वारा  वह अपने मंजिल तक पहुँच पायें ।

(ख) कामना का अंचल छोटा मत करो , जिंदगी के फल को दोनों 

हाथों से दबाकर निचोड़ो ।

उत्तर  : प्रस्तुत गद्याशं हमारे पाठ्यपुस्तक  "आलोक" के  'हिम्मत 

और जिंदगी' पाठ से ली गई है । पाठ के लेखक रामधारी सिंह 

दिनकर जी है ।

      गद्याशं के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि कामना 

या अपना सपना जो भी है उसको कभी भी छोटा नही करना 

चाहिए । बल्कि उन सपनों को सकार करने के लिए कठिन से 

कठिन कदम सोच समझकर उठाना चाहिए । जिंदगी में दोनों हाथों 

के बल से ही अपना सपना  को सकार कर पायेंगे । इस तरह के 

सोच से ही हम जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ 

सकते है । 

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