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Thursday, 10 September 2020

CLASS 9(SEBA) | Hindi Textbook Solution | आलोक भाग - 1 | पाठ 5 : आप भले तो जग भला - श्रीमन्नारायण |

अभ्यासमाला

■ बोध एवं विचार 
( अ ) सही  विकल्प  का  चयन  करो  :
    1. एक  काँच  के  महल  में  कितनेे  कुत्ते  घुसे  थे  ?
        (क) एक  (ख) दो  (ग) एक हजार  (घ) कई हजार

    2. काँच  का  महल  किसका  प्रतीक  है ?
        (क) संसार   (ख) अजायब  घर  (ग) चिड़ियाघर
        (घ) सपनों  का  महल

    3. " निंदक  बाबा  वीर  हमारा, बिनही  कौड़ी  बहै  विचारा ।
          आपन  डूबे  और  को  तारे , ऐसा  प्रीतम  पार  उतारे ।"
          -- प्रस्तुत  पंक्तियों  के  रचयिता  कौन हैं ?
          (क) कबीर दास   (ख) रैदास   (ग) बिहारीलाल   (घ) दादू

    4. आदमी  भूखा  रहता  है  - 
        (क) धन  का  (ख) जन  का  (ग) प्रेम  का  (घ) मान  का

    5. गांधीजी  ने  अहिंसा  की  तुलना  सीमेंट  से  क्यों  की  है ?
        (क) अहिंसा से मनुष्य एक साथ रहता है ।
        (ख) अहिंसा किसी को अलग नहीं होने देती ।
        (ग) अहिंसा सीमेंट की तरह एक - दूसरे को जोड़ कर
              रखती  है ।

(आ) संक्षिप्त उत्तर दो ( लगभग 25 शब्दों में ) :
1. दो कुत्तों की घटना का वर्णन करके लेखक क्या सीख देना
    चाहते हैं  ?
    उत्तर  : दो कुत्तों की घटना का वर्णन करके लेखक यह
    सीख देना चाहता है कि यदि मनुष्य स्वयं भला है तो उसे
    सारा संसार भला दिखाई देता है और मनुष्य स्वयं बुरा है
    तो उसे सारा संसार बुरा दिखाई देता है । मनुष्य नजरिया
    बदलकर देखने से दुनिया का हर चीजों में, हर लोगों में
    भला दिखाई देता है ।

2. लेखक ने संसार की तुलना काँच के महल से क्यों की है ?
    उत्तर : लेखक ने संसार की तुलना काँच के महल से की है
    क्योंकि काँच के सामने जो भी दिखाई देता है वह बिल्कुल
    सच होता है । काँच हमेशा सत्य को दर्शाता है । अगर आप
    अच्छा कर रहे होते हैं या बूरे सभी काँच में दिखाई देता है ।
    हमें सदा अच्छा देखना,अच्छा बोलना,और अच्छा सुनना
    चाहिए ताकि काँच में भी अच्छा दिखाई पड़े। तभी तो
    चारों ओर हमें अच्छा ही देखने को मिलेगा । अपने स्वभाव
    की छाया ही उस पर पड़ती है ।

3. अब्राहम लिंकन की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य क्या था ?
    उत्तर : अब्राहम लिंकन की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य
    यह था कि वह दूसरों की अनावश्यक नुक्ताचीनी कर
    उनका दिल नहीं दुखाता था ।

4. लेखक ने गांधी और सरदार पृथ्वीसिंह के उदाहरण क्या स्पष्ट
    करने के लिए दिए हैं  ?
    उत्तर : लेखक ने गांधी और सरदार पृथ्वीसिंह के उदाहरण
    यह स्पष्ट करने के लिए दिए हैं कि प्रेम और सहानुभूति से
    लोगों को अपनी ओर खींच सकते है । दोनों अहिंसा के
    मार्ग पर थे । गांधी जी सब को एकसाथ जोड़कर रखने के
    लिए सीमेंट का काम करता था ।

5. रसोइया ने बिना खबर दिए लेखक के मित्र की नौकरी क्यों
    छोड़ दी ?
    उत्तर : रसोइया ने बिना खबर दिए लेखक के मित्र की
    नौकरी छोड़ दी क्योंकि सुबह से शाम तक उसके महाशय      की डाँट खानी पड़ती थी । जैसे -"तुने आज दाल बिलकुल
    बिगाड़ दी । उसमें नमक बहुत डाल दिया ।" "अरे बेवकूफ
    तूने साग में नमक ही नहीं डाला ।" "यह जली रोटी कौन
    खाएगा रे !" आदि की झड़ी लगी रहती थी ।
                  वह भी तो आदमी ही है । उसके भी दिल है ।
    बेचारा कुछ रुपए का नौकर यंत्र नहीं बन सकता । तंग
    आकर भाग जाने के सिवा कोई चारा नही था ।

6. "अच्छा हो , सुकरात के इस विचार को मेरे मित्र अपने कमरे में
    लिखकर टाँग लें ।" - लेखक ने ऐसा क्यों कहा है  ? 
    उत्तर : महान संत सुकरात ने कही थी , "जो मनुष्य मूर्ख है
    और जानता है कि वह मूर्ख है , वह ज्ञानी है , पर जो मूर्ख
    है और नहीं जानता कि वह मूर्ख है, वह सबसे बड़ा मूर्ख है।
    लेखक का मित्र भी मानते हैं कि उनका जीवन,आचार और
    विचार आदर्श हैं। दूसरे लोग जो उनका सम्मान नहीं करते,
    मूर्ख हैं । वह खुद मूर्ख होकर भी नहीं जानता कि वह मूर्ख
    है । इसलिए लेखक ऐसा कहा है ।

(इ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो ( लगभग 50 शब्दों में ) :
1. अपने मित्रों को परेशान देखकर लेखक को किस किस्से का
    स्मरण हो आता है ?
उत्तर : अपने मित्रों को परेशान देखकर लेखक को दो कुत्तों
          की घटना का स्मरण हो आता है । लेखक उनकी
          मिसाल भौंकने वाले कुत्ते से नहीं देना चाहता । वह
          चाहता है कि इस कहानी से उनका मित्र चाहें तो कुछ
          सबक जरूर सीख सकते हैं ।

2. दुखड़ा रोते रहने वाले व्यक्ति का दुनिया से दूर किसी जंगल में
    चले जाना क्यों बेहतर है ?
उत्तर : हमें सदैव दूसरों की अच्छाइयों को देखना , अपने
         अवगुणों पर भी ध्यान देना और हर परिस्थिति में खुश
         रहना चाहिए । अपने निंदक का भी एहसानमंद होना
         और प्रत्येक व्यक्ति के साथ प्रेम और नम्रतापूर्ण
         व्यवहार करना चाहिए , तभी तो दुनिया भी खुद को
         साथ देगी । इसलिए लेखक ने कहा है कि दुखड़ा रोते
         रहने वाले व्यक्ति का दुनिया से दूर किसी जंगल में चले
         जाना ही बेहतर है ।



Monday, 20 April 2020

Student's Guide : Class 9 | Hindi Textbook Solution | आलोक भाग - १ | पाठ - ३ : बिंदु - बिंदु विचार - रामानंद दोषी |

अभ्यासमाला 
( 1 )

1. पूर्ण  वाक्य  में  उत्तर  दो :

(क) मुन्ना  कौन - सा  पाठ  याद  कर  रहा  था  ?
उत्तर  :"क्लीनलीनेस इज नेक्स्ट टु गाॅॅॅॅडलीनेस"- यह  पाठ  याद  कर रहा  था ।

(ख) मुन्ना  को  बाहर  कौन  बुला  रहा  था  ?
उत्तर  : मुन्ना  को  उनके  मित्र  बाहर  बुला  रहा  था ।

(ग) मुन्ना की बहन  उसके के लिए  क्या-क्या कार्य  किया करती थी ?
उत्तर  : मुन्ना  की  बहन  उसके  के  लिए  बहुत  सारी  कार्य करती  थी । मुन्ना  के  पढ़ाई  के  बाद  उनकी  बहन  मेज  के पास  पहुँचकर  बिटिया  निशान  के  लिए  कागज  लगाकर  उसकी  किताब  बंद  करती  हैं ; किताबों - कापियों - कागजों  के  बेतरतीब  ढेर  को  सँवारकर  करीने से  चुनती  हैं ; खुले  पड़े  पेन  की  टोपी  बंद करती  हैं ; गीला  कपड़ा लाकर  स्याही  के  दाग - धब्बे  पोंछती  हैं  और  कुरसी  को  कायदे  से  रखकर  चुपचाप  चली  जाती  हैं । 

(घ) आपकी  राय  में  अंग्रेजी  की  सूक्ति  का  मुन्ना  और  उसकी  बहन  में  से  किसने  सही - सही  अर्थ  समझा  ?
उत्तर  : मेरी  राय  में  अंग्रेजी  की  सूूक्ति  का  अर्थ  उसकी  बहन  ने  सही - सही  समझा  क्योंकि  मुन्ना  जो  पढ़ता  था  उसके  अर्थ  को    समझ - बूझकर  आचरण  में  सही  ढंग  से  उतार  पाने  में  असमर्थ था। बल्कि  उसकी  बहन को अंग्रेजी  समझ  नहीं  आने  के  बावजूद  अपनी  सेवा-भावना  से  हर  काम  सही  ढंग  से  करती  थी ।

(ङ) पाठ  के  अनुसार  सात  समंदर  की  भाषा  क्या  है  ?
उत्तर  : पाठ  के  अनुसार  सात  समंदर  की  भाषा  यह  है - जो अपनी  मानसिक सोच  से  दूर  हो ; जैसे  मुन्ना  का अंग्रेजी  पढ़ना। उसकी बहन  को  समझ  नहीं  आ  रही  थी । वह सोच  रही थी  कि भाईया जो  पढ़  रहा  है , सात  समंदर  की  दूर  की  पढ़ाई  होगी ।

2. संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  25 शब्दों  में  )

(क) लेखक  का  ध्यान  अपनी  किताब  से  उचत  कर  मुन्ना  की  ओर  क्यों  गया  ?
उत्तर  : लेखक   का  ध्यान  अपनी  किताब  से  उचत  कर  मुन्ना  की ओर  गया  क्योंकि  जो  पाठ  मुन्ना  पढ़  रहा  था - "क्लीनलीनेस  इज    नेक्स्ट  टु  गाॅडलीनेस" , उसका  अर्थ  समझ  रहा  था कि शुचिता देवत्व  की  छोटी  बहन  है । बल्कि  सही  अर्थ  यह  है  कि  स्वच्छता, भक्ति से  भी  बढ़कर  है ।

(ख) बिटिया  मुन्ना  की  मेज  को  क्यों  सँवार  देती  है  ?
उत्तर  : बिटिया  मुन्ना  की  मेज  को  सँवार  देती  है  क्योंकि  भाई  पर    बहुत  लाड़  है  उसकी । भाई  सात  समंदर  की  भाषा  पढ़  रहे  हैं -    इसलिए  उनका  आदर  भी  करती  है ।

(ग) लेखक  को  सारे  प्रवचन - अध्ययन  बौने  क्यों  लगे  ?
उत्तर  : लेखक   को  सारे  प्रवचन - अध्ययन  बौने  लगे  क्योंकि  गंभीर घोष  से  सुललित  शैैली  में  दिए  गए  अनेकानेक  भाषणों  में सुने सुंदर  सुगठित  वाक्य  कानों  में  गूँजने  लगते  हैं । मनमोहिनी  जिल्द  की  शानदार  छपाईवाली  पुस्तकों  में  पढ़े  कलापूर्ण अंश  आँखों  के आगे  तैर  जाते  हैं ।

(घ) "हम  वास्तव  में  तुम्हारे  समक्ष  श्रद्धानत  होना  चाहते  हैं ।" - इस  वाक्य  में  लेखक  ने  'वास्तव'  शब्द  का  प्रयोग  क्यों  किया  गया  है ?
उत्तर : इस  वाक्य  में  लेखक  ने  'वास्तव'  शब्द  का प्रयोग इसलिए किया  है  क्योंकि  मुन्ना  नाम  के  बच्चे  के  माध्यम  से  हमें  बताना चाहता  है  कि  किसी  भी  सीख  को  रट  लेने  के  बजाय  उसे समझ-बूझकर  आचरण  में  सही  ढंग  से  उतार  पाने  के  लिए  कोशिश करना  चाहिए ।  वाणी  और  व्यवहार  में  समता  लाने  के  लिए आग्रह  कर  रहे  है । 

(ङ) ' वाणी  और  व्यवहार  में  समता  आने  दो । ' - यदि वाणी  और
व्यवहार एक हो  तो  इसका  परिणाम  क्या  होगा  ? अपना  अनुभव
व्यक्त करो ।
उत्तर : यदि  वाणी  और  व्यवहार  एक  हो  तो  एक  इंसान  बहुत  आगे
निकल  जाएंगे । वह  आत्मविश्वास  के  साथ  खुद  आगे  बढ़ते  हुए
दूसरों  को  भी  मदद  का  हाथ  बढ़ायेगा । हमें  किसी  भी  सीख  को
रट  ने  के  वजाय  उसे  समझ-बूझकर  आचरण  में  सही  ढंग  से  उतार
लेने  से  एक  सकारात्मक  व्यक्तित्व  निर्माण  में  मदद  मिलता  है । 

(च) ' पाठ  याद  हो  गया । ' मुन्ना  का  पाठ  याद  हो  जाने  पर  भी
लेखक  उससे  प्रसन्न  नहीं  हैं , क्यों  ? 
उत्तर : मुुन्ना  का   पाठ  याद  हो  जाने  पर  भी  लेखक  उससे  प्रसन्न
नहीं  हैं  क्योंकि  वह  पाठ  को  जोर-जोर  से  रट  रहे  थे । वह  पाठ
का  अर्थ  भी  कुछ  दूसरा  ही  समझ  रहा  था । वह  पाठ  का  सही
अर्थ  समझ-बूझकर  आचरण  में  सही  ढंग  से  उतार  पाने  में  असमर्थ
था । 

(छ) लेखक  ने  इस  निबंध  में  अंग्रेजी  की  सूक्ति  - ' क्लीनलीनेस  इज़
नेक्स्ट  टु  गाॅडलीनेस ' को  आधारबिंदु  क्यों  बनाया  है  ? 
उत्तर : लेखक  ने  इस  निबंध  में  अंग्रेजी  की  सूक्ति - ' क्लीनलीनेस
इज  नेक्स्ट  टु  गाॅडलीनेस ' को  आधारबिंदु  बनाया  है  क्योंकि  इस
सूक्ति  से  पाठ  का  भाव  स्पष्ट  हुआ  है । लेखक  के  अनुसार  वाणी
और  व्यवहार  में  समता  लाने  की  आवश्यक  है । 

Friday, 27 March 2020

Student's Guide : Class 9 |Hindi Textbook Solution| आलोक भाग - १|पाठ न॰ २: परीक्षा - प्रेमचंद|



अभ्यासमाला
Page No: 18

■ बोध  एवं  विचार  :

1. पूर्ण  वाक्य में  उत्तर दो  : 

( क ) 'परीक्षा' कहानी में किस पद के लिए परीक्षा ली गई  ? 

उत्तर  : 'परीक्षा' कहानी में रियासत के दीवान पद के लिए  परीक्षा ली 

गई  ।

( ख ) दीवान साहब के समक्ष क्या शर्त रखी गई  ? 

उत्तर  : दीवान साहब के समक्ष यह शर्त रखी गई कि रियासत देवगढ़ के 

नया  दीवान  उन्हीं को खोजना पड़ेगा ।

( ग ) 'परीक्षा' कहानी में उम्मीदवार कौन -सा  सामूहिक खेल खेलते हैं  ?

उत्तर  : 'परीक्षा' कहानी में उम्मीदवार आपस में  हाॅकी  खेल खेलते  हैं  ।

( घ ) दीवान पद के लिए किसका चयन किया गया  ? 

उत्तर  : दीवान पद के लिए पंडित जानकीनाथ का चयन किया गया  । 

2 .संक्षिप्त उत्तर दो ( लगभग 25 शब्दों में  ) : 

( क ) दीवान सुजानसिंह ने महाराज से  क्या प्रार्थना की ? क्यों  ? 

उत्तर  : दीवान सुजानसिंह ने महाराज से यह प्रार्थना  किया कि  वह 

रियासत  देवगढ़ के दीवान पद में  चालीस साल  तक की सेवा की । अब 

कुछ दिन  परमात्मा की भी सेवा करने की आज्ञा चाहता है । क्योंकि 

अब शारीरिक अवस्था भी ढल गई  है  । राजकाज  सँभालने की शक्ति 

नहीं  रह गई  । भूल - चूक हो जाए  , तो बुढ़ापे  में  दाग लगे , सारी 

जिदंगी की नेकनामी मिट्टी में  मिल जाएगा । 

( ख ) उम्मीदवार विभिन्न प्रकार के अभिनय कैसे और क्यों कर रहे थे ? 

उत्तर  : रियासत के दीवान पद के लिए  आए प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन 

को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे  रूप में दिखाने की कोशिश करता था 

।  जो पहले नौ बजे दिन तक सोया करते  थे ; आजकल वे बगीचे में 

टहलते  ऊषा  के दर्शन करते थे ।  हुक्का पीने की लत  रहने वाले  

आजकल  बहुत रात गए  , किवाड़ बंद करके अंधेरे में सिगरेट पीते  थे ।

जो पहले नास्तिक थे ; आजकल उनकी धर्म - निष्ठा  देखकर मंदिर के 

पुजारी  भी शंका करने लगी है ।  जिसे किताबों  से घृणा थी ; आजकल 

वे बड़े  - बड़े  धर्म - ग्रंथ  खोले , पढ़ने में डूबे रहते  थे । हर कोई नम्रता  

और  सदाचार  का देवता मालूम  होता था । वे सब  उम्मीदवार दीवान 

पद के लिए  खुद में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे थे । 

( ग ) एक उम्मीदवार  ने गाड़ीवाले की मदद कैसे की ? 

उत्तर  : एक उम्मीदवार  जिसे हाॅकी खेलते हुए  , उसके पैरो में  चोट लग 

गई  थी ; वह  गाड़ीवाले  से कहा कि गाड़ी में  बैठकर बैलों को साधों  । 

तब उसने  पहियों को ज़ोर लगाकर खिसकाया । कीचड़  बहुत  ज़्यादा 

था । वह घुटनों तक ज़मीन में गड़ गया , लेकिन उसने हिम्मत न हारी । 

गाड़ीवाले बैलों को ललकारा , उन्होंने कंधे झुकाकर एक बार  फिर से 

ज़ोर  लगाया और  गाड़ी नाले की ऊपर चढ़ गई  । इस प्रकार  एक 

उम्मीदवार ने गाड़ीवाले की मदद की  थी । 

( घ ) किसान ने अपने मददगार युवक से क्या कहा ? उसका क्या अर्थ 

था ? 

उत्तर  : किसान  ने  अपने  मददगार  युवक से हाथ जोड़कर कहा  , 

"महाराज  ! आपने  आज मुझे उबार लिया , नहीं तो सारी रात यहीं 

बैठना पड़ता । जब युवक ने हँसकर कहा कि  क्या मुझे कुछ इनाम देंगे  

तब उत्तर में  किसान ने गंभीर भाव से कहा कि नारायण चाहेंगे तो

दीवानी  आपको ही मिलेगी । उसका अर्थ यह था कि रियासत देवगढ़ के

दीवान पद के लिए  जिस उम्मीदवार की खोज थी , वह मिल  चुका है ।

( ङ ) सुजानसिंह ने उम्मीदवारों की परीक्षा  कैसे ली ? 

उत्तर  : सरदार सुजानसिंह ने दीवान पद के लिए आए  उम्मीदवारों के 

आदर - सत्कार का बड़ा अच्छा प्रबंध कर दिया था । प्रत्येक मनुष्य 

अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की 

कोशिश करता था ।  लेकिन , सुजानसिंह आड़ में बैठा हुआ देख रहा था 

कि  इन बगुलों में हंस कहाँ छिपा है ।  जब वे सब एकदिन हाॅकी खेल 

कर  संध्या समय लोट रहे थे तब  एक किसान (सुजानसिंह) को देखा  

कि वह अनाज से भरी  हुई  गाड़ी  में फंसे हुए है । उसमें से एक व्यक्ति 

को छोड़कर किसी ने  उनकी तरफ दया भाव से नही देखा । वह  पैरों में  

चोट लगने के बावजूद किसान की मदद की  जिसमें  सभी गुण झलक 

रहे थे ।  सुजानसिंह को  दीवान पद के लिए ऐसे पुरूष की आवश्यकता 

थी , जिसके ह्रदय में दया हो और  साथ  ही साथ  आत्मबल भी ।  इस 

तरह  सुजानसिंह ने उम्मीदवारों की परीक्षा ली और  इस परीक्षा में  

पंडित  जानकीनाथ  पास कर गए । 

( च ) पं॰ जानकीनाथ में  कौन-कौन से गुण थे ? 

उत्तर  : पं॰ जानकीनाथ में साहस , आत्मबल  और  उदारता का गुण था 

। साथ -ही -साथ  उनमे दृढ़ संकल्प  का गुण भी झलक रहा था  ।

( छ ) सुजानसिंह के मतानुसार दीवान में कौन-कौन से गुण होने चाहिए ?

उत्तर  : सुजानसिंह के मतानुसार दीवान में  दया हो और  साथ ही साथ 

आत्मबल भी । ह्रदय वही है  , जो उदार  हो ; आत्मबल वही है  जो 

आपत्ति  का वीरता  के साथ  सामना करे  । 

3. सप्रसंग  व्याख्या  करो ( लगभग  100 शब्दों  में ) 

    (क) लेकिन,  मनुष्य  का  वह  बूढ़ा  जौहरी  आड़  में  बैठा  हुआ
  
    देख  रहा  था  कि  इन  बगुलों  में  हंस  कहाँ  छिपा  है ।

    उत्तर : प्रस्तुत  गद्याशं  हमारे  पाठ्यपुस्तक  'आलोक' के  'परीक्षा'
  
    नामक  पाठ  से  ली  गई  है । पाठ  के  लेखक  है  प्रेमचंद   जी।
         
          लेखक  ने  रियासत  के   दीवान  पद  के  लिए  आए     

   उम्मीदवारों    ने  किस  तरह  अपने  जीवन  को  अपनी  बुद्धि  के  

  अनुसार  अच्छे   रूप  में  दिखाने  की  कोशिश  करता  है  और  

   उनलोगों  की  देखरेख  किस  तरह  से  हो  रहा  है  उसपर  बल  

   दिया  गया  है ।
        
          लेखक  के  अनुसार  सरदार  सुजानसिंह  ने  उम्मीदवारों  के 

    आदर-सत्कार  का  बड़ा  अच्छा  प्रबंध  कर  दिया  था । हर  कोई
    
    अपने  जीवन  को  अपनी  बुद्धि  के  अनुसार  अच्छे  रूप  में  दिखाने
    
    की  कोशिश  करता  था । जैसे  मिस्टर  'अ' नौ  बजे  दिन  तक सोया
  
    करते  थे ; आजकल  वे  बगीचे  में  टहलते  ऊषा  के  दर्शन  करते थे।
    
    मिस्टर  'ब'  को  हुक्का  पीने  की  लत  रहने  वाले  आजकल  बहुत 
   
    रात  गए  , किवाड़  बंद  करके  अंधेरे  में  सिगरेट  पीते  थे । मिस्टर 
  
    'स'  ,  'द'   और  'ज'  से  उनके  घरों  पर  नौकरों  की  नाक  में  दम
   
    था ; ये  सज्जन  आजकल  'आप '  और  'जनाब'  के  बगैर  नौकर
    
    से  बातचीत  नहीं  करते  थे । महाशय  'क'  नास्तिक  थे ;  मगर
  
    आजकल  उनकी  धर्म-निष्ठा  देखकर  मंदिर  के  पुजारी  को  पदच्युत
   
    हो  जाने  की  शंका  लगी  रहती । मिस्टर  'ल'  को  किताबों  से  घृणा
    
   थी ; परन्तु  आजकल  वे  बड़े-बड़े  धर्म-ग्रंथ  खोले ,  पढ़ने  में  डूबे 
   
   रहते  थे । हर  किसी  को  नम्रता  और  सदाचार  का  देवता  मालूम 
  
   होता  था । लोग  समझते  थे  कि  एक  महीने  की  झंझट  है  ; किसी
    
   तरह  काट  लें । कही  कार्य  सिद्ध  हो  गया  ,  तो  कौन  पूछता  है ?
    
   लेकिन  उनलोगों  का  दिनचर्या  मनुष्य  का  वह  बूढ़ा  जौहरी  आड़ 
   
   में  बैठा  हुआ  देख  रहा  था कि इन बगुलों  में  हंस  कहाँ  छिपा  है।

  (ख)  गहरे  पानी   में   बैठने  से  मोती  मिलता  है ।

   उत्तर : प्रस्तुत   गद्याशं   हमारे   हिंदी  पाठ्यपुस्तक   'आलोक '  के  

   'परीक्षा '  नामक   पाठ   से   ली   गई   है । पाठ  के  लेखक   का

   नाम   है   प्रेमचंद   जी।

        जब  एक  किसान  (सुजानसिंह)  की  अनाज  से  भरी  हुई गाड़ी  

   को  नाले  में   से  निकलने  के  लिए   जानकीनाथ   ने  मदद  की  थी
   
   और  कहा  था  कि  क्या  आप  मुझे  कुछ  इनाम  देंगे  तब  उत्तर  में 

   सुजानसिंह  ने  कहा  था  कि  गहरे  पानी  में  बैठने  से  मोती  मिलता 

   है। 

        एकदिन  उम्मीदवारों  के  बीच  हाॅकी  खेल  हो रहा  था ।  सभी

   खिलाड़ी  खेलने  के  बाद  थके  हुए  लौट  रहे  थे । सभी  खिलाड़ियों 

   को  एक  नाले  में  से  चलकर  आना  पड़ता  था । उसी  संध्या  समय 

   एक  किसान (सुजानसिंह)  अनाज  से  भरी  हुई  गाड़ी  लिए  उस 

   नाले  में  आया  ; लेकिन , कुछ  तो  नाले  में  कीचड़  था  और  कुछ

   चढ़ाई  इतनी  ऊँची  थी  कि  गाड़ी  ऊपर  न  चढ़  सकती  थी। वह

   हर  तरह  से  अकेले  कोशिश  किए  परन्तु  नाकामयाब  हुए ।  इसी

   बीच  में  खिलाड़ियों  ने  भी  उसी  नाले  से  होकर  निकले  लेकिन 

   जानकीनाथ  नाम  के  खिलाड़ी  को  छोड़कर  किसी  ने  उनकी  तरफ

   सहानुभूति  से  नहीं  देखें ।  उन्हें  आज  हाॅकी  खेलते  हुए  पैरों  में 

   चोट  लग  गई  थी।  उनके  ह्रदय  में  दया  थी  और  साहस  भी । 

   वह  किसान  से  बोला  कि आप  गाड़ी  पर  जाकर  बैलों  को  साधों ;

   मैं  पहियों  को  ढकेलता  हूँ।  वह  घुटनों  तक  ज़मीन  में  गड़  गया 

   और  पहियों  को  ज़ोर  लगाकर  खिसकाया , लेकिन  उसने  हिम्मत 

   न  हारी । उधर  किसान  ने  बैलों  को  ललकारा , उन्होंने  कंधे 

   झुकाकर  फिर  से  एक  बार  ज़ोर  लगाया  तबतक  गाड़ी  नाले  की 

   ऊपर  थी। किसान  ने  उनकी  सराहना  करते  हुए  धन्यवाद  जताया।

  वह  हँसते  हुए  कहा  कि  आप  मुझे  कुछ  इनाम  देगें  तब जबाब  में

  किसान  ने  कहा  कि  नारायण  चाहेंगे  तो  दीवानी  आपको  ही 

  मिलेगी ।  और  जाते  हुए  अंत  में  कहा  कि  गहरे  पानी  में  बैठने  से 

  मोती  मिलता  है । 

    (ग) उन  आँखों  में  सत्कार  था  और  इन  आँखों  में  ईर्ष्या  ।

    उत्तर : प्रस्तुत  गद्याशं  हमारे  हिंदी  पाठ्ययपुस्तक  'आलोक '  के 

    'परीक्षा '  नामक  पाठ  से  ली  गई  है । पाठ  के  लेखक  का  नाम  है

    प्रेमचंद  जी।  

         यहाँ   लेखक  बताना  चाहता  है  कि  रियासत  के  दीवान  पद  

   के  लिए   जब  पं . जानकीनाथ   का  चयन  हुआ  तब  रियासत  के 

   कर्मचारी  और  अन्य  उम्मीदवारों   ने  किस  तरह   पेश  आ  रहे  थे 

   उसका  वर्णन  किया  गया  है ।

         दीवान  सुजानसिंह  ने  रियासत  के  दीवान  पद  के  लिए  आए 

   उम्मीदवारों  की  आदर - सत्कार  का  बड़ा  अच्छा  प्रबंध  कर  दिया  

  था ।  सभी  के  परीक्षा  शुरू  हो  चुका  था । जब  निदान  महीना  पूरा 

   हुआ  तब  चुनाव  का  दिन  आ  पहुँचा ।  उम्मीदवार  लोग  प्रात:काल

   से  ही  अपनी  किस्मत  का  फैसला  सुनने  के  लिए  उत्सुक  थे। 

   संध्या  समय  राजा  साहब  का  दरबार  में  शहर  के  रईस  और    
   
  धनाढ्य  लोग,  राजा  के  कर्मचारी  और  दरबारी  और  दीवानी  के    

  उम्मीदवारों    के  समूह  के  उपस्थिति  में  सरदार  सुजानसिंह  दीवान     

  पद  के  लिए फैसला  सुनाते  हुए  कहा  कि  इस  पद  के  लिए  ऐसे   
  
  पुरूष  की  आवश्यकता  थी , जिसके  ह्रदय  में  दया  हो  और  साथ     
  
  ही  साथ आत्मबल  भी । ह्रदय  वही  है , जो  उदार हो  ; आत्मबल      

  वही  है  जो आपत्ति  का  वीरता  के  साथ  सामना  करे  ; और  इस       

  रियासत  के  सौभाग्य  से  ऐसा  पुरूष  मिल  गया ।  ऐसे  गुणवाले       

 संसार  में  कम  होते  हैं  और  जो  हैं , वे  कीर्ति  और  मान  के  शिखर   

 पर  बैठे  हुए  है ।  उन  तक  हमारी  पहुँच  ही  नही ।  अंत  में  दीवान   

 पद  के  लिए   पं . जानकीनाथ  का  नाम  चयन  किया  गया और  उन्हें   

 बधाई  दिया    गया ।  तभी  रियासत  के  कर्मचारी  और  रईसों  ने  पं . 

 जानकीनाथ  की  तरफ  देखा  और  उम्मीदवारों  के  दल  की  आँखे   

 उधर  उठी ;  मगर , उन  आँखों  में  सत्कार  था  और  इन  आँखों  में   

 ईर्ष्या  झलक   रही  थी ।

4. किसने   किससे  कहा , लिखो  : 

    (क) कहीं  भूल -चूक  हो  जाए  तो  बुढ़ापे  में  दाग  लगे , सारी  

    जिंदगी  की  नेकनामी  मिट्टी  में  मिल  जाए ।

    उत्तर : सरदार  सुजानसिंह  ने  महाराज  से  कहा  था ।

   (ख) मालूम  होता  है  , तुम  यहाँ  बड़ी  देर  से  फँसे  हुए  हो ।

    उत्तर : युवक ( पं . जानकीनाथ )ने  किसान ( सरदार  सुजानसिंह  )

    से  कहा  था।

    (ग) नारायण  चाहेंगे  तो  दीवानी  आपको  ही  मिलेगी ।

    उत्तर : किसान ( सरदार सुजानसिंह  ) ने  युवक ( पं . जानकीनाथ  )

    से  कहा  था।



Friday, 20 March 2020

Student's Guide : Class 9|Hindi Textbook Solution |आलोक भाग - १ | पाठ न॰ १: हिम्मत और जिंदगी - रामधारी सिंह 'दिनकर'


क्रमिक  न ॰ : 08 - 09 

अभ्यासमाला 

( अ ) सही विकल्प का चयन करो :

1 . किन व्यक्तियों को सुख का स्वाद अधिक मिलता है? 

( क) जो सुख का मूल्य पहले चुकाता है ।

( ख ) जो सुख का  मूल्य  पहले  चुकाता है  और  उसका  मजा 

बाद में  लेता है । -------- सही 

( ग ) जिसके पास  धन और  बल  दौनों  है । 

( घ ) जो  पहले दुःख  झेलता है ।

2. पानी में  जो अमृत-तत्त्व  है, उसे कौन जानता  है  ? 

( क ) जो  प्यासा  है ।

( ख ) जो  धूप में  खूब  सूख  चुका   है । ------- सही 

( ग ) जिसका  कंठ  सूखा  हुआ  है । 

( घ ) जो रेगिस्तान  से आया  है  ।

3. ' गोधुली  वाली दुनिया  के लोगों ' से अभिप्राय  है --

( क ) विवशता  और  अभाव  में  जीने  वाले  लोग ।

( ख ) जय - पराजय के अनुभव से परे लोग  ।

( ग ) फल की कामना  ना करने  वाले  लोग ।  ----- सही  

( घ ) जीवन को दाँव पर लगाने  वाले  लोग ।

4. साहसी  मनुष्य  की पहली  पहचान  यह  है  कि  वह --

( क ) सदा आगे  बढ़ता जाता । 

( ख ) बाधाओं  से  नहीं  घबराता है  ।

( ग ) लोगों  की  सोच  की  परवाह  नहीं  करता ।

( घ ) बिलकुल  निडर होता  हैं । ------ सही 

( आ ) संक्षिप्त  उत्तर  दो ( लगभग 25 शब्दों  में  ) 

1. चाँदनी  की  शीतलता  का  आनंद  कैसा  मनुष्य  उठा  पाता है ?

उत्तर: चाँदनी  की शीतलता का आनंद  वह  मनुष्य  उठा पाता है,  

जो दिन  भर  धूप में  थक कर लौटा है, जिसके  शरीर  को अब 

तरलाई की जरूरत  महसूस  होती  है  और  जिसका  मन यह 

जानकर  संतुष्ट  है  कि  दिन भर का समय उसने  किसी  अच्छे 

काम  में  लगाया  है ।

2. लेखक ने  अकेले  चलने वाले  की तुलना  सिंह  से क्यों  की है ?

उत्तर: लेखक  ने  अकेले  चलने वाले की तुलना सिंह से  की है  

क्योंकि  झुंड  में  चलना और  झुंड  में  चरना, यह भैंस  और  भेड़ 

का काम है । सिंह  तो बिल्कुल  अकेला होने पर भी मगन रहता  है ।

3. जिंदगी  का भेद  किसे मालूम  है  ? 

उत्तर: जिंदगी  का भेद  उसे ही मालूम  है  जो  यह जानकर  चलता 

है  कि  जिंदगी  कभी भी  खत्म  न होने  वाली  चीज है ।  

4. लेखक ने  जीवन के  साधकों  को क्या  चुनौती  दी है  ? 

उत्तर: लेखक ने  जिंदगी  के साधकों  को  यह चुनौती  दी है  कि 

मरने के समय  हम अपनी  आत्मा  से यह  धिक्कार  न सुनें  कि  

हममें  हिम्मत  की कमी थी, कि  हममें  साहस का अभाव  था, कि 

हम ठीक  वक्त पर  जिंदगी  से भाग  खड़े हुए ।

(इ ) निम्नलिखित  प्रश्नों  के  उत्तर  दो( लगभग 50 शब्दों  में  )

1 . लेखक  ने  जिंदगी  की कौन-सी  दो सूरतें  बताई है  और  उनमें 

 से किसे बेहतर  माना है  ? 

उत्तर: लेखक ने  जिंदगी की  दौ सूरतें  बताई  है । पहला  यह कि  

आदमी  बड़े- से- बड़े   मकसद के लिए  कोशिश करे, जगमगाती 

हुई जीत पर पंजा डालने के लिए  हाथ  बढ़ाए  और अगर 

असफलताएँ कदम- कदम पर जोश की रोशनी  के  साथ  

अँधियाली का जाल बुन रहीं हों , तब भी वह पीछे  को पाँव  न 

हटाए । दूसरी  सूरत यह है  कि  उन गरीब  आत्माओं का  

हमजोली  बन जाए   जो  न तो   बहुत  अधिक  सुख  पाती हैं और 

 न जिन्हें  बहुत  अधिक  दुःख  पाने का संयोग  है, कयोंकि  वे 

आत्माएँ  ऐसी गोधूलि में  बसती हैं, जहाँ  न तो जीत  हँसती हैं  

और  न  कभी हार के रोने की आवाज  सुनाई पड़ती है । 

           लेखक  दौनों  सूरतें  में  से पहली  सूरत को बेहतर माना है ।

2.   जीवन  में  सुख  प्राप्त  न होना और  मौके पर हिम्मत  न दिखा

 पाना --- इन दौनों में से लेखक ने किसे श्रेष्ठ  माना  है और कयों ? 

उत्तर: लेखक ने  जीवन में सुख प्राप्त न होना और मौके पर हिम्मत 

न दिखा पाना--- इन दौनों में से , मौके पर हिम्मत न दिखा पाने  

को श्रेष्ठ माना  है  क्योंकि  मरने के  समय हम अपनी आत्मा से यह 

धिक्कार न सुनें कि हममें हिम्मत की कमी थी, कि हममें साहस का 

अभाव था, कि हम ठीक वक्त पर जिंदगी से भाग  खड़े हुए । 

3. पाठ के अंत  में  दी गई  कविता की पंक्तियों से युधिष्ठिर को क्या 

सीख  दी गई  है? 

उत्तर: लेखक ने  पाठ के अंत में दी गई कविता की पंक्तियों से 

युधिष्ठिर को  यह  सीख दी है कि   जीवन  में कभी डरना नहीं  

चाहिए । जीवन में  कठिनाई  आना तय है, लेकिन अपनी मंजिल 

तक पहुँच ने  के लिए  उन कठिनाईयों से निर्भय  होकर लड़ना ही  

जीवन  का सबसे  बड़ा  कर्तव्य है ।

( ई) सप्रसंग व्याख्या करो ( लगभग 100  शब्दों  में  ) :

( क ) साहसी मनुष्य सपने  उधार  नहीं  लेता, वह अपने विचारों में 

रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है ।

उत्तर  : प्रस्तुत गद्याशं हमारे पाठ्यपुस्तक  "आलोक" के 'हिम्मत 

और जिंदगी'  पाठ से ली गई  है । पाठ के लेखक रामधारी सिंह 

दिनकर  जी है ।

      गद्याशं के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है कि साहसी 

मनुष्य सपने उधार नहीं लेता है । वह अपने विचारों में रमा हुआ 

अपनी ही किताब पढ़ता है । वह इस बात की चिंता नहीं करता कि 

तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे  में  क्या सोच रहे हैं । क्रांति 

करने वाले अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते 

हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम 

बनाते हैं । साहसी मनुष्य उन कठिनाईयों से निर्भय होकर लड़ते 

हुए आगे बढ़ते  है , जिसके द्वारा  वह अपने मंजिल तक पहुँच पायें ।

(ख) कामना का अंचल छोटा मत करो , जिंदगी के फल को दोनों 

हाथों से दबाकर निचोड़ो ।

उत्तर  : प्रस्तुत गद्याशं हमारे पाठ्यपुस्तक  "आलोक" के  'हिम्मत 

और जिंदगी' पाठ से ली गई है । पाठ के लेखक रामधारी सिंह 

दिनकर जी है ।

      गद्याशं के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि कामना 

या अपना सपना जो भी है उसको कभी भी छोटा नही करना 

चाहिए । बल्कि उन सपनों को सकार करने के लिए कठिन से 

कठिन कदम सोच समझकर उठाना चाहिए । जिंदगी में दोनों हाथों 

के बल से ही अपना सपना  को सकार कर पायेंगे । इस तरह के 

सोच से ही हम जिंदगी के फल को दोनों हाथों से दबाकर निचोड़ 

सकते है । 

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