अभ्यासमाला
■ बोध एवं विचार
1. सही विकल्प का चयन करो ---
(क) भोलाराम केे जीव ने कितनेे दिन पहलेे देह त्यागी
थी ?
(अ) तीन दिन पहले (आ) चार दिन पहले
(इ) पाँच दिन पहले (ई) सात दिन पहले
(ख) नारद भोलाराम का घर पहचान गए ---
(अ) माँ - बेटी के सम्मिलित क्रंदन सुनकर
(आ) उसका टूटा - फूटा मकान देखकर
(इ) घर के बगल में नाले को देखकर
(ई) लोगों से घर का पता पूछकर
(ग) धर्मराज के अनुसार नर्क में इमारतें बनाकर रहनेवालों
में कौन सामिल है ?
(अ) ठेकेदार (आ) इंजीनियर
(इ) ओवरसीयर (ई) उपयुक्त सभी
(घ) बड़े साहब ने नारद को भोलाराम के दरख्वास्तों पर
वजन रखने की सलाह दी। यहाँ 'वजन' का अर्थ है --
(अ) पेपरवेट (आ) वीणा
(इ) रिश्वत (ई) मिठाई का डब्बा
2. पूर्ण वाक्य में उत्तर दो :
(क) भोलाराम का घर किस शहर में था ?
उत्तर : भोलाराम का घर जबलपुर शहर में रहता था ।
(ख) भोलाराम को सेवानिवृत हुए कितनेे वर्ष हुए थे ?
उत्तर : भोलाराम को सेवानिवृत हुए पाँच वर्ष हुए थे ।
(ग) भोलाराम की पत्नी ने भोलाराम को किस बीमारी का
शिकार बताया ?
उत्तर : भोलाराम की पत्नी ने भोलाराम को गरीबी की
बीमारी का शिकार बताया ।
(घ) भोलाराम ने मकान मालिक को कितने साल से
किराया नहीं दिया था ?
उत्तर : भोलाराम ने मकान मालिक को एक साल से
किराया नहीं दिया था ।
(ङ) बड़े साहब ने नारद से भोलाराम की पेंशन मंजूर
करने के बदले क्या माँगा ?
उत्तर : बड़े साहब ने नारद से भोलाराम की पेंशन मंजूर
करने के बदले उनका वीणा माँगा ।
3. संक्षेप में उत्तर दो :
(क) ' पर ऐसा कभी नहीं हुआ था ।' --- यहाँ किस घटना
का संकेत मिलता है ?
उत्तर : यहाँ इस घटना का संकेत मिलता है कि धर्मराज
लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफारिश
के आधार पर स्वर्ग या नर्क में निवास - स्थान 'अलाॅट'
करते आ रहे थे पर ऐसा कभी नहीं हुआ था कि किसी
इंसान के जीव ने पाँच दिन पहले देह त्याग कर नर्क लोक तक ना पहुँचा हो ।
(ख) यमदूत ने भोलाराम के जीव के लापता होने के बारे
में क्या बताया ?
उत्तर : यमदूत ने भोलाराम के जीव के लापता होने के
बारे में यह बताया कि पाँच दिन पहले जब जीव ने
भोलाराम की देह त्यागी , तब उन्होंने उसे पकड़ा और
नर्क लोक की यात्रा आरम्भ की । नगर के बाहर जैसे ही
उन्होंने उसे लेकर एक तीव्र वायु - तरंग पर सवार हूआ ,
तभी वह जीव उनके चंगुल से छूटकर न जाने कहाँ
गायब हो गया । उन पाँच दिनों में उन्होंने सारा ब्रह्माण्ड
छान डाला , पर उसका कहीं पता नहीं चला ।
(ग) धर्मराज ने नर्क में किन - किन लोगों के आने की
पुष्टि की ? उनलोगों ने क्या - क्या अनियमितताएँ की
थीं ?
उत्तर : धर्मराज ने नर्क में बड़े - बड़े गुुुणी कारीगर केे
आने की पुष्टि की है । कई इमारतों के ठेकेदार हैं, जिन्होंने
पूरे पैसे लेकर रद्दी इमारतें बनायीं । बड़े - बड़े इंजीनियर
भी आ गए हैं, जिन्होंने ठेकेदारों से मिलकर भारत की
पंचवर्षीय - योजनाओं का पैसा खाया । ओवरसीयर हैं,
जिन्होंने उन मजदूरों की हाजिरी भरकर पैसा हड़पा, जो
कभी काम पर गए ही नहीं । उन्होंने बहुत जल्दी नर्क में
कई इमारतें तान दी हैं ।
(घ) भोलाराम की पारिवारिक स्थिति पर प्रकाश डालो ।
उत्तर : भोलाराम जबलपुर शहर के घमापुर मुुुुहल्ले में
नाले के किनारे एक डेढ़ कमरे के टूटे - फूटे मकान में
परिवार समेत रहता था । उसकी एक स्त्री थी , दो लड़के
और एक लड़की । उम्र लगभग पैंसठ साल सरकारी नौकर
था ; पाँच साल पहले रिटायर हो गया था । उनके परिवार
बहुत गरीबी की जीवन काट रहे थे क्योंकि पाँच सालों
तक भोलाराम के पेंशन नही मिले थे ।
(ङ) ' भोलाराम ने दरख्वास्तें तो भेजी थीं , पर उन पर
वजन नहीं रखा था , इसलिए कहीं उड़ गई होंगी । '
--- दफ्तर के बाबू के ऐसा कहने का क्या आशय था।
उत्तर : ' भोलाराम ने दरख्वास्तें तो भेेजी थीं , पर उन पर
वजन नहीं रखा था , इसलिए कहीं उड़ गई होंगी । ' ----
दफ्तर के बाबू के ऐसा कहने का आशय यह था कि उन
पर रिश्वत नही दिया गया था । देश के हर एक सरकारी
दफ्तर पर रिश्वत के बदले ही जल्दी काम बनता है । यही
वजह थीं कि भोलाराम की पेंशन की रुपये रुक गयी थी।
(च) चपरासी ने नारद को क्या सलाह दी ?
उत्तर : चपरासी ने नारद को यह सलाह दी कि अगर
वह दफ्तर के बड़े साहब को रिश्वत देकर खुश कर
सकते है तो भोलाराम का पेंशन का समाधान हो जाएगा।
(छ) बड़े साहब ने नारद को भोलाराम के पेंशन केस के
बारे में क्या बताया ?
उत्तर : बड़े साहब ने नारद को भोलाराम के पेंशन केस
के बारे में यह बताया कि पेंशन का केस बीसों दफ्तरों में
जाता है । देर लग ही जाती है । हजारों बार एक ही बात
को हजार जगह लिखना पड़ता है , तब पक्की होती है ।
जितनी पेंशन मिलती है उतनी कीमत की स्टेशनरी लग
जाती है । अंत में कहा कि वजन रखने से अर्थात रिश्वत
देने से काम जल्दी भी हो सकती है ।
(ज) ' भोलाराम का जीव ' नामक व्यंग्यात्मक कहानी
समाज में फैले भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी का
पर्दाफाश करता है । कहानी के आधार पर पुष्टि करों।
उत्तर : ' भोलाराम का जीव ' नामक व्यंग्यात्मक कहानी के
जरिये लेखक ने आधुनिक समाज व्यवस्था में फैले
भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी को मार्मिकता के साथ पेश किया
है । यह भ्रष्टाचार लगभग हर सरकारी विभाग में व्याप्त है
तथा इससे समाज का हर वर्ग प्रभावित है । पाँच साल
पहले सेवानिवृत भोलाराम की परेशानी में आम जनता की
परेशानी छिपी हुई है । पाँच वर्षों तक पेंशन के लिए
कार्यालय का चक्कर लगानेवाले भोलाराम के परिवार की
आर्थिक दयनीयता सभीको प्रभावित करती है ।
4. आशय स्पष्ट करो :
(क) दरख्वास्तें पेपरवेट से नहीं दबतीं ।
उत्तर : अक्सर हर छोटे - बड़े दफ्तरों में पेपरवेट देखने को
मिलता है । हवा अथवा किसी कारण पेपर उड़ जाने के
डर से इसे इस्तेमाल किया जाता है । लेकिन पाठ के
आधार पर पेपरवेट का अर्थ है रिश्वत । भोलाराम के केस
में भी दरख्वास्तें तो भेजी थीं , पर उन पर वजन नहीं
रखा था , इसलिए पेंशन के रुपये आने में देर लग रही
थी । रिश्वत जैसे भ्रष्टाचार लगभग हर सरकारी विभाग में
व्याप्त है तथा इससे समाज का हर वर्ग प्रभावित है ।
(ख) यह भी एक मंदिर है । यहाँ भी दान - पुण्य करना
पड़ता है ।
उत्तर : लेखक के अनुसार रिश्वत जैसे भ्रष्टाचार लगभग
हर सरकारी विभाग में व्याप्त है तथा इससे समाज का
हर वर्ग प्रभावित है । रिश्वतखोरी लोग सरकारी दफ्तर को
मंदिर के साथ तुलना करते है तथा कहते है कि यह भी
एक मंदिर है । यहाँ भी दान - पुण्य करना पड़ता है ; भेंट
चढ़ानी पड़ती है । रिश्वतखोरी का कहना है कि पेंशन का
केस भी बीसों दफ्तरों में जाता है । जितनी पेंशन मिलती
है , उतनी कीमत की स्टेशनरी लग जाती है । वे लोग
समाज के भोले - भाले लोगों को भी रिश्वत के लिए
विवश करते है ।
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