Thursday, 10 September 2020

CLASS 9(SEBA) | Hindi Textbook Solution | आलोक भाग - 1 | पाठ 5 : आप भले तो जग भला - श्रीमन्नारायण |

अभ्यासमाला

■ बोध एवं विचार 
( अ ) सही  विकल्प  का  चयन  करो  :
    1. एक  काँच  के  महल  में  कितनेे  कुत्ते  घुसे  थे  ?
        (क) एक  (ख) दो  (ग) एक हजार  (घ) कई हजार

    2. काँच  का  महल  किसका  प्रतीक  है ?
        (क) संसार   (ख) अजायब  घर  (ग) चिड़ियाघर
        (घ) सपनों  का  महल

    3. " निंदक  बाबा  वीर  हमारा, बिनही  कौड़ी  बहै  विचारा ।
          आपन  डूबे  और  को  तारे , ऐसा  प्रीतम  पार  उतारे ।"
          -- प्रस्तुत  पंक्तियों  के  रचयिता  कौन हैं ?
          (क) कबीर दास   (ख) रैदास   (ग) बिहारीलाल   (घ) दादू

    4. आदमी  भूखा  रहता  है  - 
        (क) धन  का  (ख) जन  का  (ग) प्रेम  का  (घ) मान  का

    5. गांधीजी  ने  अहिंसा  की  तुलना  सीमेंट  से  क्यों  की  है ?
        (क) अहिंसा से मनुष्य एक साथ रहता है ।
        (ख) अहिंसा किसी को अलग नहीं होने देती ।
        (ग) अहिंसा सीमेंट की तरह एक - दूसरे को जोड़ कर
              रखती  है ।

(आ) संक्षिप्त उत्तर दो ( लगभग 25 शब्दों में ) :
1. दो कुत्तों की घटना का वर्णन करके लेखक क्या सीख देना
    चाहते हैं  ?
    उत्तर  : दो कुत्तों की घटना का वर्णन करके लेखक यह
    सीख देना चाहता है कि यदि मनुष्य स्वयं भला है तो उसे
    सारा संसार भला दिखाई देता है और मनुष्य स्वयं बुरा है
    तो उसे सारा संसार बुरा दिखाई देता है । मनुष्य नजरिया
    बदलकर देखने से दुनिया का हर चीजों में, हर लोगों में
    भला दिखाई देता है ।

2. लेखक ने संसार की तुलना काँच के महल से क्यों की है ?
    उत्तर : लेखक ने संसार की तुलना काँच के महल से की है
    क्योंकि काँच के सामने जो भी दिखाई देता है वह बिल्कुल
    सच होता है । काँच हमेशा सत्य को दर्शाता है । अगर आप
    अच्छा कर रहे होते हैं या बूरे सभी काँच में दिखाई देता है ।
    हमें सदा अच्छा देखना,अच्छा बोलना,और अच्छा सुनना
    चाहिए ताकि काँच में भी अच्छा दिखाई पड़े। तभी तो
    चारों ओर हमें अच्छा ही देखने को मिलेगा । अपने स्वभाव
    की छाया ही उस पर पड़ती है ।

3. अब्राहम लिंकन की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य क्या था ?
    उत्तर : अब्राहम लिंकन की सफलता का सबसे बड़ा रहस्य
    यह था कि वह दूसरों की अनावश्यक नुक्ताचीनी कर
    उनका दिल नहीं दुखाता था ।

4. लेखक ने गांधी और सरदार पृथ्वीसिंह के उदाहरण क्या स्पष्ट
    करने के लिए दिए हैं  ?
    उत्तर : लेखक ने गांधी और सरदार पृथ्वीसिंह के उदाहरण
    यह स्पष्ट करने के लिए दिए हैं कि प्रेम और सहानुभूति से
    लोगों को अपनी ओर खींच सकते है । दोनों अहिंसा के
    मार्ग पर थे । गांधी जी सब को एकसाथ जोड़कर रखने के
    लिए सीमेंट का काम करता था ।

5. रसोइया ने बिना खबर दिए लेखक के मित्र की नौकरी क्यों
    छोड़ दी ?
    उत्तर : रसोइया ने बिना खबर दिए लेखक के मित्र की
    नौकरी छोड़ दी क्योंकि सुबह से शाम तक उसके महाशय      की डाँट खानी पड़ती थी । जैसे -"तुने आज दाल बिलकुल
    बिगाड़ दी । उसमें नमक बहुत डाल दिया ।" "अरे बेवकूफ
    तूने साग में नमक ही नहीं डाला ।" "यह जली रोटी कौन
    खाएगा रे !" आदि की झड़ी लगी रहती थी ।
                  वह भी तो आदमी ही है । उसके भी दिल है ।
    बेचारा कुछ रुपए का नौकर यंत्र नहीं बन सकता । तंग
    आकर भाग जाने के सिवा कोई चारा नही था ।

6. "अच्छा हो , सुकरात के इस विचार को मेरे मित्र अपने कमरे में
    लिखकर टाँग लें ।" - लेखक ने ऐसा क्यों कहा है  ? 
    उत्तर : महान संत सुकरात ने कही थी , "जो मनुष्य मूर्ख है
    और जानता है कि वह मूर्ख है , वह ज्ञानी है , पर जो मूर्ख
    है और नहीं जानता कि वह मूर्ख है, वह सबसे बड़ा मूर्ख है।
    लेखक का मित्र भी मानते हैं कि उनका जीवन,आचार और
    विचार आदर्श हैं। दूसरे लोग जो उनका सम्मान नहीं करते,
    मूर्ख हैं । वह खुद मूर्ख होकर भी नहीं जानता कि वह मूर्ख
    है । इसलिए लेखक ऐसा कहा है ।

(इ) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दो ( लगभग 50 शब्दों में ) :
1. अपने मित्रों को परेशान देखकर लेखक को किस किस्से का
    स्मरण हो आता है ?
उत्तर : अपने मित्रों को परेशान देखकर लेखक को दो कुत्तों
          की घटना का स्मरण हो आता है । लेखक उनकी
          मिसाल भौंकने वाले कुत्ते से नहीं देना चाहता । वह
          चाहता है कि इस कहानी से उनका मित्र चाहें तो कुछ
          सबक जरूर सीख सकते हैं ।

2. दुखड़ा रोते रहने वाले व्यक्ति का दुनिया से दूर किसी जंगल में
    चले जाना क्यों बेहतर है ?
उत्तर : हमें सदैव दूसरों की अच्छाइयों को देखना , अपने
         अवगुणों पर भी ध्यान देना और हर परिस्थिति में खुश
         रहना चाहिए । अपने निंदक का भी एहसानमंद होना
         और प्रत्येक व्यक्ति के साथ प्रेम और नम्रतापूर्ण
         व्यवहार करना चाहिए , तभी तो दुनिया भी खुद को
         साथ देगी । इसलिए लेखक ने कहा है कि दुखड़ा रोते
         रहने वाले व्यक्ति का दुनिया से दूर किसी जंगल में चले
         जाना ही बेहतर है ।



Saturday, 5 September 2020

Teacher's Day |Importance of Teacher's Day|Special Quote for Teacher Day| শিক্ষক দিৱসৰ মহত্ব|প্ৰসিদ্ধ ব্যক্তিসকলৰ শিক্ষাৰ প্ৰতি থকা ভাব|

       প্ৰতি বছৰে ৫ চেপ্তেম্বৰ দিনটো আমাৰ নিস্বাৰ্থ
শিক্ষকসকলক তেখেতসকলৰ বহুমূলীয়া শিক্ষা কৰ্মক
সন্মান দিয়াৰ বাবে শিক্ষক দিৱস পালন কৰা হয় । ৫
চেপ্তেম্বৰ দিনটো আমাৰ দেশৰ দ্বিতীয় ৰাষ্ট্ৰপতি সৰ্বপল্লী
ৰাধাকৃষ্ণণৰ জন্মদিন । তেখেতে গোটেই ভাৰতবৰ্ষত
শিক্ষকসকলক সন্মান দিবৰ বাবে শিক্ষক দিৱস হিচাপে
তেখেতৰ জন্মদিনটো পালন কৰাৰ বাবে আগ্ৰহ
কৰিছিল । তেখেতক অধ্যাপন বৃত্তিৰ প্ৰতি বহুত প্ৰেম
আছিল । তেখেতৰ শিক্ষাৰ প্ৰতি বহুত ভৰসা আছিল
লগতে তেখেত অধ্যক্ষ, ৰাজনীতিক, শিক্ষক আৰু
ভাৰতৰ দ্বিতীয় ৰাষ্ট্ৰপতি হিচাপে প্ৰসিদ্ধ আছিল ।
আজিৰ এই দিনটোত দেশৰ তথা বিশ্বৰ মহান ব্যক্তি
সকলক স্মৰণ কৰা উচিত  যিসকলে নিজৰ কৰ্মৰ
জৰিয়তে প্ৰসিদ্ধ লাভ কৰিছে আৰু আমি আজি এই
মহান ব্যক্তিসকলৰ আদৰ্শ  অনুসৰণ কৰি নিজ লক্ষ্যত
উপনীত হ'ব পাৰিছোঁ । শিক্ষাৰ পোহৰ নোপোৱাকৈ
কোনেও আগ বাঢ়িব নোৱাৰে । প্ৰতিটো ডাঙৰ কামৰ
আঁৰত লুকাই আছে একো একোজন শিক্ষকৰ নিস্বাৰ্থ
তথা বহুমূলীয়া অৱদান । আমি প্ৰত্যেক ব্যক্তিয়ে নিজক
এজন আদৰ্শৱান ব্যক্তিৰূপে গঢ় দিব লাগে। যিমানখিনি
সম্ভৱ নিজৰ ওচৰত থকা জ্ঞানখিনি আনক বিলাই দিব
লাগে যাতে তেওঁ এজন ভাল ব্যক্তি হ'ব পাৰে যি সমাজ
তথা দেশৰ হকে নিজৰ অৱদান আগবঢ়াব পাৰে ।

       তলত দেশ তথা বিশ্বৰ মহান ব্যক্তিসকলৰ শিক্ষাৰ
প্ৰতি থকা ভাব উল্লেখ কৰা হ'ল :

■"আচল শিক্ষক সেইজন যিজনে আমাক নিজৰ বাবে
ভাবিবলৈ সহায় কৰে ।" - ড○ সৰ্বপল্লী ৰাধাকৃষ্ণণ
 
■ "আনক শিক্ষা দিয়াতো হৈছে এটা বহুত ডাঙৰ বৃত্তি
যিয়ে ব্যক্তি এজনৰ চৰিত্ৰ, মানসিক শক্তি আৰু
ভৱিষ্যতৰ গঠন কৰে । যদি মানুহে মোক এজন আদৰ্শ
শিক্ষকৰূপে মনত পেলাই তেন্তে মোৰ কাৰণে এয়া
আটাইতকৈ ডাঙৰ সন্মান হ'ব ।" - ড○ এ. পি. জে.
আব্দুল কালাম 
■ "শিক্ষা হৈছে মানুহৰ ইতিমধ্যে পৰিপূৰ্ণতাৰ প্ৰকাশ ।"
- স্বামী বিবেকানন্দ
■ "মই সদায় অনুভৱ কৰিছিলো যে কিতাপ হৈছে
শিক্ষাৰ্থীৰ আচল শিক্ষক।" - জাতিৰ পিতা মহাত্মা গান্ধী
■ "ৰচনাত্মক, অভিব্যক্তি আৰু জ্ঞানত আনন্দ যোগাৰ
দিয়া হৈছে শিক্ষকৰ সৰ্বোচ্চ কলা।"-এলবাৰ্ট আইনষ্টাইন

■ "শিক্ষকসকল হৈছে সমাজৰ সৰ্বাধিক দায়িত্বশীল
আৰু গুৰুত্বপূৰ্ণ সদস্য কাৰণ তেওঁলোকৰ বৃত্তিধাৰী
প্ৰচেষ্টা পৃথিৱীৰ ভাগ্যক প্ৰভাৱিত কৰে।" - হেলেন
কেলডিকট
■ "শিক্ষা হৈছে আটাইতকৈ শক্তিশালী অস্ত্ৰ যাক
আপুনি পৃথিৱীখনক সলনি কৰিবলৈ ব্যৱহাৰ কৰিব
পাৰে।" - নেলচন মেণ্ডেলা
■ "ভাল শিক্ষকে জানে যে শিক্ষাৰ্থীৰ পৰা কেনেকৈ
সৰ্বশ্ৰেষ্ঠ প্ৰদৰ্শন আনিব পাৰি।" - চাৰ্লছ কোৰাল্ট
■ "প্ৰযুক্তি কেবল এটা সৰঞ্জাম । বিদ্যাৰ্থীক একেলগে
কাম কৰাত আৰু তেওঁলোকক অনুপ্ৰেৰণা যোগোৱাৰ
ক্ষেত্ৰত শিক্ষক আটাইতকৈ গুৰুত্বপূৰ্ণ ।" - বিল গেটচ
■ "এখন কিতাপ, এডাল কলম, এজন শিক্ষাৰ্থী আৰু
এগৰাকী শিক্ষক বিশ্ব পৰিৱৰ্তন কৰি দিব পাৰে ।"
  - মালালা ইউশ্বুফজাই 
আশাকৰো আপোনালোকে এই মহান ব্যক্তিসকলে
শিক্ষাৰ প্ৰতি আগবঢ়োৱা বিচাৰধাৰা অনুধাৱন কৰি
শিক্ষকসকলৰ প্ৰতি সন্মান তথা শ্ৰদ্ধা জনাব । লগতে
নিজৰ আৰ্জিত জ্ঞানৰ পোহৰেৰে আনকো পোহৰ
বিলাই এজন আদৰ্শ ব্যক্তিৰূপে চিনাকী দিব ।

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