Tuesday, 14 April 2020

Student's Guide : Class 10 ( SEBA)| Hindi Textbook Solution | आलोक भाग २ | गद्य न॰ १ : नींव की ईंट - रामवृक्ष बेनीपुरी |


Page No  : 06 


अभ्यासमाला 

बोध  एवं  विचार 
1. पूर्ण  वाक्य  में  उत्तर  दो :

    (क) रामवृक्ष  बेनीपुरी  का जन्म  कहाँ  हुआ  था  ? 
    उत्तर : रामवृक्ष  बेनीपुरी  का  जन्म  1902  ई. में  बिहार  के
    मुुुुजफ्फरपुर  जिले  के  अंतर्गत  बेनीपुर  नामक  गाँव  में  हुुआ  था ।

    (ख) बेनीपुरी  जी  को  जेल  की  यात्राएँ   क्यों   करनी  पड़ी  थी ?
    उत्तर : भारतीय  स्वतंत्रता  संग्राम  के  सक्रिय  सेनानी  के  रूप  में  
    योगदान  देने  के  कारण  बेनीपुरी  जी  को  जेल  की  यात्राएँ  करनी 
    पड़ी  थी । 

    (ग) बेनीपुरी  जी  का  स्वर्गवास  कब  हुआ  था ? 
    उत्तर : बेनीपुरी  जी  का  स्वर्गवास  सन 1968 ई. में  हुआ  था । 

    (घ) चमकीली , सुंदर , सुघड़  इमारत  वस्तुतः  किस  पर  टिकी होती 
    है  ? 
    उत्तर : चमकीली , सुंदर , सुघड़़  इमारत   वस्तुतः  इसकी  नींव  पर  
    टिकी  होती   है । 

    (ङ) दुनिया  का  ध्यान  सामान्यतः  किस  पर  जाता  है  ? 
    उत्तर : दुनिया  का  ध्यान  सामान्यतः  इसकी  चकमक  की  ओर  
    जाता  है । ऊपर  का  आवरण  हर  कोई  देखना  पसंद  करता  है  ।

    (च) नींव  की   ईंट  को  हिला  देने  का  परिणाम   क्या  होगा  ? 
    उत्तर : नींव  की  ईंट  पर  उसकी  मजबूती  और  पुख्तेपन  पर  सारी 
    इमारत  की  अस्ति - नास्ति  निर्भर  करती  है । इसलिए  उस  ईंट  को
    हिला  देने  से  कंगूरा  बेतहाशा  जमीन  पर  आ  जाएगा ।

    (छ) सुंदर  सृष्टि  हमेशा  ही  क्या  खोजती  है  ? 
    उत्तर : सुंदर  सृष्टि  हमेशा   ही  बलिदान  खोजती  है  ,  बलिदान  ईंट
    का  हो  या  व्यक्ति  का ।

    (ज) लेखक  के  अनुसार  गिरजाघरों  के  कलश  वस्तुतः  किनकी  
    शहदत  से  चमकते  है  ? 
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  गिरजाघरों  केे  कलश  वस्तुतः  नींव  की
    ईंट  की  शहादत  से  चमकते  है । अर्थात  वह  लोग  जो  ईसाई  धर्म 
    को  अमर  बनाने  के  लिए  अपना  आत्म - बलिदान  दे  दिया ।

    (झ) आज  किसके  लिए  होड़ा - होड़ी  मची  है  ? 
    उत्तर : आज  कंगूरा  बनने  केे  लिए  यानी  समाज  का  यश - लोभी 
    सेवक  बनने  के  लिए   चारों   ओर  होड़ा - होड़ी  मची  है , नींव  की
    ईंट  बनने  की  कामना  लुप्त  हो  रही  है ।

    (ञ) पठित  निबंध  में   'सुंदर  इमारत'  का  आशय  क्या  है  ? 
    उत्तर : पठित  निबंध  में  'सुंदर  इमारत' का  आशय   है - नया  सुुंदर 
    समाज ।

2 . अति  संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  25 शब्दों  में )  :  

    (क) मनुष्य  सत्य  से  क्यों  भागता  है  ?
    उत्तर : सत्य  कठोर   होता  है , कठोरता  और  भद्दापन  साथ - साथ
    जन्मा  करते  हैं , जिया  करते  हैं । मनुष्य  कठोरता  से  भागते  हैं ,
    भद्देपन  से  मुख  मोड़ते  हैं  । हसलिए  सत्य  से  भी  भागते  हैं  ।

    (ख) लेखक  के  अनुसार  कौन-सी  ईंट  अधिक   धन्य  है  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  वह  ईंट  धन्य  है  जो  जमीन  के  सात
    हाथ  नीचे  जाकर  गड़  गई   और  इमारत  की  पहली  ईंट  बनी ।
    साथ  ही  साथ  वह  ईंट  जो  कट - छँटकर  कंगूरे  पर  चढ़ती  है
    और  बरबस  लोक - लोचनों  को  अपनी  ओर  आकृष्ट  करती  है  ।

    (ग) नींव  की  ईंट  की  क्या  भूमिका  होती  है  ?
    उत्तर : नींव  की  ईंट  यह  चाहती  है  कि  दुनिया  को  इमारत  मिले ,
    कंगूरा  मिले  । वह  ईंट  खुद  को  सात  हाथ  जमीन  के  अंदर
    इसलिए  गाड़  दिया  ताकि  इमारत  जमीन  के  सौ  हाथ  ऊपर  तक
    जा  सके , उसके  साथियों  को  स्वच्छ  हवा  मिलती  रहे , सुनहली
    रोशनी  मिलती  रहे  और  संसार  एक  सुंदर  सृष्टि  देखे ।

    (घ) कंगूरे  की  ईंट  की  भूमिका  स्पष्ट  करो  ।
    उत्तर : कंगूरे  की  ईंट  खुद  को  महान  समझते  है । वह  यह
    नहीं  चाहती  कि  उससे  बढ़कर  भी  कोई  ओर  हो । इसप्रकार
    समाज  का  यश - लोभी  सेवक , जो  प्रसिद्ध , प्रशंसा  अथवा  अन्य
    किसी  स्वार्थवश  समाज  का  काम  करना  चाहता  है  । आज  कंगूरे
    की  ईंट  बनने  के  लिए  चारों  ओर  होड़ा - होड़ी  मची  है  ।

    (ङ) शहदत  का  लाल  सेहरा  कौन-से  लोग  पहनते  है  और  क्यों ?
    उत्तर : शहदत  का  लाल  सेहरा  कुछ  तपेे-तपाए  लोग  ही  पहनते
    है  क्योंकि  वे  समाज  की  आधारशिला  होती  है। वह  लोग समाज
    के  नव - निर्माण  हेतु  खुद  को  आत्म - बलिदान  कर  दिया  ।

    (च) लेखक  के  अनुसार  ईसाई  धर्म  को  किन  लोगों  ने  अमर
    बनाया  और  कैसे  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  ईसाई  धर्म  को  उन  लोगों  ने  अमर
    बनाया , जिन्होंने  उस  धर्म  के  प्रचार  में  अपने  को  अनाम  उत्सर्ग
    कर  दिया । उनमें  से  कितने  जिंदा  जलाए  गए ,  कितने  सूली  पर
    जढ़ाए  गए ,  कितने  वन - वन  की  खाक  छानते  जंगली  जानवरों
    के  शिकार  हुए ,  कितने  उससे  भी  भयानक  भूख - प्यास  के
    शिकार  हुए ।

    (छ) आज  देश  के  नौजवानों  के  समक्ष  चुनौती  क्या  है  ?
    उत्तर : आज  कंगूरे  की  ईंट  बनने  के  लिए  चारों  ओर  होड़ा-होड़ी
    मची  है ,  नींव  की  ईंट  बनने  की  कामना  लुप्त  हो  रही  है ।
    इसलिए  लेखक  द्वारा  देश  के  नौजवानों  के  समक्ष  चुनौती  यह  है
    कि  वे  नींव  की  ईंट  बनने  की  कामना  लेकर  आगे  आएँ  और
    भारतीय  समाज  के  नव-निर्माण  में  चुपचाप  अपने  को  खपा  दें ।

3. संक्षिप्त  उत्तर  दो  ( लगभग  50  शब्दों  में  ) :
    (क) मनुष्य  सुंदर  इमारत  के  कंगूरे  को  तो  देखा  करते  हैं , पर
    उसकी  नींव  की  ओर  उनका  ध्यान  क्यों  नहीं  जाता  ?
    उत्तर : दुनिया  चकमक  देेेखती  है , ऊपर  का  आवरण  देेखती  है,
    आवरण  के  नीचे  जो  ठोस  सत्य  छिपी  है  उस  पर  लोगों  का
    ध्यान  नहीं  जाता । समाज  के  लोग  प्रसिद्धि  , प्रशंसा  अथवा  अन्य
    किसी  स्वार्थवश  समाज का  काम  करना  चाहता  है । वे  यश-लोभी
    सेवक  बन  गया  है । इसलिए  मनुष्य  सुंदर  इमारत  के  कंगूरे  को
    तो  देखा  करते  हैं  , पर  उसकी  नींव  की  ओर  उनका  ध्यान  नहीं
    जाता ।

    (ख) लेखक  ने  कंगूरे  के  गीत  गाने  के  बजाय  नींव  के  गीत  गाने
    के  लिए  क्यों   आहवान  किया  है  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  भारतीय  स्वाधीनता  आंदोलन  के
    सैनिकगण  नींव  की  ईंट  की   तरह  थे ,  जबकि  स्वतंत्र  भारत  के
    शासकगण  कंगूरे  की  ईंट  निकले  ।  समाज  के  नव - निर्माण  हेतु
    वे  लोग  आत्म - बलिदान  के  लिए  प्रस्तुत  होंगे  जो  नींव   की  ईंट
    है । जो  देश - हित  के  लिए  अपना  बलिदान  दें  चूकें  हैं  । इसलिए
    लेखक  ने  कंगूरे  के  गीत  गाने  के  बजाय  नींव  के  गीत  गाने  के
    लिए  आहवान   किया  है ।

    (ग) सामान्यतः  लोग  कंगूरे  की  ईंट  बनना  तो  पसंद  करते  हैं ,
    परंतु  नींव  की  ईंट  बनना  क्यों  नहीं  चाहते  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  समाज  केे  ज्यादातर  लोग  आज  यश-
    लोभी  सेवक  बन  गये  है । वे  अपनी  स्वार्थवश  काम  करना  पसंद
    करते  है । वे  समाज  के  आगे  आकर  कुछ  साहस  जुटा  नहीं  पाते
    । इसलिए  सामान्यतः  लोग कंगूरे  की  ईंट  बनना  तो पसंद  करते  हैं
    ,  परंतु  नींव  की  ईंट  बनना  नहीं  चाहते ।

    (घ) लेखक  ईसाई  धर्म  को  अमर  बनाने  का  श्रेय  किन्हें  देना    चाहता  है  और  क्यों  ?
    उत्तर : लेखक  के  अनुसार  ईसाई  धर्म  को  अमर  बनाने  का  श्रेय
    ईसा  की  शहादत  को  देना  चाहता  है । क्योंकि  उन  लोगों  ने  उस
    धर्म  के  प्रचार  में  अपने  को  अनाम  उत्सर्ग  कर  दिया । उनमें  से
    कितने  जिंदा  जलाए  गए ,  कितने  सूली  पर  जढ़ाए  गए ,  कितने
    वन-वन  की  खाक  छानते  जंगली  जानवरों  के  शिकार  हुए ,
    कितने  उससे  भी  भयानक  भूख-प्यास  के  शिकार  हुए ।

    (ङ) हमारा  देश  किनके  बलिदानों  के  कारण  आजाद  हुआ ?
    उत्तर : हमारा  देश  उन  वीर  पुरूषों  के  बलिदानों  से  आजाद  हुआ
    जिन्होंने  बिना  किसी  यश - लोभ  के  देश  के  नव - निर्माण  हेतु
    आत्म - बलिदान  दे  दिया । भारतीय  स्वाधीनता  आंदोलन  के
    सैनिकगण  नींव  की  ईंट  की  तरह  थे , जिसके  के  कारण  हमारा
    देश  आजाद  बने ।

    (च) दधीचि  मुनि  ने  किसलिए  और  किस  प्रकार  अपना  बलिदान
    किया  था ?
    उत्तर : दधीचि  मुनि  ने  वृत्रासुर  का  नाश  करने  के  लिए  हड्डियोंं
    के  दान  करके  अपना  बलिदान  किया  था । भारतीय  इतिहास  में
    मानव  कल्याण  के  लिए  अपनी  अस्थियों  का  दान  करने  वाले
    मात्र  दधीचि  ही  थे । देवताओं  के  मुँह  से  यह  जानकर  कि उनकी
    अस्थियों  से  निर्मित  वज्र  द्वारा  ही  असुरों  का  संहार  किया  जा
    सकता  है , उसने  अपना  शरीर  त्याग  कर  अस्थियों  का  दान  कर
    दिया  जिससे   बने  धनुष  द्वारा  भगवान  इंद्र  ने  वृत्रासुर  का  संहार
    किया  था ।

    (छ) भारत  के  नव-निर्माण  के  बारे  में  लेखक  ने  क्या  कहा  है ?
    उत्तर : भारत  के  नव-निर्माण  के  बारे  में  लेखक  ने  कहा  है  कि
    देश  के  सात  लाख  गाँवों ,  हजारों  शहरों  और  सैकड़ों  कारखानों
    के  नव-निर्माण  हेतु  नींव  की  ईंट  बनने  के  लिए  तैयार  लोगों  की
    जरूरत  है , लेकिन  नींव  की  ईंट  बनने  की  कामना  लुप्त  हो  रही
    है । लेखक  ने  नौजवानों  से  आहवान  किया  है  कि  वे  नींव  की
    ईंट  बनने  की  कामना  लेकर  आगे  आएँ  और  भारतीय  समाज  के
    नव-निर्माण  में  चुपचाप  अपने  को  खपा  दें ।

    (ज) ' नींव  की  ईंट '  शीर्षक  निबंध  का  संदेश  क्या  है  ?
    उत्तर : ' नींव  की  ईंट ' शीर्षक  निबंध  के  माध्यम  से  लेखक  हमें
    यह  संदेश  देना  चाहता  है  कि  समाज  के  नव-निर्माण  हेतु , हमें 
    प्रसिद्धि , प्रशंसा  अथवा  अन्य  किसी  स्वार्थवश  त्याग  करके  
    समाज  के  लिए  काम  करना  चाहिए । हमें एक सच्चा  और  निडर 
    इंसान  बनके  समाज  के  लिए  एकसाथ  मिलकर  काम  करना  है ।

2 comments:

Dear reader , to know more information then comment your questions. I'm try to reply as soon as possible.

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