Friday, 27 March 2020

Student's Guide : Class 9 |Hindi Textbook Solution| आलोक भाग - १|पाठ न॰ २: परीक्षा - प्रेमचंद|



अभ्यासमाला
Page No: 18

■ बोध  एवं  विचार  :

1. पूर्ण  वाक्य में  उत्तर दो  : 

( क ) 'परीक्षा' कहानी में किस पद के लिए परीक्षा ली गई  ? 

उत्तर  : 'परीक्षा' कहानी में रियासत के दीवान पद के लिए  परीक्षा ली 

गई  ।

( ख ) दीवान साहब के समक्ष क्या शर्त रखी गई  ? 

उत्तर  : दीवान साहब के समक्ष यह शर्त रखी गई कि रियासत देवगढ़ के 

नया  दीवान  उन्हीं को खोजना पड़ेगा ।

( ग ) 'परीक्षा' कहानी में उम्मीदवार कौन -सा  सामूहिक खेल खेलते हैं  ?

उत्तर  : 'परीक्षा' कहानी में उम्मीदवार आपस में  हाॅकी  खेल खेलते  हैं  ।

( घ ) दीवान पद के लिए किसका चयन किया गया  ? 

उत्तर  : दीवान पद के लिए पंडित जानकीनाथ का चयन किया गया  । 

2 .संक्षिप्त उत्तर दो ( लगभग 25 शब्दों में  ) : 

( क ) दीवान सुजानसिंह ने महाराज से  क्या प्रार्थना की ? क्यों  ? 

उत्तर  : दीवान सुजानसिंह ने महाराज से यह प्रार्थना  किया कि  वह 

रियासत  देवगढ़ के दीवान पद में  चालीस साल  तक की सेवा की । अब 

कुछ दिन  परमात्मा की भी सेवा करने की आज्ञा चाहता है । क्योंकि 

अब शारीरिक अवस्था भी ढल गई  है  । राजकाज  सँभालने की शक्ति 

नहीं  रह गई  । भूल - चूक हो जाए  , तो बुढ़ापे  में  दाग लगे , सारी 

जिदंगी की नेकनामी मिट्टी में  मिल जाएगा । 

( ख ) उम्मीदवार विभिन्न प्रकार के अभिनय कैसे और क्यों कर रहे थे ? 

उत्तर  : रियासत के दीवान पद के लिए  आए प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन 

को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे  रूप में दिखाने की कोशिश करता था 

।  जो पहले नौ बजे दिन तक सोया करते  थे ; आजकल वे बगीचे में 

टहलते  ऊषा  के दर्शन करते थे ।  हुक्का पीने की लत  रहने वाले  

आजकल  बहुत रात गए  , किवाड़ बंद करके अंधेरे में सिगरेट पीते  थे ।

जो पहले नास्तिक थे ; आजकल उनकी धर्म - निष्ठा  देखकर मंदिर के 

पुजारी  भी शंका करने लगी है ।  जिसे किताबों  से घृणा थी ; आजकल 

वे बड़े  - बड़े  धर्म - ग्रंथ  खोले , पढ़ने में डूबे रहते  थे । हर कोई नम्रता  

और  सदाचार  का देवता मालूम  होता था । वे सब  उम्मीदवार दीवान 

पद के लिए  खुद में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे थे । 

( ग ) एक उम्मीदवार  ने गाड़ीवाले की मदद कैसे की ? 

उत्तर  : एक उम्मीदवार  जिसे हाॅकी खेलते हुए  , उसके पैरो में  चोट लग 

गई  थी ; वह  गाड़ीवाले  से कहा कि गाड़ी में  बैठकर बैलों को साधों  । 

तब उसने  पहियों को ज़ोर लगाकर खिसकाया । कीचड़  बहुत  ज़्यादा 

था । वह घुटनों तक ज़मीन में गड़ गया , लेकिन उसने हिम्मत न हारी । 

गाड़ीवाले बैलों को ललकारा , उन्होंने कंधे झुकाकर एक बार  फिर से 

ज़ोर  लगाया और  गाड़ी नाले की ऊपर चढ़ गई  । इस प्रकार  एक 

उम्मीदवार ने गाड़ीवाले की मदद की  थी । 

( घ ) किसान ने अपने मददगार युवक से क्या कहा ? उसका क्या अर्थ 

था ? 

उत्तर  : किसान  ने  अपने  मददगार  युवक से हाथ जोड़कर कहा  , 

"महाराज  ! आपने  आज मुझे उबार लिया , नहीं तो सारी रात यहीं 

बैठना पड़ता । जब युवक ने हँसकर कहा कि  क्या मुझे कुछ इनाम देंगे  

तब उत्तर में  किसान ने गंभीर भाव से कहा कि नारायण चाहेंगे तो

दीवानी  आपको ही मिलेगी । उसका अर्थ यह था कि रियासत देवगढ़ के

दीवान पद के लिए  जिस उम्मीदवार की खोज थी , वह मिल  चुका है ।

( ङ ) सुजानसिंह ने उम्मीदवारों की परीक्षा  कैसे ली ? 

उत्तर  : सरदार सुजानसिंह ने दीवान पद के लिए आए  उम्मीदवारों के 

आदर - सत्कार का बड़ा अच्छा प्रबंध कर दिया था । प्रत्येक मनुष्य 

अपने जीवन को अपनी बुद्धि के अनुसार अच्छे रूप में दिखाने की 

कोशिश करता था ।  लेकिन , सुजानसिंह आड़ में बैठा हुआ देख रहा था 

कि  इन बगुलों में हंस कहाँ छिपा है ।  जब वे सब एकदिन हाॅकी खेल 

कर  संध्या समय लोट रहे थे तब  एक किसान (सुजानसिंह) को देखा  

कि वह अनाज से भरी  हुई  गाड़ी  में फंसे हुए है । उसमें से एक व्यक्ति 

को छोड़कर किसी ने  उनकी तरफ दया भाव से नही देखा । वह  पैरों में  

चोट लगने के बावजूद किसान की मदद की  जिसमें  सभी गुण झलक 

रहे थे ।  सुजानसिंह को  दीवान पद के लिए ऐसे पुरूष की आवश्यकता 

थी , जिसके ह्रदय में दया हो और  साथ  ही साथ  आत्मबल भी ।  इस 

तरह  सुजानसिंह ने उम्मीदवारों की परीक्षा ली और  इस परीक्षा में  

पंडित  जानकीनाथ  पास कर गए । 

( च ) पं॰ जानकीनाथ में  कौन-कौन से गुण थे ? 

उत्तर  : पं॰ जानकीनाथ में साहस , आत्मबल  और  उदारता का गुण था 

। साथ -ही -साथ  उनमे दृढ़ संकल्प  का गुण भी झलक रहा था  ।

( छ ) सुजानसिंह के मतानुसार दीवान में कौन-कौन से गुण होने चाहिए ?

उत्तर  : सुजानसिंह के मतानुसार दीवान में  दया हो और  साथ ही साथ 

आत्मबल भी । ह्रदय वही है  , जो उदार  हो ; आत्मबल वही है  जो 

आपत्ति  का वीरता  के साथ  सामना करे  । 

3. सप्रसंग  व्याख्या  करो ( लगभग  100 शब्दों  में ) 

    (क) लेकिन,  मनुष्य  का  वह  बूढ़ा  जौहरी  आड़  में  बैठा  हुआ
  
    देख  रहा  था  कि  इन  बगुलों  में  हंस  कहाँ  छिपा  है ।

    उत्तर : प्रस्तुत  गद्याशं  हमारे  पाठ्यपुस्तक  'आलोक' के  'परीक्षा'
  
    नामक  पाठ  से  ली  गई  है । पाठ  के  लेखक  है  प्रेमचंद   जी।
         
          लेखक  ने  रियासत  के   दीवान  पद  के  लिए  आए     

   उम्मीदवारों    ने  किस  तरह  अपने  जीवन  को  अपनी  बुद्धि  के  

  अनुसार  अच्छे   रूप  में  दिखाने  की  कोशिश  करता  है  और  

   उनलोगों  की  देखरेख  किस  तरह  से  हो  रहा  है  उसपर  बल  

   दिया  गया  है ।
        
          लेखक  के  अनुसार  सरदार  सुजानसिंह  ने  उम्मीदवारों  के 

    आदर-सत्कार  का  बड़ा  अच्छा  प्रबंध  कर  दिया  था । हर  कोई
    
    अपने  जीवन  को  अपनी  बुद्धि  के  अनुसार  अच्छे  रूप  में  दिखाने
    
    की  कोशिश  करता  था । जैसे  मिस्टर  'अ' नौ  बजे  दिन  तक सोया
  
    करते  थे ; आजकल  वे  बगीचे  में  टहलते  ऊषा  के  दर्शन  करते थे।
    
    मिस्टर  'ब'  को  हुक्का  पीने  की  लत  रहने  वाले  आजकल  बहुत 
   
    रात  गए  , किवाड़  बंद  करके  अंधेरे  में  सिगरेट  पीते  थे । मिस्टर 
  
    'स'  ,  'द'   और  'ज'  से  उनके  घरों  पर  नौकरों  की  नाक  में  दम
   
    था ; ये  सज्जन  आजकल  'आप '  और  'जनाब'  के  बगैर  नौकर
    
    से  बातचीत  नहीं  करते  थे । महाशय  'क'  नास्तिक  थे ;  मगर
  
    आजकल  उनकी  धर्म-निष्ठा  देखकर  मंदिर  के  पुजारी  को  पदच्युत
   
    हो  जाने  की  शंका  लगी  रहती । मिस्टर  'ल'  को  किताबों  से  घृणा
    
   थी ; परन्तु  आजकल  वे  बड़े-बड़े  धर्म-ग्रंथ  खोले ,  पढ़ने  में  डूबे 
   
   रहते  थे । हर  किसी  को  नम्रता  और  सदाचार  का  देवता  मालूम 
  
   होता  था । लोग  समझते  थे  कि  एक  महीने  की  झंझट  है  ; किसी
    
   तरह  काट  लें । कही  कार्य  सिद्ध  हो  गया  ,  तो  कौन  पूछता  है ?
    
   लेकिन  उनलोगों  का  दिनचर्या  मनुष्य  का  वह  बूढ़ा  जौहरी  आड़ 
   
   में  बैठा  हुआ  देख  रहा  था कि इन बगुलों  में  हंस  कहाँ  छिपा  है।

  (ख)  गहरे  पानी   में   बैठने  से  मोती  मिलता  है ।

   उत्तर : प्रस्तुत   गद्याशं   हमारे   हिंदी  पाठ्यपुस्तक   'आलोक '  के  

   'परीक्षा '  नामक   पाठ   से   ली   गई   है । पाठ  के  लेखक   का

   नाम   है   प्रेमचंद   जी।

        जब  एक  किसान  (सुजानसिंह)  की  अनाज  से  भरी  हुई गाड़ी  

   को  नाले  में   से  निकलने  के  लिए   जानकीनाथ   ने  मदद  की  थी
   
   और  कहा  था  कि  क्या  आप  मुझे  कुछ  इनाम  देंगे  तब  उत्तर  में 

   सुजानसिंह  ने  कहा  था  कि  गहरे  पानी  में  बैठने  से  मोती  मिलता 

   है। 

        एकदिन  उम्मीदवारों  के  बीच  हाॅकी  खेल  हो रहा  था ।  सभी

   खिलाड़ी  खेलने  के  बाद  थके  हुए  लौट  रहे  थे । सभी  खिलाड़ियों 

   को  एक  नाले  में  से  चलकर  आना  पड़ता  था । उसी  संध्या  समय 

   एक  किसान (सुजानसिंह)  अनाज  से  भरी  हुई  गाड़ी  लिए  उस 

   नाले  में  आया  ; लेकिन , कुछ  तो  नाले  में  कीचड़  था  और  कुछ

   चढ़ाई  इतनी  ऊँची  थी  कि  गाड़ी  ऊपर  न  चढ़  सकती  थी। वह

   हर  तरह  से  अकेले  कोशिश  किए  परन्तु  नाकामयाब  हुए ।  इसी

   बीच  में  खिलाड़ियों  ने  भी  उसी  नाले  से  होकर  निकले  लेकिन 

   जानकीनाथ  नाम  के  खिलाड़ी  को  छोड़कर  किसी  ने  उनकी  तरफ

   सहानुभूति  से  नहीं  देखें ।  उन्हें  आज  हाॅकी  खेलते  हुए  पैरों  में 

   चोट  लग  गई  थी।  उनके  ह्रदय  में  दया  थी  और  साहस  भी । 

   वह  किसान  से  बोला  कि आप  गाड़ी  पर  जाकर  बैलों  को  साधों ;

   मैं  पहियों  को  ढकेलता  हूँ।  वह  घुटनों  तक  ज़मीन  में  गड़  गया 

   और  पहियों  को  ज़ोर  लगाकर  खिसकाया , लेकिन  उसने  हिम्मत 

   न  हारी । उधर  किसान  ने  बैलों  को  ललकारा , उन्होंने  कंधे 

   झुकाकर  फिर  से  एक  बार  ज़ोर  लगाया  तबतक  गाड़ी  नाले  की 

   ऊपर  थी। किसान  ने  उनकी  सराहना  करते  हुए  धन्यवाद  जताया।

  वह  हँसते  हुए  कहा  कि  आप  मुझे  कुछ  इनाम  देगें  तब जबाब  में

  किसान  ने  कहा  कि  नारायण  चाहेंगे  तो  दीवानी  आपको  ही 

  मिलेगी ।  और  जाते  हुए  अंत  में  कहा  कि  गहरे  पानी  में  बैठने  से 

  मोती  मिलता  है । 

    (ग) उन  आँखों  में  सत्कार  था  और  इन  आँखों  में  ईर्ष्या  ।

    उत्तर : प्रस्तुत  गद्याशं  हमारे  हिंदी  पाठ्ययपुस्तक  'आलोक '  के 

    'परीक्षा '  नामक  पाठ  से  ली  गई  है । पाठ  के  लेखक  का  नाम  है

    प्रेमचंद  जी।  

         यहाँ   लेखक  बताना  चाहता  है  कि  रियासत  के  दीवान  पद  

   के  लिए   जब  पं . जानकीनाथ   का  चयन  हुआ  तब  रियासत  के 

   कर्मचारी  और  अन्य  उम्मीदवारों   ने  किस  तरह   पेश  आ  रहे  थे 

   उसका  वर्णन  किया  गया  है ।

         दीवान  सुजानसिंह  ने  रियासत  के  दीवान  पद  के  लिए  आए 

   उम्मीदवारों  की  आदर - सत्कार  का  बड़ा  अच्छा  प्रबंध  कर  दिया  

  था ।  सभी  के  परीक्षा  शुरू  हो  चुका  था । जब  निदान  महीना  पूरा 

   हुआ  तब  चुनाव  का  दिन  आ  पहुँचा ।  उम्मीदवार  लोग  प्रात:काल

   से  ही  अपनी  किस्मत  का  फैसला  सुनने  के  लिए  उत्सुक  थे। 

   संध्या  समय  राजा  साहब  का  दरबार  में  शहर  के  रईस  और    
   
  धनाढ्य  लोग,  राजा  के  कर्मचारी  और  दरबारी  और  दीवानी  के    

  उम्मीदवारों    के  समूह  के  उपस्थिति  में  सरदार  सुजानसिंह  दीवान     

  पद  के  लिए फैसला  सुनाते  हुए  कहा  कि  इस  पद  के  लिए  ऐसे   
  
  पुरूष  की  आवश्यकता  थी , जिसके  ह्रदय  में  दया  हो  और  साथ     
  
  ही  साथ आत्मबल  भी । ह्रदय  वही  है , जो  उदार हो  ; आत्मबल      

  वही  है  जो आपत्ति  का  वीरता  के  साथ  सामना  करे  ; और  इस       

  रियासत  के  सौभाग्य  से  ऐसा  पुरूष  मिल  गया ।  ऐसे  गुणवाले       

 संसार  में  कम  होते  हैं  और  जो  हैं , वे  कीर्ति  और  मान  के  शिखर   

 पर  बैठे  हुए  है ।  उन  तक  हमारी  पहुँच  ही  नही ।  अंत  में  दीवान   

 पद  के  लिए   पं . जानकीनाथ  का  नाम  चयन  किया  गया और  उन्हें   

 बधाई  दिया    गया ।  तभी  रियासत  के  कर्मचारी  और  रईसों  ने  पं . 

 जानकीनाथ  की  तरफ  देखा  और  उम्मीदवारों  के  दल  की  आँखे   

 उधर  उठी ;  मगर , उन  आँखों  में  सत्कार  था  और  इन  आँखों  में   

 ईर्ष्या  झलक   रही  थी ।

4. किसने   किससे  कहा , लिखो  : 

    (क) कहीं  भूल -चूक  हो  जाए  तो  बुढ़ापे  में  दाग  लगे , सारी  

    जिंदगी  की  नेकनामी  मिट्टी  में  मिल  जाए ।

    उत्तर : सरदार  सुजानसिंह  ने  महाराज  से  कहा  था ।

   (ख) मालूम  होता  है  , तुम  यहाँ  बड़ी  देर  से  फँसे  हुए  हो ।

    उत्तर : युवक ( पं . जानकीनाथ )ने  किसान ( सरदार  सुजानसिंह  )

    से  कहा  था।

    (ग) नारायण  चाहेंगे  तो  दीवानी  आपको  ही  मिलेगी ।

    उत्तर : किसान ( सरदार सुजानसिंह  ) ने  युवक ( पं . जानकीनाथ  )

    से  कहा  था।



10 comments:

  1. परीक्षा पाठ्यक्रम से सप्रसंग व्याख्या

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  2. Thanks for your valuable review. जल्द ही अपलोड किया जाएगा।
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  3. অতি সুন্দৰকৈ আৰু সৰলকৈ উত্তৰৰ উপস্থাপন । আশা কৰোঁ আমাৰ ছাত্ৰ ছাত্ৰী সকল উপকৃত হব ।

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    1. নিশ্চয় । এই লক্ষ্যৰে প্ৰচেষ্টা অব্যাহত আছে ।

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  4. Sir please apload Ques.Ans.of chapter 5

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    1. Thanks for the same. Wait for a week it upload shortly. Name the lesson

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  5. Sir please apload Ques.Ans.of chapter 5

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