क्रमिक न ॰ : 08 - 09
अभ्यासमाला
( अ ) सही विकल्प का चयन करो :
1 . किन व्यक्तियों को सुख का स्वाद अधिक मिलता है?
( क) जो सुख का मूल्य पहले चुकाता है ।
( ख ) जो सुख का मूल्य पहले चुकाता है और उसका मजा
बाद में लेता है । -------- सही
बाद में लेता है । -------- सही
( ग ) जिसके पास धन और बल दौनों है ।
( घ ) जो पहले दुःख झेलता है ।
2. पानी में जो अमृत-तत्त्व है, उसे कौन जानता है ?
( क ) जो प्यासा है ।
( ख ) जो धूप में खूब सूख चुका है । ------- सही
( ग ) जिसका कंठ सूखा हुआ है ।
( घ ) जो रेगिस्तान से आया है ।
3. ' गोधुली वाली दुनिया के लोगों ' से अभिप्राय है --
( क ) विवशता और अभाव में जीने वाले लोग ।
( ख ) जय - पराजय के अनुभव से परे लोग ।
( ग ) फल की कामना ना करने वाले लोग । ----- सही
( घ ) जीवन को दाँव पर लगाने वाले लोग ।
4. साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह --
( क ) सदा आगे बढ़ता जाता ।
( ख ) बाधाओं से नहीं घबराता है ।
( ग ) लोगों की सोच की परवाह नहीं करता ।
( घ ) बिलकुल निडर होता हैं । ------ सही
( आ ) संक्षिप्त उत्तर दो ( लगभग 25 शब्दों में )
1. चाँदनी की शीतलता का आनंद कैसा मनुष्य उठा पाता है ?
उत्तर: चाँदनी की शीतलता का आनंद वह मनुष्य उठा पाता है,
जो दिन भर धूप में थक कर लौटा है, जिसके शरीर को अब
तरलाई की जरूरत महसूस होती है और जिसका मन यह
जानकर संतुष्ट है कि दिन भर का समय उसने किसी अच्छे
काम में लगाया है ।
जो दिन भर धूप में थक कर लौटा है, जिसके शरीर को अब
तरलाई की जरूरत महसूस होती है और जिसका मन यह
जानकर संतुष्ट है कि दिन भर का समय उसने किसी अच्छे
काम में लगाया है ।
2. लेखक ने अकेले चलने वाले की तुलना सिंह से क्यों की है ?
उत्तर: लेखक ने अकेले चलने वाले की तुलना सिंह से की है
क्योंकि झुंड में चलना और झुंड में चरना, यह भैंस और भेड़
का काम है । सिंह तो बिल्कुल अकेला होने पर भी मगन रहता है ।
क्योंकि झुंड में चलना और झुंड में चरना, यह भैंस और भेड़
का काम है । सिंह तो बिल्कुल अकेला होने पर भी मगन रहता है ।
3. जिंदगी का भेद किसे मालूम है ?
उत्तर: जिंदगी का भेद उसे ही मालूम है जो यह जानकर चलता
है कि जिंदगी कभी भी खत्म न होने वाली चीज है ।
है कि जिंदगी कभी भी खत्म न होने वाली चीज है ।
4. लेखक ने जीवन के साधकों को क्या चुनौती दी है ?
उत्तर: लेखक ने जिंदगी के साधकों को यह चुनौती दी है कि
मरने के समय हम अपनी आत्मा से यह धिक्कार न सुनें कि
हममें हिम्मत की कमी थी, कि हममें साहस का अभाव था, कि
हम ठीक वक्त पर जिंदगी से भाग खड़े हुए ।
(इ ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो( लगभग 50 शब्दों में )
1 . लेखक ने जिंदगी की कौन-सी दो सूरतें बताई है और उनमें
से किसे बेहतर माना है ?
उत्तर: लेखक ने जिंदगी की दौ सूरतें बताई है । पहला यह कि
आदमी बड़े- से- बड़े मकसद के लिए कोशिश करे, जगमगाती
हुई जीत पर पंजा डालने के लिए हाथ बढ़ाए और अगर
असफलताएँ कदम- कदम पर जोश की रोशनी के साथ
अँधियाली का जाल बुन रहीं हों , तब भी वह पीछे को पाँव न
हटाए । दूसरी सूरत यह है कि उन गरीब आत्माओं का
हमजोली बन जाए जो न तो बहुत अधिक सुख पाती हैं और
न जिन्हें बहुत अधिक दुःख पाने का संयोग है, कयोंकि वे
आत्माएँ ऐसी गोधूलि में बसती हैं, जहाँ न तो जीत हँसती हैं
और न कभी हार के रोने की आवाज सुनाई पड़ती है ।
लेखक दौनों सूरतें में से पहली सूरत को बेहतर माना है ।
2. जीवन में सुख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत न दिखा
पाना --- इन दौनों में से लेखक ने किसे श्रेष्ठ माना है और कयों ?
उत्तर: लेखक ने जीवन में सुख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत
न दिखा पाना--- इन दौनों में से , मौके पर हिम्मत न दिखा पाने
को श्रेष्ठ माना है क्योंकि मरने के समय हम अपनी आत्मा से यह
धिक्कार न सुनें कि हममें हिम्मत की कमी थी, कि हममें साहस का
अभाव था, कि हम ठीक वक्त पर जिंदगी से भाग खड़े हुए ।
3. पाठ के अंत में दी गई कविता की पंक्तियों से युधिष्ठिर को क्या
सीख दी गई है?
उत्तर: लेखक ने पाठ के अंत में दी गई कविता की पंक्तियों से
युधिष्ठिर को यह सीख दी है कि जीवन में कभी डरना नहीं
चाहिए । जीवन में कठिनाई आना तय है, लेकिन अपनी मंजिल
तक पहुँच ने के लिए उन कठिनाईयों से निर्भय होकर लड़ना ही
जीवन का सबसे बड़ा कर्तव्य है ।
( ई) सप्रसंग व्याख्या करो ( लगभग 100 शब्दों में ) :
( क ) साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में
रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है ।
उत्तर : प्रस्तुत गद्याशं हमारे पाठ्यपुस्तक "आलोक" के 'हिम्मत
और जिंदगी' पाठ से ली गई है । पाठ के लेखक रामधारी सिंह
दिनकर जी है ।
गद्याशं के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है कि साहसी
मनुष्य सपने उधार नहीं लेता है । वह अपने विचारों में रमा हुआ
अपनी ही किताब पढ़ता है । वह इस बात की चिंता नहीं करता कि
तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं । क्रांति
करने वाले अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते
हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम
बनाते हैं । साहसी मनुष्य उन कठिनाईयों से निर्भय होकर लड़ते
हुए आगे बढ़ते है , जिसके द्वारा वह अपने मंजिल तक पहुँच पायें ।
(ख) कामना का अंचल छोटा मत करो , जिंदगी के फल को दोनों
हाथों से दबाकर निचोड़ो ।
उत्तर : प्रस्तुत गद्याशं हमारे पाठ्यपुस्तक "आलोक" के 'हिम्मत
और जिंदगी' पाठ से ली गई है । पाठ के लेखक रामधारी सिंह
दिनकर जी है ।
गद्याशं के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि कामना
या अपना सपना जो भी है उसको कभी भी छोटा नही करना
चाहिए । बल्कि उन सपनों को सकार करने के लिए कठिन से
कठिन कदम सोच समझकर उठाना चाहिए । जिंदगी में दोनों हाथों
के बल से ही अपना सपना को सकार कर पायेंगे । इस तरह के
सोच से ही हम जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़
सकते है ।
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मरने के समय हम अपनी आत्मा से यह धिक्कार न सुनें कि
हममें हिम्मत की कमी थी, कि हममें साहस का अभाव था, कि
हम ठीक वक्त पर जिंदगी से भाग खड़े हुए ।
(इ ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो( लगभग 50 शब्दों में )
1 . लेखक ने जिंदगी की कौन-सी दो सूरतें बताई है और उनमें
से किसे बेहतर माना है ?
उत्तर: लेखक ने जिंदगी की दौ सूरतें बताई है । पहला यह कि
आदमी बड़े- से- बड़े मकसद के लिए कोशिश करे, जगमगाती
हुई जीत पर पंजा डालने के लिए हाथ बढ़ाए और अगर
असफलताएँ कदम- कदम पर जोश की रोशनी के साथ
अँधियाली का जाल बुन रहीं हों , तब भी वह पीछे को पाँव न
हटाए । दूसरी सूरत यह है कि उन गरीब आत्माओं का
हमजोली बन जाए जो न तो बहुत अधिक सुख पाती हैं और
न जिन्हें बहुत अधिक दुःख पाने का संयोग है, कयोंकि वे
आत्माएँ ऐसी गोधूलि में बसती हैं, जहाँ न तो जीत हँसती हैं
और न कभी हार के रोने की आवाज सुनाई पड़ती है ।
लेखक दौनों सूरतें में से पहली सूरत को बेहतर माना है ।
2. जीवन में सुख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत न दिखा
पाना --- इन दौनों में से लेखक ने किसे श्रेष्ठ माना है और कयों ?
उत्तर: लेखक ने जीवन में सुख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत
न दिखा पाना--- इन दौनों में से , मौके पर हिम्मत न दिखा पाने
को श्रेष्ठ माना है क्योंकि मरने के समय हम अपनी आत्मा से यह
धिक्कार न सुनें कि हममें हिम्मत की कमी थी, कि हममें साहस का
अभाव था, कि हम ठीक वक्त पर जिंदगी से भाग खड़े हुए ।
3. पाठ के अंत में दी गई कविता की पंक्तियों से युधिष्ठिर को क्या
सीख दी गई है?
उत्तर: लेखक ने पाठ के अंत में दी गई कविता की पंक्तियों से
युधिष्ठिर को यह सीख दी है कि जीवन में कभी डरना नहीं
चाहिए । जीवन में कठिनाई आना तय है, लेकिन अपनी मंजिल
तक पहुँच ने के लिए उन कठिनाईयों से निर्भय होकर लड़ना ही
जीवन का सबसे बड़ा कर्तव्य है ।
( ई) सप्रसंग व्याख्या करो ( लगभग 100 शब्दों में ) :
( क ) साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में
रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है ।
उत्तर : प्रस्तुत गद्याशं हमारे पाठ्यपुस्तक "आलोक" के 'हिम्मत
और जिंदगी' पाठ से ली गई है । पाठ के लेखक रामधारी सिंह
दिनकर जी है ।
गद्याशं के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है कि साहसी
मनुष्य सपने उधार नहीं लेता है । वह अपने विचारों में रमा हुआ
अपनी ही किताब पढ़ता है । वह इस बात की चिंता नहीं करता कि
तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं । क्रांति
करने वाले अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते
हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम
बनाते हैं । साहसी मनुष्य उन कठिनाईयों से निर्भय होकर लड़ते
हुए आगे बढ़ते है , जिसके द्वारा वह अपने मंजिल तक पहुँच पायें ।
(ख) कामना का अंचल छोटा मत करो , जिंदगी के फल को दोनों
हाथों से दबाकर निचोड़ो ।
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और जिंदगी' पाठ से ली गई है । पाठ के लेखक रामधारी सिंह
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या अपना सपना जो भी है उसको कभी भी छोटा नही करना
चाहिए । बल्कि उन सपनों को सकार करने के लिए कठिन से
कठिन कदम सोच समझकर उठाना चाहिए । जिंदगी में दोनों हाथों
के बल से ही अपना सपना को सकार कर पायेंगे । इस तरह के
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