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Tuesday, 10 November 2020

Class 10 |SEBA |HSLC Important Hindi Textbook Solution |हिंदी आलोक भाग 2 |पद्य : साखी - कबीरदास | पाठ के अन्तर्गत प्रश्न के उत्तर |

अभ्यासमाला 

■ बोध एवं विचार 

1. सही विकल्प का चयन करो  :

(क) महात्मा कबीरदास का जन्म हुआ था - 
       (अ) सन् 1398 में     (आ) सन्  1380 में 
       ( इ ) सन्  1370 में    ( ई )

(ख) संत कबीरदास के गुरु कौन थे ?
       (अ) गोरखनाथ      (आ) रामानंद 
       (इ) रामानुजाचार्य   (ई) ज्ञानदेव 

(ग) कस्तूरी मृग वन - वन में क्या खोजता फिरता है - 
      (अ) कोमल घास      (आ) शीतल जल
      (इ) कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ    (ई) निर्मल हवा 

(घ) कबीरदास के अनुसार वह व्यक्ति पंडित है ---
      (अ) जो शास्त्रों का अध्ययन करता है ।
      (आ) जो बड़े - बड़े ग्रंथ लिखता है ।
      (इ) जो किताबें खरीदकर पुस्तकालय में रखता है ।
      (ई) 'जो प्रेम का ढाई आखर' पढ़ता है ।

(ङ) कवि के अनुसार हमें कल का काम कब करना चाहिए ?
      (अ) आज    (आ) कल    (इ) परसों    (ई) नरसों 

2. एक शब्द में उत्तर दो :

(क) श्रीमंत शंकरदेव ने अपने किस ग्रंथ में कबीरदास जी का
       उल्लेख किया है ?
उत्तर : 'कीर्तन घोषा' ।

(ख) महात्मा कबीरदास का देहावसान कब हुआ था ?
उत्तर : सन् 1518 में ।

(ग) कवि के अनुसार प्रेमविहीन शरीर कैसा होता है ?
उत्तर : मरा हुआ ।

(घ) कबीरदास जी ने गुरु को क्या कहा है ?
उत्तर : कुम्हार ।

(ङ) महात्मा कबीरदास की रचनाएँ किस नाम से प्रसिद्ध हुईं ?
उत्तर : बीजक ।

3. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :

(क) कबीरदास के पालक पिता - माता कौन थे ?
उत्तर : कबीरदास के पालक पिता-माता थे नीरू और नीमा ।

(ख) 'कबीर' शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर : 'कबीर' शब्द का अर्थ है बड़ा,महान,श्रेष्ठ ।

(ग) 'साखी' शब्द किस संस्कृत शब्द से विकसित है ?
उत्तर : 'साखी' शब्द मूल संस्कृत शब्द 'साक्षी' से विकसित है ।

(घ) साधु की कौन - सी बात नहीं पूछी जानी चाहिए ?
उत्तर : साधु की जाति नहीं पूछी जानी चाहिए ।

(ङ) डूबने से डरने वाला व्यक्ति कहाँ बैठा रहता है ?
उत्तर : डूबने से डरने वाला व्यक्ति पानी के किनारे बैठा रहता
          है ।


Wednesday, 3 June 2020

Student's Guide | Class 10 (SEBA) | Hindi Textbook Solution | Aalok Bhag - 2 | अध्याय - 5 : सड़क की बात - रवींद्रनाथ ठाकुर |

अभ्यासमाला 

■ बोध एवं  विचार 
1. एक  शब्द  में  उत्तर  दो :

    (क) गुरुदेव  रवींद्रनाथ  ठाकुर  किस  आख्या  से  विभूषित
          हैं ?
          उत्तर : गुरुदेव  रवींद्रनाथ  ठाकुर  विश्व - कवि '
          आख्या  से  विभूषित  है ।

    (ख) रवींद्रनाथ  ठाकुर  जी  के  पिता  का  नाम  क्या  था ?
           उत्तर : रवींद्रनाथ  ठाकुर  जी  के  पिता  का  नाम  था
           देवेंद्रनाथ  ठाकुर ।

    (ग) कौन - सा  काव्य - ग्रंथ  रवींद्रनाथ  ठाकुर  जी  की  क्रीर्ति
          का  आधार - स्तंभ  है  ?
          उत्तर : ' गीतांजलि  काव्य - ग्रंथ  रवींद्रनाथ  ठाकुर  जी
          की  क्रीर्ति  का  आधार - स्तंभ  है ।

    (घ) सड़क  किसकी  आखिरी  घड़ियों  का  इंतजार  कर  रही
          है ?
          उत्तर : सड़क  धूल  में  लोटकर  शाप  की  आखिरी
          घड़ियों  का  इंतजार  कर  रही  है  ।

    (ङ) सड़क  किसकी  तरह  सब  कुछ  महसूस  कर  सकती है?
          उत्तर : सड़क  अंधे  की  तरह  सब  कुछ  महसूस  कर
          सकती  है ।

2 . पूर्ण  वाक्य  में  उत्तर  दो :

    (क) कवि  गुरु  रवींद्रनाथ  ठाकुर  का  जन्म  कहाँ  हुआ  था ?
           उत्तर : कवि  गुरु  रवींद्रनाथ  ठाकुर  का  जन्म कोलकाता
           के  जारोसाँको  में  एक  संपन्न  एवं  प्रतिष्ठित  बांग्ला
           परिवार  में  हुआ  था ।

    (ख) गुरुदेव  ने  कब  मोहनदास  करमचंद  गाँधी को 'महात्मा'
           के  रूप  में  संबोधित  किया  था ?
           उत्तर : गुरुदेव  ने  पश्चिम  बंगाल  के  बोलपुर  के  निकट
           स्थित  शांतिनिकेतन  केंद्र  में  आने  पर  मोहनदास
           करमचंद  गाँधी  को  'महात्मा के  रूप  में  संबोधित
           किया  था ।

    (ग) सड़क  के  पास  किस  कार्य  के  लिए  फुरसत  नहीं है ?
          उत्तर : सड़क  के  पास  इस  कार्य  के  लिए  फुरसत  नहीं
          है   कि  वह  अपने  सिरहाने  के  पास  एक  छोटा - सा
          नीले  रंग  का  वनफूल  भी  खिला  सके ।

    (घ) सड़क  ने  अपनी  निद्रावस्था  की  तुलना  किससे  की है ?
          उत्तर : सड़क  ने  अपनी  निद्रावस्था  की  तुलना  सुुुदीर्घ
          अजगर  की  भाँति  वन - जंगल , पहाड़ - पहाड़ियों  से
          गुजरती  हुई  पेड़ों  की  छाया  और  दूर  तक  फैले  हुए
          मैदानों  में  ऊपर  से  देश - देशांतरों  के  साथ  की  है ।

    (ङ) सड़क  अपनी  कड़ी  और  सूखी  सेज  पर  क्या  नहीं
          डाल  सकती ?
          उत्तर : सड़क  अपनी  कड़ी  और  सूखी  सेज  पर  एक
          भी  मुलायम  हरी  घास  या  दूब  नहीं  डाल  सकती ।

Saturday, 16 May 2020

Student's Guide Class 10(SEBA)|Hindi Textbook Solution|Aalok Bhag - 2|अध्याय 4 : भोलाराम का जीव - हरिशंकर परसाई|

अभ्यासमाला

■ बोध एवं विचार
1. सही  विकल्प  का  चयन  करो  ---

    (क) भोलाराम  केे  जीव  ने  कितनेे  दिन  पहलेे  देह  त्यागी
           थी ?
          
           (अ) तीन  दिन  पहले   (आ) चार  दिन  पहले

           (इ) पाँच  दिन  पहले    (ई) सात  दिन  पहले

    (ख) नारद  भोलाराम  का  घर  पहचान  गए ---

          (अ) माँ - बेटी  के  सम्मिलित  क्रंदन  सुनकर
          
          (आ) उसका  टूटा - फूटा  मकान  देखकर

          (इ) घर  के  बगल  में  नाले  को  देखकर

          (ई) लोगों  से  घर  का  पता  पूछकर

    (ग) धर्मराज  के  अनुसार  नर्क  में  इमारतें  बनाकर  रहनेवालों
          में  कौन  सामिल  है ?

         (अ) ठेकेदार    (आ) इंजीनियर

         (इ) ओवरसीयर   (ई)  उपयुक्त  सभी

    (घ) बड़े  साहब  ने  नारद  को  भोलाराम  के  दरख्वास्तों  पर
          वजन  रखने  की  सलाह  दी। यहाँ  'वजन'  का  अर्थ  है --

         (अ) पेपरवेट   (आ) वीणा

         (इ) रिश्वत   (ई) मिठाई  का  डब्बा

2. पूर्ण  वाक्य  में  उत्तर  दो :

    (क) भोलाराम  का  घर  किस  शहर  में  था ?
    उत्तर : भोलाराम  का  घर  जबलपुर  शहर  में  रहता  था ।

    (ख) भोलाराम  को  सेवानिवृत  हुए  कितनेे  वर्ष  हुए  थे ?
    उत्तर : भोलाराम  को  सेवानिवृत  हुए  पाँच  वर्ष  हुए  थे ।

    (ग) भोलाराम  की  पत्नी  ने  भोलाराम  को  किस  बीमारी  का
          शिकार  बताया ?
    उत्तर : भोलाराम  की  पत्नी  ने  भोलाराम  को  गरीबी  की
    बीमारी  का  शिकार  बताया ।

    (घ) भोलाराम  ने  मकान  मालिक  को  कितने  साल  से
          किराया  नहीं  दिया  था ?
    उत्तर : भोलाराम  ने  मकान  मालिक  को  एक  साल  से
    किराया  नहीं  दिया  था ।

    (ङ) बड़े  साहब  ने  नारद  से  भोलाराम  की  पेंशन  मंजूर
          करने  के  बदले  क्या  माँगा ?
    उत्तर : बड़े  साहब  ने  नारद  से  भोलाराम  की  पेंशन  मंजूर
    करने  के  बदले  उनका  वीणा  माँगा ।

3. संक्षेप  में  उत्तर  दो :

    (क) ' पर  ऐसा  कभी  नहीं  हुआ  था ।'  --- यहाँ  किस  घटना
            का  संकेत  मिलता  है ?
    उत्तर : यहाँ  इस  घटना  का  संकेत  मिलता  है  कि  धर्मराज
    लाखों  वर्षों  से  असंख्य  आदमियों  को  कर्म  और  सिफारिश
    के  आधार  पर  स्वर्ग  या  नर्क  में  निवास - स्थान  'अलाॅट'
    करते  आ  रहे  थे  पर  ऐसा  कभी  नहीं  हुआ  था  कि  किसी
    इंसान  के  जीव  ने  पाँच  दिन  पहले  देह  त्याग  कर  नर्क  लोक तक  ना  पहुँचा  हो ।

    (ख) यमदूत  ने  भोलाराम  के  जीव  के  लापता  होने  के  बारे
          में  क्या  बताया  ?
    उत्तर : यमदूत  ने  भोलाराम  के  जीव  के  लापता  होने  के
    बारे  में  यह  बताया  कि  पाँच  दिन  पहले  जब  जीव  ने
    भोलाराम  की  देह  त्यागी , तब  उन्होंने  उसे  पकड़ा  और
    नर्क  लोक  की  यात्रा  आरम्भ  की । नगर  के  बाहर  जैसे  ही
    उन्होंने  उसे  लेकर  एक  तीव्र  वायु - तरंग  पर  सवार  हूआ ,
    तभी  वह  जीव  उनके  चंगुल  से  छूटकर  न  जाने  कहाँ
    गायब  हो  गया । उन  पाँच  दिनों  में  उन्होंने  सारा  ब्रह्माण्ड
    छान  डाला , पर  उसका  कहीं  पता  नहीं  चला ।

    (ग) धर्मराज  ने  नर्क  में  किन - किन  लोगों  के  आने  की
          पुष्टि  की ? उनलोगों  ने  क्या - क्या  अनियमितताएँ  की
          थीं ?
    उत्तर  : धर्मराज  ने  नर्क  में  बड़े - बड़े  गुुुणी  कारीगर  केे
    आने  की  पुष्टि  की  है । कई  इमारतों  के  ठेकेदार  हैं, जिन्होंने
    पूरे  पैसे  लेकर  रद्दी  इमारतें  बनायीं । बड़े - बड़े  इंजीनियर
    भी  आ  गए  हैं, जिन्होंने  ठेकेदारों  से  मिलकर  भारत  की
    पंचवर्षीय - योजनाओं  का  पैसा  खाया । ओवरसीयर  हैं,
    जिन्होंने  उन  मजदूरों  की  हाजिरी  भरकर  पैसा  हड़पा, जो
    कभी  काम  पर  गए  ही  नहीं । उन्होंने  बहुत  जल्दी  नर्क  में
    कई  इमारतें  तान  दी  हैं ।

    (घ) भोलाराम  की  पारिवारिक  स्थिति  पर  प्रकाश  डालो ।
    उत्तर  : भोलाराम  जबलपुर  शहर  के  घमापुर  मुुुुहल्ले  में
    नाले  के  किनारे  एक  डेढ़  कमरे  के  टूटे - फूटे  मकान  में
    परिवार  समेत  रहता  था । उसकी  एक  स्त्री  थी ,  दो  लड़के
    और  एक  लड़की । उम्र  लगभग  पैंसठ  साल  सरकारी  नौकर
    था ; पाँच  साल  पहले  रिटायर  हो  गया  था । उनके  परिवार
    बहुत  गरीबी  की  जीवन  काट  रहे  थे  क्योंकि  पाँच  सालों
    तक  भोलाराम  के  पेंशन  नही  मिले  थे ।

    (ङ) ' भोलाराम  ने  दरख्वास्तें  तो  भेजी  थीं ,  पर  उन  पर
            वजन  नहीं  रखा  था , इसलिए  कहीं  उड़  गई  होंगी । '
         --- दफ्तर  के  बाबू  के  ऐसा  कहने  का  क्या  आशय  था।
    उत्तर : ' भोलाराम  ने  दरख्वास्तें  तो  भेेजी  थीं ,  पर  उन  पर
    वजन  नहीं  रखा  था , इसलिए  कहीं  उड़  गई  होंगी । '  ----
    दफ्तर  के  बाबू  के  ऐसा  कहने  का  आशय  यह  था  कि  उन
    पर  रिश्वत  नही  दिया  गया  था । देश  के  हर  एक  सरकारी
    दफ्तर  पर  रिश्वत  के  बदले  ही  जल्दी  काम  बनता  है । यही
    वजह  थीं  कि भोलाराम  की  पेंशन  की  रुपये  रुक  गयी थी।

    (च) चपरासी  ने  नारद  को  क्या  सलाह  दी  ?
    उत्तर  : चपरासी  ने  नारद   को  यह  सलाह  दी  कि  अगर
    वह  दफ्तर  के  बड़े  साहब  को  रिश्वत  देकर  खुश  कर
    सकते  है  तो  भोलाराम  का  पेंशन  का  समाधान  हो जाएगा।

    (छ) बड़े  साहब  ने  नारद  को  भोलाराम  के  पेंशन  केस  के
          बारे  में  क्या  बताया  ?
    उत्तर  : बड़े  साहब  ने  नारद  को  भोलाराम  के  पेंशन  केस
    के  बारे  में  यह  बताया  कि  पेंशन  का  केस  बीसों  दफ्तरों में
    जाता  है । देर  लग  ही  जाती  है । हजारों  बार  एक  ही  बात
    को  हजार  जगह  लिखना  पड़ता  है , तब  पक्की  होती  है ।
    जितनी  पेंशन  मिलती  है  उतनी  कीमत  की  स्टेशनरी  लग
    जाती  है । अंत  में  कहा  कि  वजन  रखने से  अर्थात  रिश्वत
    देने  से  काम  जल्दी  भी  हो  सकती  है ।

    (ज) ' भोलाराम  का  जीव '  नामक  व्यंग्यात्मक  कहानी
            समाज  में  फैले  भ्रष्टाचार  एवं  रिश्वतखोरी  का
            पर्दाफाश  करता  है । कहानी  के आधार  पर  पुष्टि करों।
    उत्तर  : ' भोलाराम  का जीव ' नामक  व्यंग्यात्मक  कहानी  के
    जरिये  लेखक  ने  आधुनिक  समाज  व्यवस्था  में  फैले
    भ्रष्टाचार  एवं  रिश्वतखोरी  को  मार्मिकता  के  साथ  पेश किया
    है । यह  भ्रष्टाचार  लगभग  हर  सरकारी  विभाग  में  व्याप्त  है
    तथा  इससे  समाज  का  हर  वर्ग  प्रभावित  है । पाँच  साल
    पहले  सेवानिवृत  भोलाराम  की  परेशानी  में  आम  जनता की
    परेशानी  छिपी  हुई  है । पाँच  वर्षों  तक  पेंशन  के  लिए
    कार्यालय  का  चक्कर  लगानेवाले  भोलाराम  के  परिवार  की
    आर्थिक  दयनीयता  सभीको  प्रभावित  करती  है ।

4. आशय  स्पष्ट  करो  :

    (क) दरख्वास्तें  पेपरवेट  से  नहीं  दबतीं ।
    उत्तर  : अक्सर  हर  छोटे - बड़े  दफ्तरों  में  पेपरवेट  देखने को
    मिलता  है । हवा  अथवा  किसी  कारण  पेपर  उड़  जाने  के
    डर  से  इसे  इस्तेमाल  किया  जाता  है ।  लेकिन  पाठ  के
    आधार  पर  पेपरवेट  का  अर्थ  है  रिश्वत । भोलाराम  के  केस
    में  भी  दरख्वास्तें  तो  भेजी  थीं , पर  उन  पर  वजन  नहीं
    रखा  था ,  इसलिए  पेंशन  के  रुपये  आने  में  देर  लग  रही
    थी । रिश्वत  जैसे  भ्रष्टाचार  लगभग  हर  सरकारी  विभाग  में
    व्याप्त  है  तथा  इससे  समाज  का  हर  वर्ग  प्रभावित  है ।

    (ख) यह  भी  एक  मंदिर  है । यहाँ  भी  दान - पुण्य  करना
           पड़ता  है ।
    उत्तर  : लेखक  के  अनुसार  रिश्वत  जैसे  भ्रष्टाचार  लगभग
    हर  सरकारी  विभाग  में  व्याप्त  है  तथा  इससे  समाज  का
    हर  वर्ग  प्रभावित  है । रिश्वतखोरी  लोग  सरकारी  दफ्तर  को
    मंदिर  के  साथ  तुलना  करते  है  तथा  कहते  है  कि  यह  भी
    एक  मंदिर  है । यहाँ  भी  दान - पुण्य  करना  पड़ता  है ; भेंट
    चढ़ानी  पड़ती  है । रिश्वतखोरी  का  कहना  है  कि  पेंशन  का
    केस  भी  बीसों  दफ्तरों  में  जाता  है । जितनी  पेंशन  मिलती
    है , उतनी  कीमत  की  स्टेशनरी  लग  जाती  है । वे  लोग
    समाज  के  भोले - भाले  लोगों  को  भी  रिश्वत  के  लिए
    विवश  करते  है ।

Sunday, 10 May 2020

Student's Guide : Class 10( SEBA) | Hindi Textbook Solution | Aalok Bhag - 2 | अध्याय- 3 : नीलकंठ - महादेवी वर्मा |

अभ्यासमाला

Page No  : 31
■ बोध  एवं  विचार 

1. सही  विकल्प  का  चयन  करो  :

    (क) नीलकंठ  पाठ  में  महादेवी  वर्मा  की  कौन-सी  विशेषता
    परिलक्षित  हुई  है ?
    
    (अ)    जीव - जंतुओं  के  प्रति  प्रेम
    (आ)   मनुष्यों  के  प्रति  सहानुभूति
    (इ)     पक्षियों  के  प्रति  प्रेम
    (ई)     राष्ट्रीय  पशुओं  के  प्रति  प्रेम

    (ख) महादेवी  वर्मा  ने  मोर -मोरनी  के  जोड़े  के लिए  कितनी
    कीमत  चुकाई ? 

    (अ)  पाँच  रुपये                    (आ) सात  रुपये
    (इ)   तीस  रुपये                  (ई) पैंतीस  रुपये

    (ग) विदेशी  महिलाओं  ने  नीलकंठ  को  क्या  उपाधि  दी थी ?

    (अ)  परफैक्ट  जेंटिलमैन     (आ) किंग  ऑफ  द  जंगल
    (इ)   ब्यूटीफूल  बर्ड               (ई) स्वीट  एंड  हैंडसम  परसन 

    (घ) महादेवी  वर्मा  ने  अपनी  पालतू  बिल्ली  का  नाम  क्या
    रखा  था ?

    (अ)   चित्रा                        (आ) राधा
    (इ)    कुब्जा                       (ई) कजली 

    (ङ) नीलकंठ  और  राधा  की  सबसे  प्रिय  ऋतु  थी ---

    (अ)   ग्रीष्म  ऋतु                (आ) वर्षा  ऋतु
    (इ)    शीत  ऋतु                 (ई)    वसंत  ऋतु 

2. अति  संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  25  शब्दों  में )

    (क)   मोर - मोरनी  के  जोड़े  को  लेकर  घर  पहुँचने  पर  सब
            लोग  महादेवी  जी  से  क्या  कहने  लगे  ?
    उत्तर : मोर-मोरनी  के  जोड़े  को  लेकर  घर  पहुँचने  पर  सब      लोग  महादेवी  जी  से  कहने  लगे  कि  यह  तो  तीतर  हैं, मोर      कहकर  ठग  लिया  है ।

    (ख) महादेवी  जी  के  अनुसार  नीलकंठ  को  कैसा  वृक्ष
          अधिक  भाता  था ?

    उत्तर : महादेेवी  वर्मा  जी केे  अनुसार  नीलकंठ  को  फलों के      वृक्षों  से  अधिक  पुष्पित  और  पल्लवित  वृक्ष  भाते  थे ।

    (ग) नीलकंठ  को  राधा  और  कुब्जा  में  किसे  अधिक  प्यार
          था  और  क्यों  ?
    उत्तर  : नीलकंठ  को  राधा  और  कुब्जा  में  राधा  से  अधिक
    प्यार  था  क्योंकि  वे  दोनों  आपस  में  बहुत  मिल  थे । दोनों
    एकसाथ  नृत्य  करते  थे । नीलकंठ  और  राधा  की  सबसे
    प्रिय  ऋतु  वर्षा  थी । मेघ  के  गर्जन  के  ताल  पर  ही  वे
    तन्मय  नृत्य  का  आरंभ  करता ।

    (घ) मृत्यु  के  बाद  नीलकंठ  का  संस्कार  महादेवी  जी  ने
          कैसे  किया  ?
    उत्तर  : मृत्यु  के  बाद  नीलकंठ  का  संस्कार  करने  के  लिए
    महादेवी  जी  ने  अपने  शाल  में  लपेटकर  उसे  संगम  ले गई
    और  वहाँ  गंगा  की  बीच  धार  में  उसे  प्रवाहित  कर  दिया ।
   

Friday, 17 April 2020

Student's Guide : Class 10 (SEBA)| Hindi Textbook Solution | आलोक भाग - २| पाठ - २ : छोटा जादूगर - जयशंकर प्रसाद


अभ्यासमाला

Page No  : 17 to 19

बोध  एवं  विचार  : 
1. सही  विकल्प  का  चयन  करो  : 

    (क) बाबू  जयशंकर  प्रसाद  का  जन्म   हुआ  था  - 
    (अ) काशी  में      (आ) इलाहाबाद  में
    (इ) पटना  में         (ई)  जयपुर  में  

    (ख) जयशंकर  प्रसाद  जी  का  साहित्यिक  जीवन  किस  नाम  से
    आरंभ  हुआ  था  ? 
    (अ) 'विद्याधर'  नाम  से       (आ) 'कलाधर' नाम  से 
    (इ) 'ज्ञानधर'  नाम  से         (ई)  'करूणाधर'  नाम  से 

    (ग) प्रसाद  जी  का  देहावसान  हुआ  - 
    (अ) 1935  ई.  में       (आ) 1936  ई.  में 
    (इ) 1937  ई.  में       (ई) 1938  ई.  में 

    (घ) कार्निवल  के मैदान  में लड़का  चुपचाप  किनको देख रहा था ?
    (अ) चाय  पीने  वालों  को     (आ) मिठाई  खाने  वालों  को 
    (इ) गाने  वालों   को             (ई) शरबत  पीने  वालों  को 

    (ङ) लड़के  को  जादूगर  का  कौन-सा  खेल  अच्छा  मालूम  हुआ ?
    (अ) खिलौने  पर  निशाना  लगाना      (आ) चूड़ी  फेेंकना 
    (इ) तीर  से  नम्बर  छेदना     (ई) ताश  का  खेल   दिखाना 

2. पूर्ण  वाक्य  में  उत्तर  दो  : 

    (क) जयशंकर  प्रसाद  द्वार  रचित  प्रथम  कहानी  का  नाम  क्या है?
    उत्तर : जयशंकर  प्रसाद  द्वारा  रचित  प्रथम  कहानी  का  नाम  है
  ' ग्राम ' ।

    (ख) प्रसाद  जी  द्वारा  विरचित  महाकाव्य  का  नाम  बताओ ।
    उत्तर : प्रसाद  जी  द्वारा  विरचित  महाकाव्य  का  नाम  हैै  
    'लहर और  कामायनी ' ।

    (ग) लड़का  जादूगर  को  क्या  समझता  है  ? 
    उत्तर : लड़का  जादूगर  को  निकम्मा  समझता  है ।

    (घ) लड़का  तमाशा  देखने  परदे  में  क्यों  नहीं  गया  था ? 
    उत्तर : लड़का  तमाशा  देखने  परदे  में  नहीं  गया  था  क्योंकि
    उसके  पास  टिकट  नहीं  था ।

    (ङ) श्रीमान  ने  कितने  टिकट  खरीद  कर  लड़के  को  दिए  थे  ?
    उत्तर : श्रीमान  ने  बारह  टिकट  खरीद  कर  लड़के  को  दिए  थे ।

    (च) लड़के  ने  हिंडोले  से  अपना  परिचय  किस  प्रकार  दिया  था ?
    उत्तर : लड़के  ने  हिंडोले  से  अपना  परिचय  'छोटा  जादूगर ' कहा
    था ।

    (छ) बालक  ( छोटे  जादूगर )  को  किसने  बहुत   ही  शीघ्र  चतुर
    बना  दिया  था  ?
    उत्तर : बालक ( छोटे जादूगर )  को  आवश्यकता  ने  बहुुुत  ही  शीघ्र
    चतुर  बना  दिया  था ।

    (ज) श्रीमान  कलकत्ते  में  किस अवसर पर  की  छुट्टी  बिता  रहे थे ?
    उत्तर : श्रीमान  कलकत्ते  में  बड़े  दिन  की  अवसर  पर  छुट्टी  बिता
    रहे  थे ।

    (झ) सड़क  के  किनारे  कपड़े  पर  सजे  रंगमंच  पर  खेल  दिखाते
    समय  छोटे  जादूगर  की  वाणी  में  स्वभावसुलभ  प्रसन्नता  की  तरी
    क्यों  नहीं  थी ?
    उत्तर :सड़क  के  किनारे  कपड़े  पर  सजे  रंगमंच  पर  खेल दिखाते 
    समय  छोटे  जादूगर  की  वाणी  में  स्वभावसुलभ  प्रसन्नता  की  तरी
    नहीं  थी  क्योंकि  उसदिन  उनकी  माँ  की  तबीयत  ज्यादा  ही बिगड़
    गई  थी । वह  साहस  जुटाने  और  मन  लगाने  में  असमर्थ  था । 

   (ञ) मृत्यु  से  ठीक  पहले  छोटे जादूगर  की  माँ  के  मुँह  से  कौन       सा  अधूरा  शब्द  निकला  था ?
   उत्तर : मृत्यु  के  ठीक  पहले  छोटे  जादूगर  की  माँ  के  मुँह  से "         बे..." शब्द  निकला  था  । 

3. अति  संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  25 शब्दों  में )

    (क) बाबू  जयशंकर  प्रसाद  की  बहुमुखी  प्रतिभा  का  परिचय  किन
    क्षेत्र  में  मिलता  है  ? 
    उत्तर : बाबू  जयशंकर  प्रसाद  की  बहुमुखी  प्रतिभा  का  परिचय
    कविता , नाटक , कहानी , उपन्यास , निबंध  और  आलोचना  के क्षेत्र
    में  अमर  लेखनी  चलाकर  आधुनिक  कालीन  हिंदी  साहित्य  को
    समृद्ध  किया  है । साहित्यकार  के अलावा  वे  इतिहास  एवं  पुरातत्व
    के   विद्वान  तथा  एक  गंभीर  चिन्तक  भी  थे । भारतीय  सभ्यता-
    संस्कृति , धर्म-दर्शन , भक्ति-अध्यात्म  के  प्रति  गहरी  रूचि  रखने
    वाले  प्रसाद  जी  ने  इन्हें  अपनी  रचनाओं  के  माध्यम  से  उजागर
    करने  का  भरपूर  प्रयास  किया  है ।

    (ख) श्रीमान  ने  छोटे  जादूगर  को  पहली  भेंट  के   दौरान   किस        रूप  में  देखा  था ?
    उत्तर : श्रीमान  ने  छोटेे  जादूगर  को  पहली  भेंट  के  दौरान
    देेखा  था  कि  उसके  गले  में  फटे  कुरते  के  ऊपर  एक
    मोटी-सी  सूत की  रस्सी  पड़ी  थी  और  जेब  में  कुछ  ताश
    के  पत्ते  थे । उसके  मुँह  पर  गम्भीर  विषाद  के  साथ  धैर्य
    की  रेखा  थी ।

    (ग) " वहाँ  जाकर  क्या  कीजिएगा  ? " छोटे  जादूगर  ने  ऐसा  कब
    कहा  था ?
    उत्तर : जब  श्रीमान  ने   छोटे  जादूगर   को   कहा  कि
    उस  परदे  में  क्या  है , वहाँ   तुम   गए   थे ?  वह  बोला
    कि  वहाँ  जाने  के  लिए  टिकट  लगता  है ।  श्रीमान   ने
    जब  उन्हें  वहाँ  ले  जाने   के   लिए  ज़िक्र  किया  तब  वह
    कहा  था  कि  वहाँ  जाकर  क्या  कीजिएगा ।

    (घ) निशानेबाज  के  रूप  में  छोटे  जादूगर  की  कार्य-कुशलता  का
    वर्णन  करो ।
    उत्तर : निशानेेेबाज  केे   रूप  में   छोटे  जादूगर   पक्का
    निशानेबाज था। उसका  कोई  गेंद  खाली  नहीं  गया , देखने
    वाले  दंग  रह गए । उसने   बारह   टिकट  के  बारह   खिलौने 
    को   बटोर  लिया , कुछ   श्रीमान  के  रूमाल  में  बाँधे  और
    कुछ  जेब  में  रख  लिए  ।

    (ङ) कलकत्ते  के  बोटानिकल  उद्यान  में  श्रीमान-श्रीमती  को  छोटा
    जादूगर  किस  रूप  में  मिला  था ?
    उत्तर : कलकत्ते  के  बोटानिकल  उद्यान  में  श्रीमान - श्रीमती
    को छोटा  जादूगर  दिखाई  दिया ।  उनके   हाथ  में  चारखाने
    की  खादी का  झोला  था । आधी  बाँहों  का  कुरता  और
    साफ  जाँघिया  पहना हुआ  था । सिर  पर  श्रीमान  दिया  हुआ
    रूमाल  सूत  की  रस्सी  से  बँधा  हुआ  था  और  मस्तानी
    चाल  से  झूमता  हुआ  नजर  आ  रहा  था ।

    (च) कलकत्ते  के   बोटानिकल   उद्यान   में   श्रीमान   ने   जब
    छोटे जादूगर  को  ' लड़के !'  कहकर  संबोधित  किया ,  तो  उत्तर
    में  उसने क्या  कहा ?
    उत्तर : कलकत्ते   के   बोटानिकल   उद्यान  में  श्रीमान  ने   जब
    छोटे जादूगर  को  ' लड़के !' कहकर  संबोधित  किया , तो
    उत्तर  में  उसने कहा  कि  छोटा  जादूगर  कहकर  बुलाइए
    मेरा  नाम  यही  है ।  इसी से  मेरी  जीविका  है ।
    (छ) " आज  तुम्हारा  खेल  जमा  क्यों  नहीं  ? "-इस  प्रश्न  के
    उत्तर  में  छोटे   जादूगर  ने  क्या  कहा ?
    उत्तर : "आज  तुम्हारा  खेल  जमा  क्यों   नहीं ? " - इस  प्रश्न
    के  उत्तर  में  छोटे  जादूगर  ने अविचल  भाव  से  कहा  कि  मेरी  माँ      की घड़ी  समीप  है , आज  तुरन्त  चले  आने  के  लिए  कहा   है ।

4. संक्षिप्त  उत्तर  दो ( लगभग  50 शब्दों  में )

    (क) प्रसाद  जी  की  कहानियों  की  विशेषताओं  का  उल्लेख  करो ।
    उत्तर : प्रसाद  जी  ने  लगभग  सत्तर  कहानियाँ  हिंदी  को  भेेंट  की
    हैं । ये  कहानियां  छाया , प्रतिध्वनि , आकाश-द्वीप , आधी , इंद्रजाल
    आदि  संग्रहों  में  संकलित  हैं । उनकी  प्रथम  कहानी  'ग्राम' 1911
    ई.  में  'इंद्र'  नामक  पत्रिका  में  प्रकाशित  हुई  थी । कहानीकार  के
    रूप  में  उन्हें  भाववादी  धारा  के  प्रवर्त्तक  कहा  जाता  है ।  उनकी
    अधिकांश  कहानियों  में  चारित्रिक  उदारता , प्रेम , करुणा , त्याग
    बलिदान , अतीत  के  प्रति  मोह  से  युक्त  भावमूलक  आदर्श  की
   अभिव्यक्ति  हुई  थी । उन्होंने  अपने  समकालीन  समाज  की आर्थिक
    विपन्नता , निरीहता , अन्याय  और  शोषण  को  भी  कुछ  कहानियों
    में  चित्रित  किया  है ।

    (ख) "क्यों  जी ,  तुमने  इसमें  क्या  देखा  ? - इस  प्रश्न  का  उत्तर
    छोटे  जादूगर  ने  किस  प्रकार  दिया  था  ?
    उत्तर : इस  प्रश्न  का  उत्तर  छोटे  जादूगर  ने  श्रीमान  को
    देते  हुए  कहा  कि  यहाँ  चूड़ी  फेंकते  हैं । खिलौने  पर
    निशाना  लगाते हैं । तीर से नम्बर छेदते हैं। मुझे तो खिलौने
    पर निशाना लगाना अच्छा मालूम  हुआ । जादूगर  तो
    बिल्कुल  निकम्मा  है । उससे अच्छा  तो  ताश  का  खेल  मैं
    ही  दिखा  सकता  हूँ ।

    (ग) अपने  माँ-बाप  से  संबंधित  प्रश्नों  के  उत्तर  में  छोटे  जादूगर  ने
    क्या-क्या  कहा  था ?
    उत्तर : अपने  माँ-बाप  से  संबंधित  प्रश्नोंं के उत्तर  मेंं  छोटे
    जादूगर ने  कहा  था  कि  मेरी  बाबूजी  जेल  में  हैं , देश  के
    लिए  और  माँ बीमार है । आगे  कहा  कि  वह  तमाशा
    दिखाने निकला  है  जिससे   कुछ  पैसे  मिले  तो  अपनी
    माँ  को   पथ्य  दिलाएगा । उसने  कहा कि  शरबत  न
    पिलाकर  श्रीमान  ने  उनका  खेल  देखकर  कुछ  दे देने
    से  उन्हें  अधिक  प्रसन्नता  होती ।

    (घ) श्रीमान  ने  तेरह-चौदह  वर्ष  के  छोटे  जादूगर को  किसलिए
    आशचर्य  से  देखा  था  ?
    उत्तर : छोटे  जादूगर  के  मुँह  से  उनकी  माँ-पिताजी  के  दु:ख  की
    कथा  सुनकर  श्रीमान  ने  तेरह-चौदह  वर्ष  के  छोटे  जादूगर  को
    आशचर्य  से  देख  रहा  था । वह  कहने  लगे  जब  कुछ  लोग  खेल-
    तमाशा  देखते  ही  हैं , तो  क्यों  न  दिखाकर  माँ  की  दवा-दारू
    करूँ  और  अपना  पेट  भरूँ ।

    (ङ)  श्रीमती  के  आग्रह  पर  छोटे  जादूगर  b7ने  किस  प्रकार  अपना
    खेल  दिखाया  ?
    उत्तर : श्रीमती  के  आग्रह  पर  छोटे  जादूगर  ने  अपना  खेल आरंभ
    कर  दिया । उस दिन  कार्निवल  के  सब  खिलौने  उसके  खेल  में
    अपना  अभिनय  करने  लगे । भालू  मनाने  लगा । बिल्ली  रूठने
    लगी । बन्दर  घुड़कने  लगा । गुड़िया  का  ब्याह  हुआ । गुड्डा  वर
    काना  निकला । लड़के  की  वाचालता  से  ही अभिनय  हो  रहा था ।
    सब  हँसते-हँसते  लोट-पोट  हो  गए । ताश  के  सब  पत्ते  लाल  हो
    गए । फिर  सब  काले  हो  गए । गले  की  सूत  की  डोरी  टुकड़े-
    टुकड़े  होकर  जुड़  गई । लट्टू  अपने-आप  नाच  रहे  थे ।

    (च) हवड़ा  के  ओर  आते  समय  छोटे  जादूगर  और  उसकी  माँ के
    साथ  श्रीमान  की  भेंट  किस  प्रकार  हुई  थी ?
    उत्तर : हवड़ा  के  ओर  आते  समय श्रीमान  को  छोटे  जादूगर
    स्मरण  होता  था । उन्हें  दिखाई  पड़ता  है  कि  वह  एक
    झोंपड़ी  के  पास  कम्बल  कांधे  पर  डाले  खड़ा  था ।
    श्रीमान  ने  मोटर  रोककर  पूछ  ने  के  बाद  बताया  कि  अब
    उनके  माँ को अस्पताल  वालों  ने  निकाल  दिया  है ।  उस
    झोंपड़ी  में  जाकर  देखा  तो  श्रीमान  के  आँखों  से  आँसू
    निकल  पड़े ।  छोटे  जादूगर  के  माँ  चिथड़ों  से  लदी  हुई
    काँप  रही थी , वह  कम्बल ऊपर  से  डालकर  उसके
    शरीर  से  चिपटते  हुए  कहने  लगा - " माँ  ! " 

    (छ) सड़क  के  किनारे  कपड़े  पर  सजे  रंगमंच  पर  छोटा
    जादूगर  किस  मन : स्थिति  में  और  किस  प्रकार  खेल  दिखा
    रहा  था ?
    उत्तर  : निर्मल  धूप  में  करीब  दस  बजे  सड़क  के  किनारे
    एक  कपड़े  पर  छोटे  जादूगर  का  रंगमंच  सजा  था । वहाँ
    बिल्ली  रूठ  रही  थी । भालू  मनाने  चला  था । ब्याह  की
    तैयारी  थी , यह  सब  होते  हुए  भी  जादूगर  की  वाणी  में
    वह  प्रसन्नता  की  तरी  नहीं  थी । जब  वह  औरों  को  हँसाने
    की  चेष्टा  कर  रहा  था , तब  वह  जैसे  स्वयं  कँप  जाता  था।
    मानो  उसके  रोएँ  रो  रहे  थे । 

    (ज) छोटे  जादूगर  और  उसकी  माँ  के  साथ  श्रीमान  की
    अंतिम  भेंट  का  अपने  शब्दों  में  वर्णन  करो ।
    उत्तर  : 4. ( च )  का  उत्तर  देखों ।

Tuesday, 14 April 2020

Student's Guide : Class 10 ( SEBA)| Hindi Textbook Solution | आलोक भाग २ | गद्य न॰ १ : नींव की ईंट - रामवृक्ष बेनीपुरी |


Page No  : 06 


अभ्यासमाला 

बोध  एवं  विचार 
1. पूर्ण  वाक्य  में  उत्तर  दो :

    (क) रामवृक्ष  बेनीपुरी  का जन्म  कहाँ  हुआ  था  ? 
    उत्तर : रामवृक्ष  बेनीपुरी  का  जन्म  1902  ई. में  बिहार  के
    मुुुुजफ्फरपुर  जिले  के  अंतर्गत  बेनीपुर  नामक  गाँव  में  हुुआ  था ।

    (ख) बेनीपुरी  जी  को  जेल  की  यात्राएँ   क्यों   करनी  पड़ी  थी ?
    उत्तर : भारतीय  स्वतंत्रता  संग्राम  के  सक्रिय  सेनानी  के  रूप  में  
    योगदान  देने  के  कारण  बेनीपुरी  जी  को  जेल  की  यात्राएँ  करनी 
    पड़ी  थी । 

    (ग) बेनीपुरी  जी  का  स्वर्गवास  कब  हुआ  था ? 
    उत्तर : बेनीपुरी  जी  का  स्वर्गवास  सन 1968 ई. में  हुआ  था । 

    (घ) चमकीली , सुंदर , सुघड़  इमारत  वस्तुतः  किस  पर  टिकी होती 
    है  ? 
    उत्तर : चमकीली , सुंदर , सुघड़़  इमारत   वस्तुतः  इसकी  नींव  पर  
    टिकी  होती   है । 

    (ङ) दुनिया  का  ध्यान  सामान्यतः  किस  पर  जाता  है  ? 
    उत्तर : दुनिया  का  ध्यान  सामान्यतः  इसकी  चकमक  की  ओर  
    जाता  है । ऊपर  का  आवरण  हर  कोई  देखना  पसंद  करता  है  ।

    (च) नींव  की   ईंट  को  हिला  देने  का  परिणाम   क्या  होगा  ? 
    उत्तर : नींव  की  ईंट  पर  उसकी  मजबूती  और  पुख्तेपन  पर  सारी 
    इमारत  की  अस्ति - नास्ति  निर्भर  करती  है । इसलिए  उस  ईंट  को
    हिला  देने  से  कंगूरा  बेतहाशा  जमीन  पर  आ  जाएगा ।

    (छ) सुंदर  सृष्टि  हमेशा  ही  क्या  खोजती  है  ? 
    उत्तर : सुंदर  सृष्टि  हमेशा   ही  बलिदान  खोजती  है  ,  बलिदान  ईंट
    का  हो  या  व्यक्ति  का ।

    (ज) लेखक  के  अनुसार  गिरजाघरों  के  कलश  वस्तुतः  किनकी  
    शहदत  से  चमकते  है  ? 
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  गिरजाघरों  केे  कलश  वस्तुतः  नींव  की
    ईंट  की  शहादत  से  चमकते  है । अर्थात  वह  लोग  जो  ईसाई  धर्म 
    को  अमर  बनाने  के  लिए  अपना  आत्म - बलिदान  दे  दिया ।

    (झ) आज  किसके  लिए  होड़ा - होड़ी  मची  है  ? 
    उत्तर : आज  कंगूरा  बनने  केे  लिए  यानी  समाज  का  यश - लोभी 
    सेवक  बनने  के  लिए   चारों   ओर  होड़ा - होड़ी  मची  है , नींव  की
    ईंट  बनने  की  कामना  लुप्त  हो  रही  है ।

    (ञ) पठित  निबंध  में   'सुंदर  इमारत'  का  आशय  क्या  है  ? 
    उत्तर : पठित  निबंध  में  'सुंदर  इमारत' का  आशय   है - नया  सुुंदर 
    समाज ।

2 . अति  संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  25 शब्दों  में )  :  

    (क) मनुष्य  सत्य  से  क्यों  भागता  है  ?
    उत्तर : सत्य  कठोर   होता  है , कठोरता  और  भद्दापन  साथ - साथ
    जन्मा  करते  हैं , जिया  करते  हैं । मनुष्य  कठोरता  से  भागते  हैं ,
    भद्देपन  से  मुख  मोड़ते  हैं  । हसलिए  सत्य  से  भी  भागते  हैं  ।

    (ख) लेखक  के  अनुसार  कौन-सी  ईंट  अधिक   धन्य  है  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  वह  ईंट  धन्य  है  जो  जमीन  के  सात
    हाथ  नीचे  जाकर  गड़  गई   और  इमारत  की  पहली  ईंट  बनी ।
    साथ  ही  साथ  वह  ईंट  जो  कट - छँटकर  कंगूरे  पर  चढ़ती  है
    और  बरबस  लोक - लोचनों  को  अपनी  ओर  आकृष्ट  करती  है  ।

    (ग) नींव  की  ईंट  की  क्या  भूमिका  होती  है  ?
    उत्तर : नींव  की  ईंट  यह  चाहती  है  कि  दुनिया  को  इमारत  मिले ,
    कंगूरा  मिले  । वह  ईंट  खुद  को  सात  हाथ  जमीन  के  अंदर
    इसलिए  गाड़  दिया  ताकि  इमारत  जमीन  के  सौ  हाथ  ऊपर  तक
    जा  सके , उसके  साथियों  को  स्वच्छ  हवा  मिलती  रहे , सुनहली
    रोशनी  मिलती  रहे  और  संसार  एक  सुंदर  सृष्टि  देखे ।

    (घ) कंगूरे  की  ईंट  की  भूमिका  स्पष्ट  करो  ।
    उत्तर : कंगूरे  की  ईंट  खुद  को  महान  समझते  है । वह  यह
    नहीं  चाहती  कि  उससे  बढ़कर  भी  कोई  ओर  हो । इसप्रकार
    समाज  का  यश - लोभी  सेवक , जो  प्रसिद्ध , प्रशंसा  अथवा  अन्य
    किसी  स्वार्थवश  समाज  का  काम  करना  चाहता  है  । आज  कंगूरे
    की  ईंट  बनने  के  लिए  चारों  ओर  होड़ा - होड़ी  मची  है  ।

    (ङ) शहदत  का  लाल  सेहरा  कौन-से  लोग  पहनते  है  और  क्यों ?
    उत्तर : शहदत  का  लाल  सेहरा  कुछ  तपेे-तपाए  लोग  ही  पहनते
    है  क्योंकि  वे  समाज  की  आधारशिला  होती  है। वह  लोग समाज
    के  नव - निर्माण  हेतु  खुद  को  आत्म - बलिदान  कर  दिया  ।

    (च) लेखक  के  अनुसार  ईसाई  धर्म  को  किन  लोगों  ने  अमर
    बनाया  और  कैसे  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  ईसाई  धर्म  को  उन  लोगों  ने  अमर
    बनाया , जिन्होंने  उस  धर्म  के  प्रचार  में  अपने  को  अनाम  उत्सर्ग
    कर  दिया । उनमें  से  कितने  जिंदा  जलाए  गए ,  कितने  सूली  पर
    जढ़ाए  गए ,  कितने  वन - वन  की  खाक  छानते  जंगली  जानवरों
    के  शिकार  हुए ,  कितने  उससे  भी  भयानक  भूख - प्यास  के
    शिकार  हुए ।

    (छ) आज  देश  के  नौजवानों  के  समक्ष  चुनौती  क्या  है  ?
    उत्तर : आज  कंगूरे  की  ईंट  बनने  के  लिए  चारों  ओर  होड़ा-होड़ी
    मची  है ,  नींव  की  ईंट  बनने  की  कामना  लुप्त  हो  रही  है ।
    इसलिए  लेखक  द्वारा  देश  के  नौजवानों  के  समक्ष  चुनौती  यह  है
    कि  वे  नींव  की  ईंट  बनने  की  कामना  लेकर  आगे  आएँ  और
    भारतीय  समाज  के  नव-निर्माण  में  चुपचाप  अपने  को  खपा  दें ।

3. संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  50  शब्दों  में  ) :
    (क) मनुष्य  सुंदर  इमारत  के  कंगूरे  को  तो  देखा  करते  हैं , पर
    उसकी  नींव  की  ओर  उनका  ध्यान  क्यों  नहीं  जाता  ?
    उत्तर : दुनिया  चकमक  देेेखती  है , ऊपर  का  आवरण  देेखती  है,
    आवरण  के  नीचे  जो  ठोस  सत्य  छिपी  है  उस  पर  लोगों  का
    ध्यान  नहीं  जाता । समाज  के  लोग  प्रसिद्धि  , प्रशंसा  अथवा  अन्य
    किसी  स्वार्थवश  समाज का  काम  करना  चाहता  है । वे  यश-लोभी
    सेवक  बन  गया  है । इसलिए  मनुष्य  सुंदर  इमारत  के  कंगूरे  को
    तो  देखा  करते  हैं  , पर  उसकी  नींव  की  ओर  उनका  ध्यान  नहीं
    जाता ।

    (ख) लेखक  ने  कंगूरे  के  गीत  गाने  के  बजाय  नींव  के  गीत  गाने
    के  लिए  क्यों   आहवान  किया  है  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  भारतीय  स्वाधीनता  आंदोलन  के
    सैनिकगण  नींव  की  ईंट  की   तरह  थे ,  जबकि  स्वतंत्र  भारत  के
    शासकगण  कंगूरे  की  ईंट  निकले  ।  समाज  के  नव - निर्माण  हेतु
    वे  लोग  आत्म - बलिदान  के  लिए  प्रस्तुत  होंगे  जो  नींव   की  ईंट
    है । जो  देश - हित  के  लिए  अपना  बलिदान  दें  चूकें  हैं  । इसलिए
    लेखक  ने  कंगूरे  के  गीत  गाने  के  बजाय  नींव  के  गीत  गाने  के
    लिए  आहवान   किया  है ।

    (ग) सामान्यतः  लोग  कंगूरे  की  ईंट  बनना  तो  पसंद  करते  हैं ,
    परंतु  नींव  की  ईंट  बनना  क्यों  नहीं  चाहते  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  समाज  केे  ज्यादातर  लोग  आज  यश-
    लोभी  सेवक  बन  गये  है । वे  अपनी  स्वार्थवश  काम  करना  पसंद
    करते  है । वे  समाज  के  आगे  आकर  कुछ  साहस  जुटा  नहीं  पाते
    । इसलिए  सामान्यतः  लोग कंगूरे  की  ईंट  बनना  तो पसंद  करते  हैं
    ,  परंतु  नींव  की  ईंट  बनना  नहीं  चाहते ।

    (घ) लेखक  ईसाई  धर्म  को  अमर  बनाने  का  श्रेय  किन्हें  देना    चाहता  है  और  क्यों  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  ईसाई  धर्म  को  अमर  बनाने  का  श्रेय
    ईसा  की  शहादत  को  देना  चाहता  है । क्योंकि  उन  लोगों  ने  उस
    धर्म  के  प्रचार  में  अपने  को  अनाम  उत्सर्ग  कर  दिया । उनमें  से
    कितने  जिंदा  जलाए  गए ,  कितने  सूली  पर  जढ़ाए  गए ,  कितने
    वन-वन  की  खाक  छानते  जंगली  जानवरों  के  शिकार  हुए ,
    कितने  उससे  भी  भयानक  भूख-प्यास  के  शिकार  हुए ।

    (ङ) हमारा  देश  किनके  बलिदानों  के  कारण  आजाद  हुआ ?
    उत्तर : हमारा  देश  उन  वीर  पुरूषों  के  बलिदानों  से  आजाद  हुआ
    जिन्होंने  बिना  किसी  यश - लोभ  के  देश  के  नव - निर्माण  हेतु
    आत्म - बलिदान  दे  दिया । भारतीय  स्वाधीनता  आंदोलन  के
    सैनिकगण  नींव  की  ईंट  की  तरह  थे , जिसके  के  कारण  हमारा
    देश  आजाद  बने ।

    (च) दधीचि  मुनि  ने  किसलिए  और  किस  प्रकार  अपना  बलिदान
    किया  था ?
    उत्तर : दधीचि  मुनि  ने  वृत्रासुर  का  नाश  करने  के  लिए  हड्डियोंं
    के  दान  करके  अपना  बलिदान  किया  था । भारतीय  इतिहास  में
    मानव  कल्याण  के  लिए  अपनी  अस्थियों  का  दान  करने  वाले
    मात्र  दधीचि  ही  थे । देवताओं  के  मुँह  से  यह  जानकर  कि उनकी
    अस्थियों  से  निर्मित  वज्र  द्वारा  ही  असुरों  का  संहार  किया  जा
    सकता  है , उसने  अपना  शरीर  त्याग  कर  अस्थियों  का  दान  कर
    दिया  जिससे   बने  धनुष  द्वारा  भगवान  इंद्र  ने  वृत्रासुर  का  संहार
    किया  था ।

    (छ) भारत  के  नव-निर्माण  के  बारे  में  लेखक  ने  क्या  कहा  है ?
    उत्तर : भारत  के  नव-निर्माण  के  बारे  में  लेखक  ने  कहा  है  कि
    देश  के  सात  लाख  गाँवों ,  हजारों  शहरों  और  सैकड़ों  कारखानों
    के  नव-निर्माण  हेतु  नींव  की  ईंट  बनने  के  लिए  तैयार  लोगों  की
    जरूरत  है , लेकिन  नींव  की  ईंट  बनने  की  कामना  लुप्त  हो  रही
    है । लेखक  ने  नौजवानों  से  आहवान  किया  है  कि  वे  नींव  की
    ईंट  बनने  की  कामना  लेकर  आगे  आएँ  और  भारतीय  समाज  के
    नव-निर्माण  में  चुपचाप  अपने  को  खपा  दें ।

    (ज) ' नींव  की  ईंट '  शीर्षक  निबंध  का  संदेश  क्या  है  ?
    उत्तर : ' नींव  की  ईंट ' शीर्षक  निबंध  के  माध्यम  से  लेखक  हमें
    यह  संदेश  देना  चाहता  है  कि  समाज  के  नव-निर्माण  हेतु , हमें 
    प्रसिद्धि , प्रशंसा  अथवा  अन्य  किसी  स्वार्थवश  त्याग  करके  
    समाज  के  लिए  काम  करना  चाहिए । हमें एक सच्चा  और  निडर 
    इंसान  बनके  समाज  के  लिए  एकसाथ  मिलकर  काम  करना  है ।

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