Friday, 17 April 2020

Student's Guide : Class 10 (SEBA)| Hindi Textbook Solution | आलोक भाग - २| पाठ - २ : छोटा जादूगर - जयशंकर प्रसाद


अभ्यासमाला

Page No  : 17 to 19

बोध  एवं  विचार  : 
1. सही  विकल्प  का  चयन  करो  : 

    (क) बाबू  जयशंकर  प्रसाद  का  जन्म   हुआ  था  - 
    (अ) काशी  में      (आ) इलाहाबाद  में
    (इ) पटना  में         (ई)  जयपुर  में  

    (ख) जयशंकर  प्रसाद  जी  का  साहित्यिक  जीवन  किस  नाम  से
    आरंभ  हुआ  था  ? 
    (अ) 'विद्याधर'  नाम  से       (आ) 'कलाधर' नाम  से 
    (इ) 'ज्ञानधर'  नाम  से         (ई)  'करूणाधर'  नाम  से 

    (ग) प्रसाद  जी  का  देहावसान  हुआ  - 
    (अ) 1935  ई.  में       (आ) 1936  ई.  में 
    (इ) 1937  ई.  में       (ई) 1938  ई.  में 

    (घ) कार्निवल  के मैदान  में लड़का  चुपचाप  किनको देख रहा था ?
    (अ) चाय  पीने  वालों  को     (आ) मिठाई  खाने  वालों  को 
    (इ) गाने  वालों   को             (ई) शरबत  पीने  वालों  को 

    (ङ) लड़के  को  जादूगर  का  कौन-सा  खेल  अच्छा  मालूम  हुआ ?
    (अ) खिलौने  पर  निशाना  लगाना      (आ) चूड़ी  फेेंकना 
    (इ) तीर  से  नम्बर  छेदना     (ई) ताश  का  खेल   दिखाना 

2. पूर्ण  वाक्य  में  उत्तर  दो  : 

    (क) जयशंकर  प्रसाद  द्वार  रचित  प्रथम  कहानी  का  नाम  क्या है?
    उत्तर : जयशंकर  प्रसाद  द्वारा  रचित  प्रथम  कहानी  का  नाम  है
  ' ग्राम ' ।

    (ख) प्रसाद  जी  द्वारा  विरचित  महाकाव्य  का  नाम  बताओ ।
    उत्तर : प्रसाद  जी  द्वारा  विरचित  महाकाव्य  का  नाम  हैै  
    'लहर और  कामायनी ' ।

    (ग) लड़का  जादूगर  को  क्या  समझता  है  ? 
    उत्तर : लड़का  जादूगर  को  निकम्मा  समझता  है ।

    (घ) लड़का  तमाशा  देखने  परदे  में  क्यों  नहीं  गया  था ? 
    उत्तर : लड़का  तमाशा  देखने  परदे  में  नहीं  गया  था  क्योंकि
    उसके  पास  टिकट  नहीं  था ।

    (ङ) श्रीमान  ने  कितने  टिकट  खरीद  कर  लड़के  को  दिए  थे  ?
    उत्तर : श्रीमान  ने  बारह  टिकट  खरीद  कर  लड़के  को  दिए  थे ।

    (च) लड़के  ने  हिंडोले  से  अपना  परिचय  किस  प्रकार  दिया  था ?
    उत्तर : लड़के  ने  हिंडोले  से  अपना  परिचय  'छोटा  जादूगर ' कहा
    था ।

    (छ) बालक  ( छोटे  जादूगर )  को  किसने  बहुत   ही  शीघ्र  चतुर
    बना  दिया  था  ?
    उत्तर : बालक ( छोटे जादूगर )  को  आवश्यकता  ने  बहुुुत  ही  शीघ्र
    चतुर  बना  दिया  था ।

    (ज) श्रीमान  कलकत्ते  में  किस अवसर पर  की  छुट्टी  बिता  रहे थे ?
    उत्तर : श्रीमान  कलकत्ते  में  बड़े  दिन  की  अवसर  पर  छुट्टी  बिता
    रहे  थे ।

    (झ) सड़क  के  किनारे  कपड़े  पर  सजे  रंगमंच  पर  खेल  दिखाते
    समय  छोटे  जादूगर  की  वाणी  में  स्वभावसुलभ  प्रसन्नता  की  तरी
    क्यों  नहीं  थी ?
    उत्तर :सड़क  के  किनारे  कपड़े  पर  सजे  रंगमंच  पर  खेल दिखाते 
    समय  छोटे  जादूगर  की  वाणी  में  स्वभावसुलभ  प्रसन्नता  की  तरी
    नहीं  थी  क्योंकि  उसदिन  उनकी  माँ  की  तबीयत  ज्यादा  ही बिगड़
    गई  थी । वह  साहस  जुटाने  और  मन  लगाने  में  असमर्थ  था । 

   (ञ) मृत्यु  से  ठीक  पहले  छोटे जादूगर  की  माँ  के  मुँह  से  कौन       सा  अधूरा  शब्द  निकला  था ?
   उत्तर : मृत्यु  के  ठीक  पहले  छोटे  जादूगर  की  माँ  के  मुँह  से "         बे..." शब्द  निकला  था  । 

3. अति  संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  25 शब्दों  में )

    (क) बाबू  जयशंकर  प्रसाद  की  बहुमुखी  प्रतिभा  का  परिचय  किन
    क्षेत्र  में  मिलता  है  ? 
    उत्तर : बाबू  जयशंकर  प्रसाद  की  बहुमुखी  प्रतिभा  का  परिचय
    कविता , नाटक , कहानी , उपन्यास , निबंध  और  आलोचना  के क्षेत्र
    में  अमर  लेखनी  चलाकर  आधुनिक  कालीन  हिंदी  साहित्य  को
    समृद्ध  किया  है । साहित्यकार  के अलावा  वे  इतिहास  एवं  पुरातत्व
    के   विद्वान  तथा  एक  गंभीर  चिन्तक  भी  थे । भारतीय  सभ्यता-
    संस्कृति , धर्म-दर्शन , भक्ति-अध्यात्म  के  प्रति  गहरी  रूचि  रखने
    वाले  प्रसाद  जी  ने  इन्हें  अपनी  रचनाओं  के  माध्यम  से  उजागर
    करने  का  भरपूर  प्रयास  किया  है ।

    (ख) श्रीमान  ने  छोटे  जादूगर  को  पहली  भेंट  के   दौरान   किस        रूप  में  देखा  था ?
    उत्तर : श्रीमान  ने  छोटेे  जादूगर  को  पहली  भेंट  के  दौरान
    देेखा  था  कि  उसके  गले  में  फटे  कुरते  के  ऊपर  एक
    मोटी-सी  सूत की  रस्सी  पड़ी  थी  और  जेब  में  कुछ  ताश
    के  पत्ते  थे । उसके  मुँह  पर  गम्भीर  विषाद  के  साथ  धैर्य
    की  रेखा  थी ।

    (ग) " वहाँ  जाकर  क्या  कीजिएगा  ? " छोटे  जादूगर  ने  ऐसा  कब
    कहा  था ?
    उत्तर : जब  श्रीमान  ने   छोटे  जादूगर   को   कहा  कि
    उस  परदे  में  क्या  है , वहाँ   तुम   गए   थे ?  वह  बोला
    कि  वहाँ  जाने  के  लिए  टिकट  लगता  है ।  श्रीमान   ने
    जब  उन्हें  वहाँ  ले  जाने   के   लिए  ज़िक्र  किया  तब  वह
    कहा  था  कि  वहाँ  जाकर  क्या  कीजिएगा ।

    (घ) निशानेबाज  के  रूप  में  छोटे  जादूगर  की  कार्य-कुशलता  का
    वर्णन  करो ।
    उत्तर : निशानेेेबाज  केे   रूप  में   छोटे  जादूगर   पक्का
    निशानेबाज था। उसका  कोई  गेंद  खाली  नहीं  गया , देखने
    वाले  दंग  रह गए । उसने   बारह   टिकट  के  बारह   खिलौने 
    को   बटोर  लिया , कुछ   श्रीमान  के  रूमाल  में  बाँधे  और
    कुछ  जेब  में  रख  लिए  ।

    (ङ) कलकत्ते  के  बोटानिकल  उद्यान  में  श्रीमान-श्रीमती  को  छोटा
    जादूगर  किस  रूप  में  मिला  था ?
    उत्तर : कलकत्ते  के  बोटानिकल  उद्यान  में  श्रीमान - श्रीमती
    को छोटा  जादूगर  दिखाई  दिया ।  उनके   हाथ  में  चारखाने
    की  खादी का  झोला  था । आधी  बाँहों  का  कुरता  और
    साफ  जाँघिया  पहना हुआ  था । सिर  पर  श्रीमान  दिया  हुआ
    रूमाल  सूत  की  रस्सी  से  बँधा  हुआ  था  और  मस्तानी
    चाल  से  झूमता  हुआ  नजर  आ  रहा  था ।

    (च) कलकत्ते  के   बोटानिकल   उद्यान   में   श्रीमान   ने   जब
    छोटे जादूगर  को  ' लड़के !'  कहकर  संबोधित  किया ,  तो  उत्तर
    में  उसने क्या  कहा ?
    उत्तर : कलकत्ते   के   बोटानिकल   उद्यान  में  श्रीमान  ने   जब
    छोटे जादूगर  को  ' लड़के !' कहकर  संबोधित  किया , तो
    उत्तर  में  उसने कहा  कि  छोटा  जादूगर  कहकर  बुलाइए
    मेरा  नाम  यही  है ।  इसी से  मेरी  जीविका  है ।
    (छ) " आज  तुम्हारा  खेल  जमा  क्यों  नहीं  ? "-इस  प्रश्न  के
    उत्तर  में  छोटे   जादूगर  ने  क्या  कहा ?
    उत्तर : "आज  तुम्हारा  खेल  जमा  क्यों   नहीं ? " - इस  प्रश्न
    के  उत्तर  में  छोटे  जादूगर  ने अविचल  भाव  से  कहा  कि  मेरी  माँ      की घड़ी  समीप  है , आज  तुरन्त  चले  आने  के  लिए  कहा   है ।

4. संक्षिप्त  उत्तर  दो ( लगभग  50 शब्दों  में )

    (क) प्रसाद  जी  की  कहानियों  की  विशेषताओं  का  उल्लेख  करो ।
    उत्तर : प्रसाद  जी  ने  लगभग  सत्तर  कहानियाँ  हिंदी  को  भेेंट  की
    हैं । ये  कहानियां  छाया , प्रतिध्वनि , आकाश-द्वीप , आधी , इंद्रजाल
    आदि  संग्रहों  में  संकलित  हैं । उनकी  प्रथम  कहानी  'ग्राम' 1911
    ई.  में  'इंद्र'  नामक  पत्रिका  में  प्रकाशित  हुई  थी । कहानीकार  के
    रूप  में  उन्हें  भाववादी  धारा  के  प्रवर्त्तक  कहा  जाता  है ।  उनकी
    अधिकांश  कहानियों  में  चारित्रिक  उदारता , प्रेम , करुणा , त्याग
    बलिदान , अतीत  के  प्रति  मोह  से  युक्त  भावमूलक  आदर्श  की
   अभिव्यक्ति  हुई  थी । उन्होंने  अपने  समकालीन  समाज  की आर्थिक
    विपन्नता , निरीहता , अन्याय  और  शोषण  को  भी  कुछ  कहानियों
    में  चित्रित  किया  है ।

    (ख) "क्यों  जी ,  तुमने  इसमें  क्या  देखा  ? - इस  प्रश्न  का  उत्तर
    छोटे  जादूगर  ने  किस  प्रकार  दिया  था  ?
    उत्तर : इस  प्रश्न  का  उत्तर  छोटे  जादूगर  ने  श्रीमान  को
    देते  हुए  कहा  कि  यहाँ  चूड़ी  फेंकते  हैं । खिलौने  पर
    निशाना  लगाते हैं । तीर से नम्बर छेदते हैं। मुझे तो खिलौने
    पर निशाना लगाना अच्छा मालूम  हुआ । जादूगर  तो
    बिल्कुल  निकम्मा  है । उससे अच्छा  तो  ताश  का  खेल  मैं
    ही  दिखा  सकता  हूँ ।

    (ग) अपने  माँ-बाप  से  संबंधित  प्रश्नों  के  उत्तर  में  छोटे  जादूगर  ने
    क्या-क्या  कहा  था ?
    उत्तर : अपने  माँ-बाप  से  संबंधित  प्रश्नोंं के उत्तर  मेंं  छोटे
    जादूगर ने  कहा  था  कि  मेरी  बाबूजी  जेल  में  हैं , देश  के
    लिए  और  माँ बीमार है । आगे  कहा  कि  वह  तमाशा
    दिखाने निकला  है  जिससे   कुछ  पैसे  मिले  तो  अपनी
    माँ  को   पथ्य  दिलाएगा । उसने  कहा कि  शरबत  न
    पिलाकर  श्रीमान  ने  उनका  खेल  देखकर  कुछ  दे देने
    से  उन्हें  अधिक  प्रसन्नता  होती ।

    (घ) श्रीमान  ने  तेरह-चौदह  वर्ष  के  छोटे  जादूगर को  किसलिए
    आशचर्य  से  देखा  था  ?
    उत्तर : छोटे  जादूगर  के  मुँह  से  उनकी  माँ-पिताजी  के  दु:ख  की
    कथा  सुनकर  श्रीमान  ने  तेरह-चौदह  वर्ष  के  छोटे  जादूगर  को
    आशचर्य  से  देख  रहा  था । वह  कहने  लगे  जब  कुछ  लोग  खेल-
    तमाशा  देखते  ही  हैं , तो  क्यों  न  दिखाकर  माँ  की  दवा-दारू
    करूँ  और  अपना  पेट  भरूँ ।

    (ङ)  श्रीमती  के  आग्रह  पर  छोटे  जादूगर  b7ने  किस  प्रकार  अपना
    खेल  दिखाया  ?
    उत्तर : श्रीमती  के  आग्रह  पर  छोटे  जादूगर  ने  अपना  खेल आरंभ
    कर  दिया । उस दिन  कार्निवल  के  सब  खिलौने  उसके  खेल  में
    अपना  अभिनय  करने  लगे । भालू  मनाने  लगा । बिल्ली  रूठने
    लगी । बन्दर  घुड़कने  लगा । गुड़िया  का  ब्याह  हुआ । गुड्डा  वर
    काना  निकला । लड़के  की  वाचालता  से  ही अभिनय  हो  रहा था ।
    सब  हँसते-हँसते  लोट-पोट  हो  गए । ताश  के  सब  पत्ते  लाल  हो
    गए । फिर  सब  काले  हो  गए । गले  की  सूत  की  डोरी  टुकड़े-
    टुकड़े  होकर  जुड़  गई । लट्टू  अपने-आप  नाच  रहे  थे ।

    (च) हवड़ा  के  ओर  आते  समय  छोटे  जादूगर  और  उसकी  माँ के
    साथ  श्रीमान  की  भेंट  किस  प्रकार  हुई  थी ?
    उत्तर : हवड़ा  के  ओर  आते  समय श्रीमान  को  छोटे  जादूगर
    स्मरण  होता  था । उन्हें  दिखाई  पड़ता  है  कि  वह  एक
    झोंपड़ी  के  पास  कम्बल  कांधे  पर  डाले  खड़ा  था ।
    श्रीमान  ने  मोटर  रोककर  पूछ  ने  के  बाद  बताया  कि  अब
    उनके  माँ को अस्पताल  वालों  ने  निकाल  दिया  है ।  उस
    झोंपड़ी  में  जाकर  देखा  तो  श्रीमान  के  आँखों  से  आँसू
    निकल  पड़े ।  छोटे  जादूगर  के  माँ  चिथड़ों  से  लदी  हुई
    काँप  रही थी , वह  कम्बल ऊपर  से  डालकर  उसके
    शरीर  से  चिपटते  हुए  कहने  लगा - " माँ  ! " 

    (छ) सड़क  के  किनारे  कपड़े  पर  सजे  रंगमंच  पर  छोटा
    जादूगर  किस  मन : स्थिति  में  और  किस  प्रकार  खेल  दिखा
    रहा  था ?
    उत्तर  : निर्मल  धूप  में  करीब  दस  बजे  सड़क  के  किनारे
    एक  कपड़े  पर  छोटे  जादूगर  का  रंगमंच  सजा  था । वहाँ
    बिल्ली  रूठ  रही  थी । भालू  मनाने  चला  था । ब्याह  की
    तैयारी  थी , यह  सब  होते  हुए  भी  जादूगर  की  वाणी  में
    वह  प्रसन्नता  की  तरी  नहीं  थी । जब  वह  औरों  को  हँसाने
    की  चेष्टा  कर  रहा  था , तब  वह  जैसे  स्वयं  कँप  जाता  था।
    मानो  उसके  रोएँ  रो  रहे  थे । 

    (ज) छोटे  जादूगर  और  उसकी  माँ  के  साथ  श्रीमान  की
    अंतिम  भेंट  का  अपने  शब्दों  में  वर्णन  करो ।
    उत्तर  : 4. ( च )  का  उत्तर  देखों ।

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