□ पाठ का सारांश : चिड़िया की बच्ची , जैनेंद्र कुमार की
एक मनोविश्लेषनात्मक कहानी है । इसमें कहानीकार ने
एक धनाढय व्यक्ति के विचार तथा एक छोटी चिड़िया
की भावनाओं को बड़े मार्मिक रूप में प्रस्तुत किया है ।
सेठ माधवदास चिड़िया को कैद करके अपने पास रखना
चाहता है । इसलिए वह तरह-तरह के प्रलोभन देकर उस
चिड़िया को अपनी बातों में उलझाए रखता है , पर
कोमलप्राण चिड़िया को सेठ की बातें समझ नहीं आतीं ।
वह तो केवल अपनी माँ को जानती है । अतः अँधेरा होने
से पहले अपनी माँ के पास पहुँच जाना चाहती है । वह
कोमलप्राण चिड़िया प्रेम की भूखी है । उसके मातृस्नेह के
आगे धन का कोई महत्व नहीं हैं । इसलिए सेठ के नौकर
के खुले पंजे में आकर भी वह न आ सकी और उड़ती
हुई एक साँस में अपनी माँ के पास पहुँच गयी । यह
कहानी बच्चों को सकारात्मक प्रेरणा देती है । हमें इस
कहानी से यह सीख मिलती है कि लालच या प्रलोभन
हमारे जीवन में अंधकार लाता है तथा हमें इससे दूर
रहना चाहिए । तभी हमें जीवन में प्रकृत आनंद मिलेगा ।
अभ्यासमाला
■ बोध एवं विचार
1. सही विकल्प का चयन करो :
(क) सेठ माधवदास ने संगमरमर की क्या बनवाई है ?
(1) कोठी (2) मूर्त्ति (3) मंदिर (4) स्मारक
(ख) किसकी डाली पर एक चिड़िया आन बैठी ?
(1) जूही (2) गुलाब (3) बेला (4) चमेली
(ग) चिड़िया के पंख ऊपर से चमकदार और स्याह थे ।
(1) सफेद (2) स्याह (3) लाल (4) पीला
(घ) चिड़िया से बात करते - करते सेठ ने एकाएक दबा
दिया ---
(1) हाथ (2) पाँव (3) बटन (4) हुक्का
2. संक्षिप्त में उत्तर दो ( लगभग 25 शब्दों में ) :
(क) सेठ माधवदास की अभिरुचियों के बारे में बताओ ।
उत्तर : सेठ माधवदास सुंदर अभिरुचि के आदमी हैं ।
उनको कला से बहुत प्रेम है । फूल - पौधे , रकाबियों से
हौजों में लगे फव्वारों में उछलता हुआ पानी उन्हें बहुत
अच्छा लगता है ।
(ख) शाम के समय सेठ माधवदास क्या - क्या करते है ?
उत्तर : शाम के समय सेठ माधवदास अपने कोठी के
बाहर चबूतरे पर तख्त डलवाकर मसनद के सहारे गलीचे
पर बैठते हैं और प्रकृति की छटा निहारते हैं । साथ में
मित्र होने से उनसे विनोद - चर्चा करते हैं , नहीं तो उनसे
रखे हुए फर्शी हुक्के की सटक को मुँह में दिए ख्याल ही
ख्याल में संध्या को स्वप्न की भाँति गुजार देते हैं ।
(ग) चिड़िया के रंग - रूप के बारे में क्या जानते हो ?
उत्तर : चिड़िया बहुत सुंदर थी । उसकी गरदन लाल थी
और गुलाबी होते - होते किनारों पर जरा - जरा नीली पड़
गई थी । पंख ऊपर से चमकदार स्याह थे । उसका नन्हा -
सा सिर तो बहुत प्यारा लगता था और शरीर पर चित्र -
विचित्र चित्रकारी थी । वह खूब खुश मालूम होती थी ।
अपनी नन्ही सी चोंच से प्यारी - प्यारी आवाज निकल
रही थी ।
(घ) चिड़िया किस बात से डरी रही थी ?
उत्तर : जब माधवदास ने चिड़िया से कहा कि भीतर
महल में चलो । उनके पास बहुत सा सोना - मोती है । वह
चिड़िया से कहने लगा कि उनके लिए सोने का एक
बहुत सुन्दर घर बनाया जाएगा , मोतियों की झालर उसमें
लटकेगी । तुम मुझे खुश रखना । इन सब बात से चिड़िया
डरी रही थी ।
(ङ) ' तु सोना नहीं जानती , सोना ? उसी की जगत को
तृष्णा है ।' - आशय स्पष्ट करो ।
उत्तर : माधवदास चिड़िया से कहने लगी कि उनके पास
ढेर का ढेर सोना है । चिड़िया के घर समूचा सोने का होगा ।
ऐसा पिंजरा बनवाऊँगा कि कहीं दुनिया में न होगा जिसके
भीतर वह चिड़िया थिरक-फुदककर उसे खुश कर सकेगा,
उसके भाग्य खुल जाएगा तथा पानी पीने वाला कटोरी भी
सोने का कहकर माधवदास चिड़िया को सोने के बारे में
बताते है ।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो ( लगभग 50 शब्दों में )
(क)किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन
संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि
वह सुखी नहीं था ?
उत्तर : माधवदास सुंदर अभिरुचि के आदमी है । उसने
अपनी संगमरमर की नई कोठी बनवाई है । उसके सामने
बहुत सुहावना बगीचा भी लगवाया है । उनको कला से
बहुत प्रेम है । धन की कमी नहीं है और कोई व्यसन छू
नहीं गया है । समय भी उनके पास काफी है । इन बातों
से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से
भरा था और सब कुछ होने के बावजूद उन्हें अपने जीवन
में कुछ खाली सा महसूस होता था तथा कह सकते है
अकेलापन महसूस होता था , इन बातों से ज्ञात होता है
कि वह सुखी नहीं था ।
(ख) सेठ माधवदास चिड़िया को क्या - क्या प्रलोभन दे
रहा था ?
उत्तर : सेठ माधवदास चिड़िया को सोने का एक बहुत
सुंदर घर बना देने , मोतियों की झालर , सोने का पिंजरा ,
पानी पीने के लिए सोने की कटोरी , अनगिनति फूलों के
बगीचे , उनकी खुशबू तथा उनसे तरह - तरह प्रश्न आदि
पुछकर प्रलोभन दे रहा था ।
(ग) माधवदास क्यों बार - बार चिड़िया से कहता है कि
यह बगीचा तुम्हारी ही है ? क्या माधवदास नि:स्वार्थ मन
से ऐसा कह रहा था ?
उत्तर : माधवदास बार - बार चिड़िया से कहता है कि यह
बगीचा तुम्हारी ही है क्योंकि चिड़िया को देखकर उनका
चित्त प्रफुल्लित हुआ था । उन्हें देखकर उनकी रागनियों
का जी बहलेगा । सच माने तो वह चिड़िया को पिंजरे में
केद करके रखना चाहता था ।
नही , माधवदास नि:स्वार्थ मन से ऐसा नही कह रहा
था । वह स्वार्थी था इसलिए उस चिड़िया को पिंजरे में
केद करना चाहता था ।
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