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Saturday, 15 May 2021

Class IX |Hindi Textbook Solution |आलोक भाग - १|पद्यःकृष्ण-महिमा|कवि-रसखान| पाठ के अन्तर्गत प्रश्न के उत्तर

अभ्यासमाला 

बोध एवं विचार

1. सही विकल्प का चयन करो :

    (क) रसखान कैसे कवि थेे ?
          (1) कृष्णभक्त (2) रामभक्त (3) सूफी (4) संंत
    (ख) कवि रसखान की प्रामाणिक रचनाओं की संख्या है -
          (1) तीन (2) दो (3) चार (4) पाँच 
    (ग) पत्थर बनकर कवि रसखान कहाँ रहना चाहते हैंं  ?
          (1) हिमालय पर्वत पर
          (2) गोवर्धन पर्वत पर
          (3) विंध्य पर्वत पर
          (4) नीलगिरि पर
    (घ) बालक कृष्ण के हाथ से कौआ क्या लेकर  भागा ?
          (1) सूखी रोटी     (2) दाल - रोटी
          (3) पावरोटी       (4) माखन - रोटी

2. एक शब्दों में उत्तर दो :

    (क) रसखान ने किनसे भक्ति की दीक्षा ग्रहण की थी ?
    उत्तर : रसखान ने विट्ठलनाथ नाथ जी से भक्ति की दीक्षा ग्रहण की
    थी ।
    (ख)'प्रेमवाटिका' के रचयिता कौन हैै ?
    उत्तर : 'प्रेमवाटिका' के रचयिता है कवि रसखान जी ।
    (ग) रसखान की काव्य-भाषा क्या है ?
    उत्तर : रसखान  की काव्य-भाषा साहित्यिक ब्रज हैै, जिसमें सहजता,
    मधुरता और सरसता सर्वत्र विराजमान है ।
    (घ) आराध्य कृष्ण का वेेष धारण करतेे हुए कवि अधरों पर क्या
    धारण करना नहीं चाहते ?
    उत्तर : आराध्य कृष्ण का वेष धारण करते हुए कवि अधरों पर
    मुरली धारण करना नहीं चाहते ।
    (ङ) किनकी गाय चराकर कवि रसखान सब प्रकार के सुुुख भुलाना
    चाहते है ?
    उत्तर : नंद की गाय चराकर कवि रसखान सब प्रकार के सुख भुुलाना
    चाहते है ।

3. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :

    (क) कवि रसखान कैसे इंसान थे ?
    उत्तर : कवि रसखान कोमल ह्रदयवाले, भावुक प्रकृति के इंंसान थे।
    (ख) कवि रसखान किस स्थिति में गोपियों के कृृष्ण-प्रेम से अभिभूत
    हुए थे ?
    उत्तर : प्रसिद्ध है कि कवि रसखान श्रीमदभागवत का फारसी पढ़कर
    गोपियों के कृष्ण-प्रेम से अभिभूत हुए थे ।
    (ग) कवि रसखान ने अपनी रचनाओं में किन छंदों का अधिक प्रयोग
    किया है ?
    उत्तर : कवि रसखान ने अपनी रचनाओं में दोहा, कवित्त और सवैया
    छंदों का अधिक प्रयोग किया है ।
    (घ) मनुष्य के रूप में कवि रसखान कहाँ बसना चाहतेे है ?
    उत्तर : मनुष्य के रूप में कवि रसखान कृष्ण के जन्मभूमि गोकुल
    गाँव में बसना चाहते है ।
    (ङ) किन वस्तुओं पर कवि रसखान तीनोंं लोकों का राज न्योछावर
    करने को प्रस्तुत हैं ?
    उत्तर : छड़ी और कंबल पर कवि रसखान तीनों लोकों का राज
    न्योछावर करने को प्रस्तुत हैं ।

Monday, 20 April 2020

Student's Guide : Class 9 | Hindi Textbook Solution | आलोक भाग - १ | पाठ - ३ : बिंदु - बिंदु विचार - रामानंद दोषी |

अभ्यासमाला 
( 1 )

1. पूर्ण  वाक्य  में  उत्तर  दो :

(क) मुन्ना  कौन - सा  पाठ  याद  कर  रहा  था  ?
उत्तर  :"क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट टु गाॅॅॅॅडलीनेस"- यह  पाठ  याद  कर रहा  था ।

(ख) मुन्ना  को  बाहर  कौन  बुला  रहा  था  ?
उत्तर  : मुन्ना  को  उनके  मित्र  बाहर  बुला  रहा  था ।

(ग) मुन्ना की बहन  उसके के लिए  क्या-क्या कार्य  किया करती थी ?
उत्तर  : मुन्ना  की  बहन  उसके  के  लिए  बहुत  सारी  कार्य करती  थी । मुन्ना  के  पढ़ाई  के  बाद  उनकी  बहन  मेज  के पास  पहुँचकर  बिटिया  निशान  के  लिए  कागज  लगाकर  उसकी  किताब  बंद  करती  हैं ; किताबों - कापियों - कागजों  के  बेतरतीब  ढेर  को  सँवारकर  करीने से  चुनती  हैं ; खुले  पड़े  पेन  की  टोपी  बंद करती  हैं ; गीला  कपड़ा लाकर  स्याही  के  दाग - धब्बे  पोंछती  हैं  और  कुरसी  को  कायदे  से  रखकर  चुपचाप  चली  जाती  हैं । 

(घ) आपकी  राय  में  अंग्रेजी  की  सूक्ति  का  मुन्ना  और  उसकी  बहन  में  से  किसने  सही - सही  अर्थ  समझा  ?
उत्तर  : मेरी  राय  में  अंग्रेजी  की  सूूक्ति  का  अर्थ  उसकी  बहन  ने  सही - सही  समझा  क्योंकि  मुन्ना  जो  पढ़ता  था  उसके  अर्थ  को    समझ - बूझकर  आचरण  में  सही  ढंग  से  उतार  पाने  में  असमर्थ था। बल्कि  उसकी  बहन को अंग्रेजी  समझ  नहीं  आने  के  बावजूद  अपनी  सेवा-भावना  से  हर  काम  सही  ढंग  से  करती  थी ।

(ङ) पाठ  के  अनुसार  सात  समंदर  की  भाषा  क्या  है  ?
उत्तर  : पाठ  के  अनुसार  सात  समंदर  की  भाषा  यह  है - जो अपनी  मानसिक सोच  से  दूर  हो ; जैसे  मुन्ना  का अंग्रेजी  पढ़ना। उसकी बहन  को  समझ  नहीं  आ  रही  थी । वह सोच  रही थी  कि भाईया जो  पढ़  रहा  है , सात  समंदर  की  दूर  की  पढ़ाई  होगी ।

2. संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  25 शब्दों  में  )

(क) लेखक  का  ध्यान  अपनी  किताब  से  उचत  कर  मुन्ना  की  ओर  क्यों  गया  ?
उत्तर  : लेखक   का  ध्यान  अपनी  किताब  से  उचत  कर  मुन्ना  की ओर  गया  क्योंकि  जो  पाठ  मुन्ना  पढ़  रहा  था - "क्लीनलीनेस  इज    नेक्स्ट  टु  गाॅडलीनेस" , उसका  अर्थ  समझ  रहा  था कि शुचिता देवत्व  की  छोटी  बहन  है । बल्कि  सही  अर्थ  यह  है  कि  स्वच्छता, भक्ति से  भी  बढ़कर  है ।

(ख) बिटिया  मुन्ना  की  मेज  को  क्यों  सँवार  देती  है  ?
उत्तर  : बिटिया  मुन्ना  की  मेज  को  सँवार  देती  है  क्योंकि  भाई  पर    बहुत  लाड़  है  उसकी । भाई  सात  समंदर  की  भाषा  पढ़  रहे  हैं -    इसलिए  उनका  आदर  भी  करती  है ।

(ग) लेखक  को  सारे  प्रवचन - अध्ययन  बौने  क्यों  लगे  ?
उत्तर  : लेखक   को  सारे  प्रवचन - अध्ययन  बौने  लगे  क्योंकि  गंभीर घोष  से  सुललित  शैैली  में  दिए  गए  अनेकानेक  भाषणों  में सुने सुंदर  सुगठित  वाक्य  कानों  में  गूँजने  लगते  हैं । मनमोहिनी  जिल्द  की  शानदार  छपाईवाली  पुस्तकों  में  पढ़े  कलापूर्ण अंश  आँखों  के आगे  तैर  जाते  हैं ।

(घ) "हम  वास्तव  में  तुम्हारे  समक्ष  श्रद्धानत  होना  चाहते  हैं ।" - इस  वाक्य  में  लेखक  ने  'वास्तव'  शब्द  का  प्रयोग  क्यों  किया  गया  है ?
उत्तर : इस  वाक्य  में  लेखक  ने  'वास्तव'  शब्द  का प्रयोग इसलिए किया  है  क्योंकि  मुन्ना  नाम  के  बच्चे  के  माध्यम  से  हमें  बताना चाहता  है  कि  किसी  भी  सीख  को  रट  लेने  के  बजाय  उसे समझ-बूझकर  आचरण  में  सही  ढंग  से  उतार  पाने  के  लिए  कोशिश करना  चाहिए ।  वाणी  और  व्यवहार  में  समता  लाने  के  लिए आग्रह  कर  रहे  है । 

(ङ) ' वाणी  और  व्यवहार  में  समता  आने  दो । ' - यदि वाणी  और
व्यवहार एक हो  तो  इसका  परिणाम  क्या  होगा  ? अपना  अनुभव
व्यक्त करो ।
उत्तर : यदि  वाणी  और  व्यवहार  एक  हो  तो  एक  इंसान  बहुत  आगे
निकल  जाएंगे । वह  आत्मविश्वास  के  साथ  खुद  आगे  बढ़ते  हुए
दूसरों  को  भी  मदद  का  हाथ  बढ़ायेगा । हमें  किसी  भी  सीख  को
रट  ने  के  वजाय  उसे  समझ-बूझकर  आचरण  में  सही  ढंग  से  उतार
लेने  से  एक  सकारात्मक  व्यक्तित्व  निर्माण  में  मदद  मिलता  है । 

(च) ' पाठ  याद  हो  गया । ' मुन्ना  का  पाठ  याद  हो  जाने  पर  भी
लेखक  उससे  प्रसन्न  नहीं  हैं , क्यों  ? 
उत्तर : मुुन्ना  का   पाठ  याद  हो  जाने  पर  भी  लेखक  उससे  प्रसन्न
नहीं  हैं  क्योंकि  वह  पाठ  को  जोर-जोर  से  रट  रहे  थे । वह  पाठ
का  अर्थ  भी  कुछ  दूसरा  ही  समझ  रहा  था । वह  पाठ  का  सही
अर्थ  समझ-बूझकर  आचरण  में  सही  ढंग  से  उतार  पाने  में  असमर्थ
था । 

(छ) लेखक  ने  इस  निबंध  में  अंग्रेजी  की  सूक्ति  - ' क्लीनलीनेस  इज़
नेक्स्ट  टु  गाॅडलीनेस ' को  आधारबिंदु  क्यों  बनाया  है  ? 
उत्तर : लेखक  ने  इस  निबंध  में  अंग्रेजी  की  सूक्ति - ' क्लीनलीनेस
इज  नेक्स्ट  टु  गाॅडलीनेस ' को  आधारबिंदु  बनाया  है  क्योंकि  इस
सूक्ति  से  पाठ  का  भाव  स्पष्ट  हुआ  है । लेखक  के  अनुसार  वाणी
और  व्यवहार  में  समता  लाने  की  आवश्यक  है । 

Friday, 17 April 2020

Student's Guide : Class 10 (SEBA)| Hindi Textbook Solution | आलोक भाग - २| पाठ - २ : छोटा जादूगर - जयशंकर प्रसाद


अभ्यासमाला

Page No  : 17 to 19

बोध  एवं  विचार  : 
1. सही  विकल्प  का  चयन  करो  : 

    (क) बाबू  जयशंकर  प्रसाद  का  जन्म   हुआ  था  - 
    (अ) काशी  में      (आ) इलाहाबाद  में
    (इ) पटना  में         (ई)  जयपुर  में  

    (ख) जयशंकर  प्रसाद  जी  का  साहित्यिक  जीवन  किस  नाम  से
    आरंभ  हुआ  था  ? 
    (अ) 'विद्याधर'  नाम  से       (आ) 'कलाधर' नाम  से 
    (इ) 'ज्ञानधर'  नाम  से         (ई)  'करूणाधर'  नाम  से 

    (ग) प्रसाद  जी  का  देहावसान  हुआ  - 
    (अ) 1935  ई.  में       (आ) 1936  ई.  में 
    (इ) 1937  ई.  में       (ई) 1938  ई.  में 

    (घ) कार्निवल  के मैदान  में लड़का  चुपचाप  किनको देख रहा था ?
    (अ) चाय  पीने  वालों  को     (आ) मिठाई  खाने  वालों  को 
    (इ) गाने  वालों   को             (ई) शरबत  पीने  वालों  को 

    (ङ) लड़के  को  जादूगर  का  कौन-सा  खेल  अच्छा  मालूम  हुआ ?
    (अ) खिलौने  पर  निशाना  लगाना      (आ) चूड़ी  फेेंकना 
    (इ) तीर  से  नम्बर  छेदना     (ई) ताश  का  खेल   दिखाना 

2. पूर्ण  वाक्य  में  उत्तर  दो  : 

    (क) जयशंकर  प्रसाद  द्वार  रचित  प्रथम  कहानी  का  नाम  क्या है?
    उत्तर : जयशंकर  प्रसाद  द्वारा  रचित  प्रथम  कहानी  का  नाम  है
  ' ग्राम ' ।

    (ख) प्रसाद  जी  द्वारा  विरचित  महाकाव्य  का  नाम  बताओ ।
    उत्तर : प्रसाद  जी  द्वारा  विरचित  महाकाव्य  का  नाम  हैै  
    'लहर और  कामायनी ' ।

    (ग) लड़का  जादूगर  को  क्या  समझता  है  ? 
    उत्तर : लड़का  जादूगर  को  निकम्मा  समझता  है ।

    (घ) लड़का  तमाशा  देखने  परदे  में  क्यों  नहीं  गया  था ? 
    उत्तर : लड़का  तमाशा  देखने  परदे  में  नहीं  गया  था  क्योंकि
    उसके  पास  टिकट  नहीं  था ।

    (ङ) श्रीमान  ने  कितने  टिकट  खरीद  कर  लड़के  को  दिए  थे  ?
    उत्तर : श्रीमान  ने  बारह  टिकट  खरीद  कर  लड़के  को  दिए  थे ।

    (च) लड़के  ने  हिंडोले  से  अपना  परिचय  किस  प्रकार  दिया  था ?
    उत्तर : लड़के  ने  हिंडोले  से  अपना  परिचय  'छोटा  जादूगर ' कहा
    था ।

    (छ) बालक  ( छोटे  जादूगर )  को  किसने  बहुत   ही  शीघ्र  चतुर
    बना  दिया  था  ?
    उत्तर : बालक ( छोटे जादूगर )  को  आवश्यकता  ने  बहुुुत  ही  शीघ्र
    चतुर  बना  दिया  था ।

    (ज) श्रीमान  कलकत्ते  में  किस अवसर पर  की  छुट्टी  बिता  रहे थे ?
    उत्तर : श्रीमान  कलकत्ते  में  बड़े  दिन  की  अवसर  पर  छुट्टी  बिता
    रहे  थे ।

    (झ) सड़क  के  किनारे  कपड़े  पर  सजे  रंगमंच  पर  खेल  दिखाते
    समय  छोटे  जादूगर  की  वाणी  में  स्वभावसुलभ  प्रसन्नता  की  तरी
    क्यों  नहीं  थी ?
    उत्तर :सड़क  के  किनारे  कपड़े  पर  सजे  रंगमंच  पर  खेल दिखाते 
    समय  छोटे  जादूगर  की  वाणी  में  स्वभावसुलभ  प्रसन्नता  की  तरी
    नहीं  थी  क्योंकि  उसदिन  उनकी  माँ  की  तबीयत  ज्यादा  ही बिगड़
    गई  थी । वह  साहस  जुटाने  और  मन  लगाने  में  असमर्थ  था । 

   (ञ) मृत्यु  से  ठीक  पहले  छोटे जादूगर  की  माँ  के  मुँह  से  कौन       सा  अधूरा  शब्द  निकला  था ?
   उत्तर : मृत्यु  के  ठीक  पहले  छोटे  जादूगर  की  माँ  के  मुँह  से "         बे..." शब्द  निकला  था  । 

3. अति  संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  25 शब्दों  में )

    (क) बाबू  जयशंकर  प्रसाद  की  बहुमुखी  प्रतिभा  का  परिचय  किन
    क्षेत्र  में  मिलता  है  ? 
    उत्तर : बाबू  जयशंकर  प्रसाद  की  बहुमुखी  प्रतिभा  का  परिचय
    कविता , नाटक , कहानी , उपन्यास , निबंध  और  आलोचना  के क्षेत्र
    में  अमर  लेखनी  चलाकर  आधुनिक  कालीन  हिंदी  साहित्य  को
    समृद्ध  किया  है । साहित्यकार  के अलावा  वे  इतिहास  एवं  पुरातत्व
    के   विद्वान  तथा  एक  गंभीर  चिन्तक  भी  थे । भारतीय  सभ्यता-
    संस्कृति , धर्म-दर्शन , भक्ति-अध्यात्म  के  प्रति  गहरी  रूचि  रखने
    वाले  प्रसाद  जी  ने  इन्हें  अपनी  रचनाओं  के  माध्यम  से  उजागर
    करने  का  भरपूर  प्रयास  किया  है ।

    (ख) श्रीमान  ने  छोटे  जादूगर  को  पहली  भेंट  के   दौरान   किस        रूप  में  देखा  था ?
    उत्तर : श्रीमान  ने  छोटेे  जादूगर  को  पहली  भेंट  के  दौरान
    देेखा  था  कि  उसके  गले  में  फटे  कुरते  के  ऊपर  एक
    मोटी-सी  सूत की  रस्सी  पड़ी  थी  और  जेब  में  कुछ  ताश
    के  पत्ते  थे । उसके  मुँह  पर  गम्भीर  विषाद  के  साथ  धैर्य
    की  रेखा  थी ।

    (ग) " वहाँ  जाकर  क्या  कीजिएगा  ? " छोटे  जादूगर  ने  ऐसा  कब
    कहा  था ?
    उत्तर : जब  श्रीमान  ने   छोटे  जादूगर   को   कहा  कि
    उस  परदे  में  क्या  है , वहाँ   तुम   गए   थे ?  वह  बोला
    कि  वहाँ  जाने  के  लिए  टिकट  लगता  है ।  श्रीमान   ने
    जब  उन्हें  वहाँ  ले  जाने   के   लिए  ज़िक्र  किया  तब  वह
    कहा  था  कि  वहाँ  जाकर  क्या  कीजिएगा ।

    (घ) निशानेबाज  के  रूप  में  छोटे  जादूगर  की  कार्य-कुशलता  का
    वर्णन  करो ।
    उत्तर : निशानेेेबाज  केे   रूप  में   छोटे  जादूगर   पक्का
    निशानेबाज था। उसका  कोई  गेंद  खाली  नहीं  गया , देखने
    वाले  दंग  रह गए । उसने   बारह   टिकट  के  बारह   खिलौने 
    को   बटोर  लिया , कुछ   श्रीमान  के  रूमाल  में  बाँधे  और
    कुछ  जेब  में  रख  लिए  ।

    (ङ) कलकत्ते  के  बोटानिकल  उद्यान  में  श्रीमान-श्रीमती  को  छोटा
    जादूगर  किस  रूप  में  मिला  था ?
    उत्तर : कलकत्ते  के  बोटानिकल  उद्यान  में  श्रीमान - श्रीमती
    को छोटा  जादूगर  दिखाई  दिया ।  उनके   हाथ  में  चारखाने
    की  खादी का  झोला  था । आधी  बाँहों  का  कुरता  और
    साफ  जाँघिया  पहना हुआ  था । सिर  पर  श्रीमान  दिया  हुआ
    रूमाल  सूत  की  रस्सी  से  बँधा  हुआ  था  और  मस्तानी
    चाल  से  झूमता  हुआ  नजर  आ  रहा  था ।

    (च) कलकत्ते  के   बोटानिकल   उद्यान   में   श्रीमान   ने   जब
    छोटे जादूगर  को  ' लड़के !'  कहकर  संबोधित  किया ,  तो  उत्तर
    में  उसने क्या  कहा ?
    उत्तर : कलकत्ते   के   बोटानिकल   उद्यान  में  श्रीमान  ने   जब
    छोटे जादूगर  को  ' लड़के !' कहकर  संबोधित  किया , तो
    उत्तर  में  उसने कहा  कि  छोटा  जादूगर  कहकर  बुलाइए
    मेरा  नाम  यही  है ।  इसी से  मेरी  जीविका  है ।
    (छ) " आज  तुम्हारा  खेल  जमा  क्यों  नहीं  ? "-इस  प्रश्न  के
    उत्तर  में  छोटे   जादूगर  ने  क्या  कहा ?
    उत्तर : "आज  तुम्हारा  खेल  जमा  क्यों   नहीं ? " - इस  प्रश्न
    के  उत्तर  में  छोटे  जादूगर  ने अविचल  भाव  से  कहा  कि  मेरी  माँ      की घड़ी  समीप  है , आज  तुरन्त  चले  आने  के  लिए  कहा   है ।

4. संक्षिप्त  उत्तर  दो ( लगभग  50 शब्दों  में )

    (क) प्रसाद  जी  की  कहानियों  की  विशेषताओं  का  उल्लेख  करो ।
    उत्तर : प्रसाद  जी  ने  लगभग  सत्तर  कहानियाँ  हिंदी  को  भेेंट  की
    हैं । ये  कहानियां  छाया , प्रतिध्वनि , आकाश-द्वीप , आधी , इंद्रजाल
    आदि  संग्रहों  में  संकलित  हैं । उनकी  प्रथम  कहानी  'ग्राम' 1911
    ई.  में  'इंद्र'  नामक  पत्रिका  में  प्रकाशित  हुई  थी । कहानीकार  के
    रूप  में  उन्हें  भाववादी  धारा  के  प्रवर्त्तक  कहा  जाता  है ।  उनकी
    अधिकांश  कहानियों  में  चारित्रिक  उदारता , प्रेम , करुणा , त्याग
    बलिदान , अतीत  के  प्रति  मोह  से  युक्त  भावमूलक  आदर्श  की
   अभिव्यक्ति  हुई  थी । उन्होंने  अपने  समकालीन  समाज  की आर्थिक
    विपन्नता , निरीहता , अन्याय  और  शोषण  को  भी  कुछ  कहानियों
    में  चित्रित  किया  है ।

    (ख) "क्यों  जी ,  तुमने  इसमें  क्या  देखा  ? - इस  प्रश्न  का  उत्तर
    छोटे  जादूगर  ने  किस  प्रकार  दिया  था  ?
    उत्तर : इस  प्रश्न  का  उत्तर  छोटे  जादूगर  ने  श्रीमान  को
    देते  हुए  कहा  कि  यहाँ  चूड़ी  फेंकते  हैं । खिलौने  पर
    निशाना  लगाते हैं । तीर से नम्बर छेदते हैं। मुझे तो खिलौने
    पर निशाना लगाना अच्छा मालूम  हुआ । जादूगर  तो
    बिल्कुल  निकम्मा  है । उससे अच्छा  तो  ताश  का  खेल  मैं
    ही  दिखा  सकता  हूँ ।

    (ग) अपने  माँ-बाप  से  संबंधित  प्रश्नों  के  उत्तर  में  छोटे  जादूगर  ने
    क्या-क्या  कहा  था ?
    उत्तर : अपने  माँ-बाप  से  संबंधित  प्रश्नोंं के उत्तर  मेंं  छोटे
    जादूगर ने  कहा  था  कि  मेरी  बाबूजी  जेल  में  हैं , देश  के
    लिए  और  माँ बीमार है । आगे  कहा  कि  वह  तमाशा
    दिखाने निकला  है  जिससे   कुछ  पैसे  मिले  तो  अपनी
    माँ  को   पथ्य  दिलाएगा । उसने  कहा कि  शरबत  न
    पिलाकर  श्रीमान  ने  उनका  खेल  देखकर  कुछ  दे देने
    से  उन्हें  अधिक  प्रसन्नता  होती ।

    (घ) श्रीमान  ने  तेरह-चौदह  वर्ष  के  छोटे  जादूगर को  किसलिए
    आशचर्य  से  देखा  था  ?
    उत्तर : छोटे  जादूगर  के  मुँह  से  उनकी  माँ-पिताजी  के  दु:ख  की
    कथा  सुनकर  श्रीमान  ने  तेरह-चौदह  वर्ष  के  छोटे  जादूगर  को
    आशचर्य  से  देख  रहा  था । वह  कहने  लगे  जब  कुछ  लोग  खेल-
    तमाशा  देखते  ही  हैं , तो  क्यों  न  दिखाकर  माँ  की  दवा-दारू
    करूँ  और  अपना  पेट  भरूँ ।

    (ङ)  श्रीमती  के  आग्रह  पर  छोटे  जादूगर  b7ने  किस  प्रकार  अपना
    खेल  दिखाया  ?
    उत्तर : श्रीमती  के  आग्रह  पर  छोटे  जादूगर  ने  अपना  खेल आरंभ
    कर  दिया । उस दिन  कार्निवल  के  सब  खिलौने  उसके  खेल  में
    अपना  अभिनय  करने  लगे । भालू  मनाने  लगा । बिल्ली  रूठने
    लगी । बन्दर  घुड़कने  लगा । गुड़िया  का  ब्याह  हुआ । गुड्डा  वर
    काना  निकला । लड़के  की  वाचालता  से  ही अभिनय  हो  रहा था ।
    सब  हँसते-हँसते  लोट-पोट  हो  गए । ताश  के  सब  पत्ते  लाल  हो
    गए । फिर  सब  काले  हो  गए । गले  की  सूत  की  डोरी  टुकड़े-
    टुकड़े  होकर  जुड़  गई । लट्टू  अपने-आप  नाच  रहे  थे ।

    (च) हवड़ा  के  ओर  आते  समय  छोटे  जादूगर  और  उसकी  माँ के
    साथ  श्रीमान  की  भेंट  किस  प्रकार  हुई  थी ?
    उत्तर : हवड़ा  के  ओर  आते  समय श्रीमान  को  छोटे  जादूगर
    स्मरण  होता  था । उन्हें  दिखाई  पड़ता  है  कि  वह  एक
    झोंपड़ी  के  पास  कम्बल  कांधे  पर  डाले  खड़ा  था ।
    श्रीमान  ने  मोटर  रोककर  पूछ  ने  के  बाद  बताया  कि  अब
    उनके  माँ को अस्पताल  वालों  ने  निकाल  दिया  है ।  उस
    झोंपड़ी  में  जाकर  देखा  तो  श्रीमान  के  आँखों  से  आँसू
    निकल  पड़े ।  छोटे  जादूगर  के  माँ  चिथड़ों  से  लदी  हुई
    काँप  रही थी , वह  कम्बल ऊपर  से  डालकर  उसके
    शरीर  से  चिपटते  हुए  कहने  लगा - " माँ  ! " 

    (छ) सड़क  के  किनारे  कपड़े  पर  सजे  रंगमंच  पर  छोटा
    जादूगर  किस  मन : स्थिति  में  और  किस  प्रकार  खेल  दिखा
    रहा  था ?
    उत्तर  : निर्मल  धूप  में  करीब  दस  बजे  सड़क  के  किनारे
    एक  कपड़े  पर  छोटे  जादूगर  का  रंगमंच  सजा  था । वहाँ
    बिल्ली  रूठ  रही  थी । भालू  मनाने  चला  था । ब्याह  की
    तैयारी  थी , यह  सब  होते  हुए  भी  जादूगर  की  वाणी  में
    वह  प्रसन्नता  की  तरी  नहीं  थी । जब  वह  औरों  को  हँसाने
    की  चेष्टा  कर  रहा  था , तब  वह  जैसे  स्वयं  कँप  जाता  था।
    मानो  उसके  रोएँ  रो  रहे  थे । 

    (ज) छोटे  जादूगर  और  उसकी  माँ  के  साथ  श्रीमान  की
    अंतिम  भेंट  का  अपने  शब्दों  में  वर्णन  करो ।
    उत्तर  : 4. ( च )  का  उत्तर  देखों ।

Tuesday, 14 April 2020

Student's Guide : Class 10 ( SEBA)| Hindi Textbook Solution | आलोक भाग २ | गद्य न॰ १ : नींव की ईंट - रामवृक्ष बेनीपुरी |


Page No  : 06 


अभ्यासमाला 

बोध  एवं  विचार 
1. पूर्ण  वाक्य  में  उत्तर  दो :

    (क) रामवृक्ष  बेनीपुरी  का जन्म  कहाँ  हुआ  था  ? 
    उत्तर : रामवृक्ष  बेनीपुरी  का  जन्म  1902  ई. में  बिहार  के
    मुुुुजफ्फरपुर  जिले  के  अंतर्गत  बेनीपुर  नामक  गाँव  में  हुुआ  था ।

    (ख) बेनीपुरी  जी  को  जेल  की  यात्राएँ   क्यों   करनी  पड़ी  थी ?
    उत्तर : भारतीय  स्वतंत्रता  संग्राम  के  सक्रिय  सेनानी  के  रूप  में  
    योगदान  देने  के  कारण  बेनीपुरी  जी  को  जेल  की  यात्राएँ  करनी 
    पड़ी  थी । 

    (ग) बेनीपुरी  जी  का  स्वर्गवास  कब  हुआ  था ? 
    उत्तर : बेनीपुरी  जी  का  स्वर्गवास  सन 1968 ई. में  हुआ  था । 

    (घ) चमकीली , सुंदर , सुघड़  इमारत  वस्तुतः  किस  पर  टिकी होती 
    है  ? 
    उत्तर : चमकीली , सुंदर , सुघड़़  इमारत   वस्तुतः  इसकी  नींव  पर  
    टिकी  होती   है । 

    (ङ) दुनिया  का  ध्यान  सामान्यतः  किस  पर  जाता  है  ? 
    उत्तर : दुनिया  का  ध्यान  सामान्यतः  इसकी  चकमक  की  ओर  
    जाता  है । ऊपर  का  आवरण  हर  कोई  देखना  पसंद  करता  है  ।

    (च) नींव  की   ईंट  को  हिला  देने  का  परिणाम   क्या  होगा  ? 
    उत्तर : नींव  की  ईंट  पर  उसकी  मजबूती  और  पुख्तेपन  पर  सारी 
    इमारत  की  अस्ति - नास्ति  निर्भर  करती  है । इसलिए  उस  ईंट  को
    हिला  देने  से  कंगूरा  बेतहाशा  जमीन  पर  आ  जाएगा ।

    (छ) सुंदर  सृष्टि  हमेशा  ही  क्या  खोजती  है  ? 
    उत्तर : सुंदर  सृष्टि  हमेशा   ही  बलिदान  खोजती  है  ,  बलिदान  ईंट
    का  हो  या  व्यक्ति  का ।

    (ज) लेखक  के  अनुसार  गिरजाघरों  के  कलश  वस्तुतः  किनकी  
    शहदत  से  चमकते  है  ? 
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  गिरजाघरों  केे  कलश  वस्तुतः  नींव  की
    ईंट  की  शहादत  से  चमकते  है । अर्थात  वह  लोग  जो  ईसाई  धर्म 
    को  अमर  बनाने  के  लिए  अपना  आत्म - बलिदान  दे  दिया ।

    (झ) आज  किसके  लिए  होड़ा - होड़ी  मची  है  ? 
    उत्तर : आज  कंगूरा  बनने  केे  लिए  यानी  समाज  का  यश - लोभी 
    सेवक  बनने  के  लिए   चारों   ओर  होड़ा - होड़ी  मची  है , नींव  की
    ईंट  बनने  की  कामना  लुप्त  हो  रही  है ।

    (ञ) पठित  निबंध  में   'सुंदर  इमारत'  का  आशय  क्या  है  ? 
    उत्तर : पठित  निबंध  में  'सुंदर  इमारत' का  आशय   है - नया  सुुंदर 
    समाज ।

2 . अति  संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  25 शब्दों  में )  :  

    (क) मनुष्य  सत्य  से  क्यों  भागता  है  ?
    उत्तर : सत्य  कठोर   होता  है , कठोरता  और  भद्दापन  साथ - साथ
    जन्मा  करते  हैं , जिया  करते  हैं । मनुष्य  कठोरता  से  भागते  हैं ,
    भद्देपन  से  मुख  मोड़ते  हैं  । हसलिए  सत्य  से  भी  भागते  हैं  ।

    (ख) लेखक  के  अनुसार  कौन-सी  ईंट  अधिक   धन्य  है  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  वह  ईंट  धन्य  है  जो  जमीन  के  सात
    हाथ  नीचे  जाकर  गड़  गई   और  इमारत  की  पहली  ईंट  बनी ।
    साथ  ही  साथ  वह  ईंट  जो  कट - छँटकर  कंगूरे  पर  चढ़ती  है
    और  बरबस  लोक - लोचनों  को  अपनी  ओर  आकृष्ट  करती  है  ।

    (ग) नींव  की  ईंट  की  क्या  भूमिका  होती  है  ?
    उत्तर : नींव  की  ईंट  यह  चाहती  है  कि  दुनिया  को  इमारत  मिले ,
    कंगूरा  मिले  । वह  ईंट  खुद  को  सात  हाथ  जमीन  के  अंदर
    इसलिए  गाड़  दिया  ताकि  इमारत  जमीन  के  सौ  हाथ  ऊपर  तक
    जा  सके , उसके  साथियों  को  स्वच्छ  हवा  मिलती  रहे , सुनहली
    रोशनी  मिलती  रहे  और  संसार  एक  सुंदर  सृष्टि  देखे ।

    (घ) कंगूरे  की  ईंट  की  भूमिका  स्पष्ट  करो  ।
    उत्तर : कंगूरे  की  ईंट  खुद  को  महान  समझते  है । वह  यह
    नहीं  चाहती  कि  उससे  बढ़कर  भी  कोई  ओर  हो । इसप्रकार
    समाज  का  यश - लोभी  सेवक , जो  प्रसिद्ध , प्रशंसा  अथवा  अन्य
    किसी  स्वार्थवश  समाज  का  काम  करना  चाहता  है  । आज  कंगूरे
    की  ईंट  बनने  के  लिए  चारों  ओर  होड़ा - होड़ी  मची  है  ।

    (ङ) शहदत  का  लाल  सेहरा  कौन-से  लोग  पहनते  है  और  क्यों ?
    उत्तर : शहदत  का  लाल  सेहरा  कुछ  तपेे-तपाए  लोग  ही  पहनते
    है  क्योंकि  वे  समाज  की  आधारशिला  होती  है। वह  लोग समाज
    के  नव - निर्माण  हेतु  खुद  को  आत्म - बलिदान  कर  दिया  ।

    (च) लेखक  के  अनुसार  ईसाई  धर्म  को  किन  लोगों  ने  अमर
    बनाया  और  कैसे  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  ईसाई  धर्म  को  उन  लोगों  ने  अमर
    बनाया , जिन्होंने  उस  धर्म  के  प्रचार  में  अपने  को  अनाम  उत्सर्ग
    कर  दिया । उनमें  से  कितने  जिंदा  जलाए  गए ,  कितने  सूली  पर
    जढ़ाए  गए ,  कितने  वन - वन  की  खाक  छानते  जंगली  जानवरों
    के  शिकार  हुए ,  कितने  उससे  भी  भयानक  भूख - प्यास  के
    शिकार  हुए ।

    (छ) आज  देश  के  नौजवानों  के  समक्ष  चुनौती  क्या  है  ?
    उत्तर : आज  कंगूरे  की  ईंट  बनने  के  लिए  चारों  ओर  होड़ा-होड़ी
    मची  है ,  नींव  की  ईंट  बनने  की  कामना  लुप्त  हो  रही  है ।
    इसलिए  लेखक  द्वारा  देश  के  नौजवानों  के  समक्ष  चुनौती  यह  है
    कि  वे  नींव  की  ईंट  बनने  की  कामना  लेकर  आगे  आएँ  और
    भारतीय  समाज  के  नव-निर्माण  में  चुपचाप  अपने  को  खपा  दें ।

3. संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  50  शब्दों  में  ) :
    (क) मनुष्य  सुंदर  इमारत  के  कंगूरे  को  तो  देखा  करते  हैं , पर
    उसकी  नींव  की  ओर  उनका  ध्यान  क्यों  नहीं  जाता  ?
    उत्तर : दुनिया  चकमक  देेेखती  है , ऊपर  का  आवरण  देेखती  है,
    आवरण  के  नीचे  जो  ठोस  सत्य  छिपी  है  उस  पर  लोगों  का
    ध्यान  नहीं  जाता । समाज  के  लोग  प्रसिद्धि  , प्रशंसा  अथवा  अन्य
    किसी  स्वार्थवश  समाज का  काम  करना  चाहता  है । वे  यश-लोभी
    सेवक  बन  गया  है । इसलिए  मनुष्य  सुंदर  इमारत  के  कंगूरे  को
    तो  देखा  करते  हैं  , पर  उसकी  नींव  की  ओर  उनका  ध्यान  नहीं
    जाता ।

    (ख) लेखक  ने  कंगूरे  के  गीत  गाने  के  बजाय  नींव  के  गीत  गाने
    के  लिए  क्यों   आहवान  किया  है  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  भारतीय  स्वाधीनता  आंदोलन  के
    सैनिकगण  नींव  की  ईंट  की   तरह  थे ,  जबकि  स्वतंत्र  भारत  के
    शासकगण  कंगूरे  की  ईंट  निकले  ।  समाज  के  नव - निर्माण  हेतु
    वे  लोग  आत्म - बलिदान  के  लिए  प्रस्तुत  होंगे  जो  नींव   की  ईंट
    है । जो  देश - हित  के  लिए  अपना  बलिदान  दें  चूकें  हैं  । इसलिए
    लेखक  ने  कंगूरे  के  गीत  गाने  के  बजाय  नींव  के  गीत  गाने  के
    लिए  आहवान   किया  है ।

    (ग) सामान्यतः  लोग  कंगूरे  की  ईंट  बनना  तो  पसंद  करते  हैं ,
    परंतु  नींव  की  ईंट  बनना  क्यों  नहीं  चाहते  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  समाज  केे  ज्यादातर  लोग  आज  यश-
    लोभी  सेवक  बन  गये  है । वे  अपनी  स्वार्थवश  काम  करना  पसंद
    करते  है । वे  समाज  के  आगे  आकर  कुछ  साहस  जुटा  नहीं  पाते
    । इसलिए  सामान्यतः  लोग कंगूरे  की  ईंट  बनना  तो पसंद  करते  हैं
    ,  परंतु  नींव  की  ईंट  बनना  नहीं  चाहते ।

    (घ) लेखक  ईसाई  धर्म  को  अमर  बनाने  का  श्रेय  किन्हें  देना    चाहता  है  और  क्यों  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  ईसाई  धर्म  को  अमर  बनाने  का  श्रेय
    ईसा  की  शहादत  को  देना  चाहता  है । क्योंकि  उन  लोगों  ने  उस
    धर्म  के  प्रचार  में  अपने  को  अनाम  उत्सर्ग  कर  दिया । उनमें  से
    कितने  जिंदा  जलाए  गए ,  कितने  सूली  पर  जढ़ाए  गए ,  कितने
    वन-वन  की  खाक  छानते  जंगली  जानवरों  के  शिकार  हुए ,
    कितने  उससे  भी  भयानक  भूख-प्यास  के  शिकार  हुए ।

    (ङ) हमारा  देश  किनके  बलिदानों  के  कारण  आजाद  हुआ ?
    उत्तर : हमारा  देश  उन  वीर  पुरूषों  के  बलिदानों  से  आजाद  हुआ
    जिन्होंने  बिना  किसी  यश - लोभ  के  देश  के  नव - निर्माण  हेतु
    आत्म - बलिदान  दे  दिया । भारतीय  स्वाधीनता  आंदोलन  के
    सैनिकगण  नींव  की  ईंट  की  तरह  थे , जिसके  के  कारण  हमारा
    देश  आजाद  बने ।

    (च) दधीचि  मुनि  ने  किसलिए  और  किस  प्रकार  अपना  बलिदान
    किया  था ?
    उत्तर : दधीचि  मुनि  ने  वृत्रासुर  का  नाश  करने  के  लिए  हड्डियोंं
    के  दान  करके  अपना  बलिदान  किया  था । भारतीय  इतिहास  में
    मानव  कल्याण  के  लिए  अपनी  अस्थियों  का  दान  करने  वाले
    मात्र  दधीचि  ही  थे । देवताओं  के  मुँह  से  यह  जानकर  कि उनकी
    अस्थियों  से  निर्मित  वज्र  द्वारा  ही  असुरों  का  संहार  किया  जा
    सकता  है , उसने  अपना  शरीर  त्याग  कर  अस्थियों  का  दान  कर
    दिया  जिससे   बने  धनुष  द्वारा  भगवान  इंद्र  ने  वृत्रासुर  का  संहार
    किया  था ।

    (छ) भारत  के  नव-निर्माण  के  बारे  में  लेखक  ने  क्या  कहा  है ?
    उत्तर : भारत  के  नव-निर्माण  के  बारे  में  लेखक  ने  कहा  है  कि
    देश  के  सात  लाख  गाँवों ,  हजारों  शहरों  और  सैकड़ों  कारखानों
    के  नव-निर्माण  हेतु  नींव  की  ईंट  बनने  के  लिए  तैयार  लोगों  की
    जरूरत  है , लेकिन  नींव  की  ईंट  बनने  की  कामना  लुप्त  हो  रही
    है । लेखक  ने  नौजवानों  से  आहवान  किया  है  कि  वे  नींव  की
    ईंट  बनने  की  कामना  लेकर  आगे  आएँ  और  भारतीय  समाज  के
    नव-निर्माण  में  चुपचाप  अपने  को  खपा  दें ।

    (ज) ' नींव  की  ईंट '  शीर्षक  निबंध  का  संदेश  क्या  है  ?
    उत्तर : ' नींव  की  ईंट ' शीर्षक  निबंध  के  माध्यम  से  लेखक  हमें
    यह  संदेश  देना  चाहता  है  कि  समाज  के  नव-निर्माण  हेतु , हमें 
    प्रसिद्धि , प्रशंसा  अथवा  अन्य  किसी  स्वार्थवश  त्याग  करके  
    समाज  के  लिए  काम  करना  चाहिए । हमें एक सच्चा  और  निडर 
    इंसान  बनके  समाज  के  लिए  एकसाथ  मिलकर  काम  करना  है ।

Friday, 27 March 2020

Student's Guide : Class 9 |Hindi Textbook Solution| आलोक भाग - १|पाठ न॰ २: परीक्षा - प्रेमचंद|



अभ्यासमाला
Page No: 18

■ बोध  एवं  विचार  :

1. पूर्ण  वाक्य में  उत्तर दो  : 

( क ) 'परीक्षा' कहानी में किस पद के लिए परीक्षा ली गई  ? 

उत्तर  : 'परीक्षा' कहानी में रियासत के दीवान पद के लिए  परीक्षा ली 

गई  ।

( ख ) दीवान साहब के समक्ष क्या शर्त रखी गई  ? 

उत्तर  : दीवान साहब के समक्ष यह शर्त रखी गई कि रियासत देवगढ़ के 

नया  दीवान  उन्हीं को खोजना पड़ेगा ।

( ग ) 'परीक्षा' कहानी में उम्मीदवार कौन -सा  सामूहिक खेल खेलते हैं  ?

उत्तर  : 'परीक्षा' कहानी में उम्मीदवार आपस में  हाॅकी  खेल खेलते  हैं  ।

( घ ) दीवान पद के लिए किसका चयन किया गया  ? 

उत्तर  : दीवान पद के लिए पंडित जानकीनाथ का चयन किया गया  । 

2 .संक्षिप्त उत्तर दो ( लगभग 25 शब्दों में  ) : 

( क ) दीवान सुजानसिंह ने महाराज से  क्या प्रार्थना की ? क्यों  ? 

उत्तर  : दीवान सुजानसिंह ने महाराज से यह प्रार्थना  किया कि  वह 

रियासत  देवगढ़ के दीवान पद में  चालीस साल  तक की सेवा की । अब 

कुछ दिन  परमात्मा की भी सेवा करने की आज्ञा चाहता है । क्योंकि 

अब शारीरिक अवस्था भी ढल गई  है  । राजकाज  सँभालने की शक्ति 

नहीं  रह गई  । भूल - चूक हो जाए  , तो बुढ़ापे  में  दाग लगे , सारी 

जिदंगी की नेकनामी मिट्टी में  मिल जाएगा । 

( ख ) उम्मीदवार विभिन्न प्रकार के अभिनय कैसे और क्यों कर रहे थे ? 

उत्तर  : रियासत के दीवान पद के लिए  आए प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन 

को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे  रूप में दिखाने की कोशिश करता था 

।  जो पहले नौ बजे दिन तक सोया करते  थे ; आजकल वे बगीचे में 

टहलते  ऊषा  के दर्शन करते थे ।  हुक्का पीने की लत  रहने वाले  

आजकल  बहुत रात गए  , किवाड़ बंद करके अंधेरे में सिगरेट पीते  थे ।

जो पहले नास्तिक थे ; आजकल उनकी धर्म - निष्ठा  देखकर मंदिर के 

पुजारी  भी शंका करने लगी है ।  जिसे किताबों  से घृणा थी ; आजकल 

वे बड़े  - बड़े  धर्म - ग्रंथ  खोले , पढ़ने में डूबे रहते  थे । हर कोई नम्रता  

और  सदाचार  का देवता मालूम  होता था । वे सब  उम्मीदवार दीवान 

पद के लिए  खुद में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे थे । 

( ग ) एक उम्मीदवार  ने गाड़ीवाले की मदद कैसे की ? 

उत्तर  : एक उम्मीदवार  जिसे हाॅकी खेलते हुए  , उसके पैरो में  चोट लग 

गई  थी ; वह  गाड़ीवाले  से कहा कि गाड़ी में  बैठकर बैलों को साधों  । 

तब उसने  पहियों को ज़ोर लगाकर खिसकाया । कीचड़  बहुत  ज़्यादा 

था । वह घुटनों तक ज़मीन में गड़ गया , लेकिन उसने हिम्मत न हारी । 

गाड़ीवाले बैलों को ललकारा , उन्होंने कंधे झुकाकर एक बार  फिर से 

ज़ोर  लगाया और  गाड़ी नाले की ऊपर चढ़ गई  । इस प्रकार  एक 

उम्मीदवार ने गाड़ीवाले की मदद की  थी । 

( घ ) किसान ने अपने मददगार युवक से क्या कहा ? उसका क्या अर्थ 

था ? 

उत्तर  : किसान  ने  अपने  मददगार  युवक से हाथ जोड़कर कहा  , 

"महाराज  ! आपने  आज मुझे उबार लिया , नहीं तो सारी रात यहीं 

बैठना पड़ता । जब युवक ने हँसकर कहा कि  क्या मुझे कुछ इनाम देंगे  

तब उत्तर में  किसान ने गंभीर भाव से कहा कि नारायण चाहेंगे तो

दीवानी  आपको ही मिलेगी । उसका अर्थ यह था कि रियासत देवगढ़ के

दीवान पद के लिए  जिस उम्मीदवार की खोज थी , वह मिल  चुका है ।

( ङ ) सुजानसिंह ने उम्मीदवारों की परीक्षा  कैसे ली ? 

उत्तर  : सरदार सुजानसिंह ने दीवान पद के लिए आए  उम्मीदवारों के 

आदर - सत्कार का बड़ा अच्छा प्रबंध कर दिया था । प्रत्येक मनुष्य 

अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की 

कोशिश करता था ।  लेकिन , सुजानसिंह आड़ में बैठा हुआ देख रहा था 

कि  इन बगुलों में हंस कहाँ छिपा है ।  जब वे सब एकदिन हाॅकी खेल 

कर  संध्या समय लोट रहे थे तब  एक किसान (सुजानसिंह) को देखा  

कि वह अनाज से भरी  हुई  गाड़ी  में फंसे हुए है । उसमें से एक व्यक्ति 

को छोड़कर किसी ने  उनकी तरफ दया भाव से नही देखा । वह  पैरों में  

चोट लगने के बावजूद किसान की मदद की  जिसमें  सभी गुण झलक 

रहे थे ।  सुजानसिंह को  दीवान पद के लिए ऐसे पुरूष की आवश्यकता 

थी , जिसके ह्रदय में दया हो और  साथ  ही साथ  आत्मबल भी ।  इस 

तरह  सुजानसिंह ने उम्मीदवारों की परीक्षा ली और  इस परीक्षा में  

पंडित  जानकीनाथ  पास कर गए । 

( च ) पं॰ जानकीनाथ में  कौन-कौन से गुण थे ? 

उत्तर  : पं॰ जानकीनाथ में साहस , आत्मबल  और  उदारता का गुण था 

। साथ -ही -साथ  उनमे दृढ़ संकल्प  का गुण भी झलक रहा था  ।

( छ ) सुजानसिंह के मतानुसार दीवान में कौन-कौन से गुण होने चाहिए ?

उत्तर  : सुजानसिंह के मतानुसार दीवान में  दया हो और  साथ ही साथ 

आत्मबल भी । ह्रदय वही है  , जो उदार  हो ; आत्मबल वही है  जो 

आपत्ति  का वीरता  के साथ  सामना करे  । 

3. सप्रसंग  व्याख्या  करो ( लगभग  100 शब्दों  में ) 

    (क) लेकिन,  मनुष्य  का  वह  बूढ़ा  जौहरी  आड़  में  बैठा  हुआ
  
    देख  रहा  था  कि  इन  बगुलों  में  हंस  कहाँ  छिपा  है ।

    उत्तर : प्रस्तुत  गद्याशं  हमारे  पाठ्यपुस्तक  'आलोक' के  'परीक्षा'
  
    नामक  पाठ  से  ली  गई  है । पाठ  के  लेखक  है  प्रेमचंद   जी।
         
          लेखक  ने  रियासत  के   दीवान  पद  के  लिए  आए     

   उम्मीदवारों    ने  किस  तरह  अपने  जीवन  को  अपनी  बुद्धि  के  

  अनुसार  अच्छे   रूप  में  दिखाने  की  कोशिश  करता  है  और  

   उनलोगों  की  देखरेख  किस  तरह  से  हो  रहा  है  उसपर  बल  

   दिया  गया  है ।
        
          लेखक  के  अनुसार  सरदार  सुजानसिंह  ने  उम्मीदवारों  के 

    आदर-सत्कार  का  बड़ा  अच्छा  प्रबंध  कर  दिया  था । हर  कोई
    
    अपने  जीवन  को  अपनी  बुद्धि  के  अनुसार  अच्छे  रूप  में  दिखाने
    
    की  कोशिश  करता  था । जैसे  मिस्टर  'अ' नौ  बजे  दिन  तक सोया
  
    करते  थे ; आजकल  वे  बगीचे  में  टहलते  ऊषा  के  दर्शन  करते थे।
    
    मिस्टर  'ब'  को  हुक्का  पीने  की  लत  रहने  वाले  आजकल  बहुत 
   
    रात  गए  , किवाड़  बंद  करके  अंधेरे  में  सिगरेट  पीते  थे । मिस्टर 
  
    'स'  ,  'द'   और  'ज'  से  उनके  घरों  पर  नौकरों  की  नाक  में  दम
   
    था ; ये  सज्जन  आजकल  'आप '  और  'जनाब'  के  बगैर  नौकर
    
    से  बातचीत  नहीं  करते  थे । महाशय  'क'  नास्तिक  थे ;  मगर
  
    आजकल  उनकी  धर्म-निष्ठा  देखकर  मंदिर  के  पुजारी  को  पदच्युत
   
    हो  जाने  की  शंका  लगी  रहती । मिस्टर  'ल'  को  किताबों  से  घृणा
    
   थी ; परन्तु  आजकल  वे  बड़े-बड़े  धर्म-ग्रंथ  खोले ,  पढ़ने  में  डूबे 
   
   रहते  थे । हर  किसी  को  नम्रता  और  सदाचार  का  देवता  मालूम 
  
   होता  था । लोग  समझते  थे  कि  एक  महीने  की  झंझट  है  ; किसी
    
   तरह  काट  लें । कही  कार्य  सिद्ध  हो  गया  ,  तो  कौन  पूछता  है ?
    
   लेकिन  उनलोगों  का  दिनचर्या  मनुष्य  का  वह  बूढ़ा  जौहरी  आड़ 
   
   में  बैठा  हुआ  देख  रहा  था कि इन बगुलों  में  हंस  कहाँ  छिपा  है।

  (ख)  गहरे  पानी   में   बैठने  से  मोती  मिलता  है ।

   उत्तर : प्रस्तुत   गद्याशं   हमारे   हिंदी  पाठ्यपुस्तक   'आलोक '  के  

   'परीक्षा '  नामक   पाठ   से   ली   गई   है । पाठ  के  लेखक   का

   नाम   है   प्रेमचंद   जी।

        जब  एक  किसान  (सुजानसिंह)  की  अनाज  से  भरी  हुई गाड़ी  

   को  नाले  में   से  निकलने  के  लिए   जानकीनाथ   ने  मदद  की  थी
   
   और  कहा  था  कि  क्या  आप  मुझे  कुछ  इनाम  देंगे  तब  उत्तर  में 

   सुजानसिंह  ने  कहा  था  कि  गहरे  पानी  में  बैठने  से  मोती  मिलता 

   है। 

        एकदिन  उम्मीदवारों  के  बीच  हाॅकी  खेल  हो रहा  था ।  सभी

   खिलाड़ी  खेलने  के  बाद  थके  हुए  लौट  रहे  थे । सभी  खिलाड़ियों 

   को  एक  नाले  में  से  चलकर  आना  पड़ता  था । उसी  संध्या  समय 

   एक  किसान (सुजानसिंह)  अनाज  से  भरी  हुई  गाड़ी  लिए  उस 

   नाले  में  आया  ; लेकिन , कुछ  तो  नाले  में  कीचड़  था  और  कुछ

   चढ़ाई  इतनी  ऊँची  थी  कि  गाड़ी  ऊपर  न  चढ़  सकती  थी। वह

   हर  तरह  से  अकेले  कोशिश  किए  परन्तु  नाकामयाब  हुए ।  इसी

   बीच  में  खिलाड़ियों  ने  भी  उसी  नाले  से  होकर  निकले  लेकिन 

   जानकीनाथ  नाम  के  खिलाड़ी  को  छोड़कर  किसी  ने  उनकी  तरफ

   सहानुभूति  से  नहीं  देखें ।  उन्हें  आज  हाॅकी  खेलते  हुए  पैरों  में 

   चोट  लग  गई  थी।  उनके  ह्रदय  में  दया  थी  और  साहस  भी । 

   वह  किसान  से  बोला  कि आप  गाड़ी  पर  जाकर  बैलों  को  साधों ;

   मैं  पहियों  को  ढकेलता  हूँ।  वह  घुटनों  तक  ज़मीन  में  गड़  गया 

   और  पहियों  को  ज़ोर  लगाकर  खिसकाया , लेकिन  उसने  हिम्मत 

   न  हारी । उधर  किसान  ने  बैलों  को  ललकारा , उन्होंने  कंधे 

   झुकाकर  फिर  से  एक  बार  ज़ोर  लगाया  तबतक  गाड़ी  नाले  की 

   ऊपर  थी। किसान  ने  उनकी  सराहना  करते  हुए  धन्यवाद  जताया।

  वह  हँसते  हुए  कहा  कि  आप  मुझे  कुछ  इनाम  देगें  तब जबाब  में

  किसान  ने  कहा  कि  नारायण  चाहेंगे  तो  दीवानी  आपको  ही 

  मिलेगी ।  और  जाते  हुए  अंत  में  कहा  कि  गहरे  पानी  में  बैठने  से 

  मोती  मिलता  है । 

    (ग) उन  आँखों  में  सत्कार  था  और  इन  आँखों  में  ईर्ष्या  ।

    उत्तर : प्रस्तुत  गद्याशं  हमारे  हिंदी  पाठ्ययपुस्तक  'आलोक '  के 

    'परीक्षा '  नामक  पाठ  से  ली  गई  है । पाठ  के  लेखक  का  नाम  है

    प्रेमचंद  जी।  

         यहाँ   लेखक  बताना  चाहता  है  कि  रियासत  के  दीवान  पद  

   के  लिए   जब  पं . जानकीनाथ   का  चयन  हुआ  तब  रियासत  के 

   कर्मचारी  और  अन्य  उम्मीदवारों   ने  किस  तरह   पेश  आ  रहे  थे 

   उसका  वर्णन  किया  गया  है ।

         दीवान  सुजानसिंह  ने  रियासत  के  दीवान  पद  के  लिए  आए 

   उम्मीदवारों  की  आदर - सत्कार  का  बड़ा  अच्छा  प्रबंध  कर  दिया  

  था ।  सभी  के  परीक्षा  शुरू  हो  चुका  था । जब  निदान  महीना  पूरा 

   हुआ  तब  चुनाव  का  दिन  आ  पहुँचा ।  उम्मीदवार  लोग  प्रात:काल

   से  ही  अपनी  किस्मत  का  फैसला  सुनने  के  लिए  उत्सुक  थे। 

   संध्या  समय  राजा  साहब  का  दरबार  में  शहर  के  रईस  और    
   
  धनाढ्य  लोग,  राजा  के  कर्मचारी  और  दरबारी  और  दीवानी  के    

  उम्मीदवारों    के  समूह  के  उपस्थिति  में  सरदार  सुजानसिंह  दीवान     

  पद  के  लिए फैसला  सुनाते  हुए  कहा  कि  इस  पद  के  लिए  ऐसे   
  
  पुरूष  की  आवश्यकता  थी , जिसके  ह्रदय  में  दया  हो  और  साथ     
  
  ही  साथ आत्मबल  भी । ह्रदय  वही  है , जो  उदार हो  ; आत्मबल      

  वही  है  जो आपत्ति  का  वीरता  के  साथ  सामना  करे  ; और  इस       

  रियासत  के  सौभाग्य  से  ऐसा  पुरूष  मिल  गया ।  ऐसे  गुणवाले       

 संसार  में  कम  होते  हैं  और  जो  हैं , वे  कीर्ति  और  मान  के  शिखर   

 पर  बैठे  हुए  है ।  उन  तक  हमारी  पहुँच  ही  नही ।  अंत  में  दीवान   

 पद  के  लिए   पं . जानकीनाथ  का  नाम  चयन  किया  गया और  उन्हें   

 बधाई  दिया    गया ।  तभी  रियासत  के  कर्मचारी  और  रईसों  ने  पं . 

 जानकीनाथ  की  तरफ  देखा  और  उम्मीदवारों  के  दल  की  आँखे   

 उधर  उठी ;  मगर , उन  आँखों  में  सत्कार  था  और  इन  आँखों  में   

 ईर्ष्या  झलक   रही  थी ।

4. किसने   किससे  कहा , लिखो  : 

    (क) कहीं  भूल -चूक  हो  जाए  तो  बुढ़ापे  में  दाग  लगे , सारी  

    जिंदगी  की  नेकनामी  मिट्टी  में  मिल  जाए ।

    उत्तर : सरदार  सुजानसिंह  ने  महाराज  से  कहा  था ।

   (ख) मालूम  होता  है  , तुम  यहाँ  बड़ी  देर  से  फँसे  हुए  हो ।

    उत्तर : युवक ( पं . जानकीनाथ )ने  किसान ( सरदार  सुजानसिंह  )

    से  कहा  था।

    (ग) नारायण  चाहेंगे  तो  दीवानी  आपको  ही  मिलेगी ।

    उत्तर : किसान ( सरदार सुजानसिंह  ) ने  युवक ( पं . जानकीनाथ  )

    से  कहा  था।



Friday, 20 March 2020

Student's Guide : Class 9|Hindi Textbook Solution |आलोक भाग - १ | पाठ न॰ १: हिम्मत और जिंदगी - रामधारी सिंह 'दिनकर'


क्रमिक  न ॰ : 08 - 09 

अभ्यासमाला 

( अ ) सही विकल्प का चयन करो :

1 . किन व्यक्तियों को सुख का स्वाद अधिक मिलता है? 

( क) जो सुख का मूल्य पहले चुकाता है ।

( ख ) जो सुख का  मूल्य  पहले  चुकाता है  और  उसका  मजा 

बाद में  लेता है । -------- सही 

( ग ) जिसके पास  धन और  बल  दौनों  है । 

( घ ) जो  पहले दुःख  झेलता है ।

2. पानी में  जो अमृत-तत्त्व  है, उसे कौन जानता  है  ? 

( क ) जो  प्यासा  है ।

( ख ) जो  धूप में  खूब  सूख  चुका   है । ------- सही 

( ग ) जिसका  कंठ  सूखा  हुआ  है । 

( घ ) जो रेगिस्तान  से आया  है  ।

3. ' गोधुली  वाली दुनिया  के लोगों ' से अभिप्राय  है --

( क ) विवशता  और  अभाव  में  जीने  वाले  लोग ।

( ख ) जय - पराजय के अनुभव से परे लोग  ।

( ग ) फल की कामना  ना करने  वाले  लोग ।  ----- सही  

( घ ) जीवन को दाँव पर लगाने  वाले  लोग ।

4. साहसी  मनुष्य  की पहली  पहचान  यह  है  कि  वह --

( क ) सदा आगे  बढ़ता जाता । 

( ख ) बाधाओं  से  नहीं  घबराता है  ।

( ग ) लोगों  की  सोच  की  परवाह  नहीं  करता ।

( घ ) बिलकुल  निडर होता  हैं । ------ सही 

( आ ) संक्षिप्त  उत्तर  दो ( लगभग 25 शब्दों  में  ) 

1. चाँदनी  की  शीतलता  का  आनंद  कैसा  मनुष्य  उठा  पाता है ?

उत्तर: चाँदनी  की शीतलता का आनंद  वह  मनुष्य  उठा पाता है,  

जो दिन  भर  धूप में  थक कर लौटा है, जिसके  शरीर  को अब 

तरलाई की जरूरत  महसूस  होती  है  और  जिसका  मन यह 

जानकर  संतुष्ट  है  कि  दिन भर का समय उसने  किसी  अच्छे 

काम  में  लगाया  है ।

2. लेखक ने  अकेले  चलने वाले  की तुलना  सिंह  से क्यों  की है ?

उत्तर: लेखक  ने  अकेले  चलने वाले की तुलना सिंह से  की है  

क्योंकि  झुंड  में  चलना और  झुंड  में  चरना, यह भैंस  और  भेड़ 

का काम है । सिंह  तो बिल्कुल  अकेला होने पर भी मगन रहता  है ।

3. जिंदगी  का भेद  किसे मालूम  है  ? 

उत्तर: जिंदगी  का भेद  उसे ही मालूम  है  जो  यह जानकर  चलता 

है  कि  जिंदगी  कभी भी  खत्म  न होने  वाली  चीज है ।  

4. लेखक ने  जीवन के  साधकों  को क्या  चुनौती  दी है  ? 

उत्तर: लेखक ने  जिंदगी  के साधकों  को  यह चुनौती  दी है  कि 

मरने के समय  हम अपनी  आत्मा  से यह  धिक्कार  न सुनें  कि  

हममें  हिम्मत  की कमी थी, कि  हममें  साहस का अभाव  था, कि 

हम ठीक  वक्त पर  जिंदगी  से भाग  खड़े हुए ।

(इ ) निम्नलिखित  प्रश्नों  के  उत्तर  दो( लगभग 50 शब्दों  में  )

1 . लेखक  ने  जिंदगी  की कौन-सी  दो सूरतें  बताई है  और  उनमें 

 से किसे बेहतर  माना है  ? 

उत्तर: लेखक ने  जिंदगी की  दौ सूरतें  बताई  है । पहला  यह कि  

आदमी  बड़े- से- बड़े   मकसद के लिए  कोशिश करे, जगमगाती 

हुई जीत पर पंजा डालने के लिए  हाथ  बढ़ाए  और अगर 

असफलताएँ कदम- कदम पर जोश की रोशनी  के  साथ  

अँधियाली का जाल बुन रहीं हों , तब भी वह पीछे  को पाँव  न 

हटाए । दूसरी  सूरत यह है  कि  उन गरीब  आत्माओं का  

हमजोली  बन जाए   जो  न तो   बहुत  अधिक  सुख  पाती हैं और 

 न जिन्हें  बहुत  अधिक  दुःख  पाने का संयोग  है, कयोंकि  वे 

आत्माएँ  ऐसी गोधूलि में  बसती हैं, जहाँ  न तो जीत  हँसती हैं  

और  न  कभी हार के रोने की आवाज  सुनाई पड़ती है । 

           लेखक  दौनों  सूरतें  में  से पहली  सूरत को बेहतर माना है ।

2.   जीवन  में  सुख  प्राप्त  न होना और  मौके पर हिम्मत  न दिखा

 पाना --- इन दौनों में से लेखक ने किसे श्रेष्ठ  माना  है और कयों ? 

उत्तर: लेखक ने  जीवन में सुख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत 

न दिखा पाना--- इन दौनों में से , मौके पर हिम्मत न दिखा पाने  

को श्रेष्ठ माना  है  क्योंकि  मरने के  समय हम अपनी आत्मा से यह 

धिक्कार न सुनें कि हममें हिम्मत की कमी थी, कि हममें साहस का 

अभाव था, कि हम ठीक वक्त पर जिंदगी से भाग  खड़े हुए । 

3. पाठ के अंत  में  दी गई  कविता की पंक्तियों से युधिष्ठिर को क्या 

सीख  दी गई  है? 

उत्तर: लेखक ने  पाठ के अंत में दी गई कविता की पंक्तियों से 

युधिष्ठिर को  यह  सीख दी है कि   जीवन  में कभी डरना नहीं  

चाहिए । जीवन में  कठिनाई  आना तय है, लेकिन अपनी मंजिल 

तक पहुँच ने  के लिए  उन कठिनाईयों से निर्भय  होकर लड़ना ही  

जीवन  का सबसे  बड़ा  कर्तव्य है ।

( ई) सप्रसंग व्याख्या करो ( लगभग 100  शब्दों  में  ) :

( क ) साहसी मनुष्य सपने  उधार  नहीं  लेता, वह अपने विचारों में 

रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है ।

उत्तर  : प्रस्तुत गद्याशं हमारे पाठ्यपुस्तक  "आलोक" के 'हिम्मत 

और जिंदगी'  पाठ से ली गई  है । पाठ के लेखक रामधारी सिंह 

दिनकर  जी है ।

      गद्याशं के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है कि साहसी 

मनुष्य सपने उधार नहीं लेता है । वह अपने विचारों में रमा हुआ 

अपनी ही किताब पढ़ता है । वह इस बात की चिंता नहीं करता कि 

तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे  में  क्या सोच रहे हैं । क्रांति 

करने वाले अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते 

हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम 

बनाते हैं । साहसी मनुष्य उन कठिनाईयों से निर्भय होकर लड़ते 

हुए आगे बढ़ते  है , जिसके द्वारा  वह अपने मंजिल तक पहुँच पायें ।

(ख) कामना का अंचल छोटा मत करो , जिंदगी के फल को दोनों 

हाथों से दबाकर निचोड़ो ।

उत्तर  : प्रस्तुत गद्याशं हमारे पाठ्यपुस्तक  "आलोक" के  'हिम्मत 

और जिंदगी' पाठ से ली गई है । पाठ के लेखक रामधारी सिंह 

दिनकर जी है ।

      गद्याशं के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि कामना 

या अपना सपना जो भी है उसको कभी भी छोटा नही करना 

चाहिए । बल्कि उन सपनों को सकार करने के लिए कठिन से 

कठिन कदम सोच समझकर उठाना चाहिए । जिंदगी में दोनों हाथों 

के बल से ही अपना सपना  को सकार कर पायेंगे । इस तरह के 

सोच से ही हम जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ 

सकते है । 

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